Shubhman Gill को पूरे दिन गेंदबाज आउट नहीं कर पाते थे, पिता को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का इंतजार
क्रिकेटर शुभमन गिल ने कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ खेलते हुए और भारतीय टीम के खेलते हुए कई मैचों में खुद को साबित किया। वहीं पिता लखविंदर गिल का कहना है कि शुभमन अभी भी अपना बेस्ट नहीं दे पाया है उसको अपना बेहतरीन प्रदर्शन अभी देना है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। साल -2018 अंडर -19 वर्ल्ड कप में शुभमन गिल ने पांच मैचों में 124 की औसत से 372 रन बनाए थे। इस शानदार प्रदर्शन के बाद ही क्रिकेट प्रेमी उन्हें जूनियर डान ब्रेडमैन कहने लगे थे। इसके बाद शुभमन गिल ने कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ खेलते हुए और भारतीय टीम के खेलते हुए कई मैचों में खुद को साबित किया। उनके पिता लखविंदर गिल का कहना है कि शुभमन अब भी अपना बेस्ट नहीं दे पाया है, उसको अपना बेहतरीन प्रदर्शन अभी देना है। उन्होंने कहा कि कुछ खराब पारियों से एक खिलाड़ी की क्लास का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है, वह अच्छा खेल रहे हैं।
पूरे दिन गेंदबाज शुभमन को आउट नहीं कर पाते थे
लखविंदर सिंह बताते हैं कि जब शुभमन पैदा भी नहीं हुए थे, तभी से उन्होंने उसे क्रिकेटर बनाने के सपने देखना शुरू कर दिए थे। फाजिल्का जिले के चक खेरेवाला गांव में शुभमन का जन्म हुआ। उसके लिए मैंने अपने सबसे बड़े खेत में एक स्थायी क्रिकेट ग्राउंड बना दिया ताकि शुभमन बतौर बल्लेबाज ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस कर सकें, इसके लिए में युवाओं को चुनौती देता जो शुभमन को आउट करेगा, उसे मैं 100 रुपये इनाम दूंगा। इनाम के लिए कई लड़के ग्राउंड में पहुंच जाते थे। शुरुआत के पांच से छह महीने मेरे पैसे खर्च हुए लेकिन फिर वो मुकाम आया कि पूरा दिन गेंदबाजी करने के बाद भी शुभमन को कोई आउट नहीं कर पाता था।
बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए छोड़ दी थी खेतीबाड़ी
लखविंदर बताते हैं कि बेटे की खातिर उन्होंने खेतीबाड़ी छोड़ दी और मोहाली में शिफ्ट हो गए। शुभमन ने काफी समय तक स्कूल की एक क्रिकेट एकेडमी में कोचिंग ली और उसके बाद मैंने उसे पीसीए मोहाली की क्रिकेट एकेडमी में एडमिशन दिलवा दिया। वहां शुभमन ने काफी कुछ सीखा। शुभमन की क्रिकेट में ऐसी लग्न लगी थी कि वह रोज सुबह 3.30 बजे उठते थे और 4 बजे एकेडमी में पहुंच जाते थे। दिन भर प्रैक्टिस करते और शाम को खड़े होकर सीनियर प्लेयर्स के सेशन को देखते। यह अब मेरा ही नहीं, शुभमन का भी जुनून है।