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रिश्वत केस में पेशी से छुटकारा पाना चाहता था याची, मेडिकल स्लिप पर अदालत को हुआ शक Chandigarh News

पेशी से बचने के लिए जगजीत ने बीमार होने और डॉक्टरों द्वारा उसे बेड रेस्ट करने की बात कही। मेडिकल स्लिप पर सिर्फ डॉक्टर की स्टैंप लगी है लेकिन साइन नहीं किए गए है।

By Vikas KumarEdited By: Published: Sun, 08 Sep 2019 02:28 PM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 02:28 PM (IST)
रिश्वत केस में पेशी से छुटकारा पाना चाहता था याची, मेडिकल स्लिप पर अदालत को हुआ शक Chandigarh News
रिश्वत केस में पेशी से छुटकारा पाना चाहता था याची, मेडिकल स्लिप पर अदालत को हुआ शक Chandigarh News

चंडीगढ़, जेएनएन। सीबीआइ की स्पेशल अदालत ने पचास हजार रुपये की रिश्वत मामले में आरोपित जगजीत सिंह की मेडिकल रिपोर्ट पर शक जताते हुए मोहाली डिस्ट्रिक्ट अस्पताल के सीएमओ को जांच करने के आदेश दिए हैं। जगजीत पंजाब स्टेट बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन एंड इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग के ज्वाइंट डायरेक्टर के रूप में तैनात था। रिश्वत लेने के मामले सीबीआइ ने उसे फरवरी, 2017 में गिरफ्तार किया था। अब अदालत में पेशी से बचने के लिए जगजीत ने याचिका दायर करते हुए बीमार होने और डॉक्टरों द्वारा उसे बेड रेस्ट करने की बात कही। अब मामले की अगली सुनवाई दस सितंबर को होगी।

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सिर्फ स्टैंप लगी थी साइन नहीं

दरअसल, जगजीत ने कोर्ट में एक एप्लीकेशन दी जिसमें कहा कि डॉक्टरों ने उसे बेड रेस्ट करने के लिए कहा है। लेकिन जगजीत ने जो रिकॉर्ड अदालत को दिया, उसमें दो स्लिप थी। उस पर सिर्फ डॉक्टर की स्टैंप लगी है लेकिन साइन नहीं किए गए हैं। एक ओपीडी स्लिप में सिविल हॉस्पिटल मोहाली के मेडिकल स्पेशलिस्ट डॉ. राजिंदर भूषण की दो जगह सिर्फ स्टैंप लगी थी लेकिन उनके साइन नहीं किए हुए थे। वहीं, एक जगह ईएमओ के साइन और स्टैंप दोनों लगे हुए थे। अदालत ने डॉ. राजिंदर भूषण और इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर (ईएमओ) के मेडिकल रिकॉर्ड को वेरिफाई कर रिपोर्ट अदालत में देने के आदेश दिए हैं।

आइटीआइ संचालक से मांगी थी घूस

आरोप के मुताबिक जगजीत ने एक आइटीआइ इंस्टीट्यूट के मालिक से 50 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी। जगजीत ने वहां पर रेड कर आइटीआइ संस्थान पर केस बनाया था कि वहां पर बच्चे फिजिकली प्रेजेंट नहीं होते लेकिन उनकी अटेंडेंस दिखाई जाती है। आरोप के मुताबिक पीएसबीटीई और आइटी विभाग ने उस संस्थान की एफिलिएशन कैंसिल करने के लिए शोकॉज नोटिस दिया था। जब संस्थान के मालिक ने विभाग में जाकर बात की तो वहां ज्वाइंट डायरेक्टर ने इस मामले को रफा दफा करने के लिए 50 हजार रुपये मांगे। उसने सीबीआइ को शिकायत दी जिसके बाद जगजीत सिंह को गिरफ्तार किया गया था।


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