बाबा रामदेव के खिलाफ दायर याचिका स्वीकार, शिकायतकर्ता व गवाहों के होंगे बयान दर्ज
चंडीगढ़ जिला अदालत में बाबा रामदेव के खिलाफ याचिका दायर स्वीकर कर दी गई है। अदालत ने शिकायतकर्ता और गवाहों को अपने बयान दर्ज करवाने के लिए कहा है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हाल ही में योग गुरु बाबा रामदेव (Baba Ramdev) ने कोरोनिल (Coronil) लांच कर कोरोना वायरस (Coronavirus) ठीक होने का दावा किया था। इसके खिलाफ चंडीगढ़ जिला अदालत में बाबा रामदेव के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकर कर दिया है। याचिका को स्वीकार करते हुए अदालत ने शिकायतकर्ता बिक्रमजीत सिंह बराड़ और गवाहों को अपने बयान दर्ज करवाने के लिए कहा है। मामले की अगली सुनवाई अब 27 जुलाई को होगी।
हाल में योग गुरु बाबा रामदेव ने कोरोना वायरस की दवा बनाने का दावा किया था। इसके लिए उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर दवा का प्रचार भी किया, लेकिन प्रचार के महज छह घंटे बाद ही आयुष मंत्रालय ने उनके विज्ञापन और दवाई के प्रचार व प्रसार पर रोक लगा दी थी। उनका कहना था कि रामदेव ने उनको इस दवाई के बारे में कुछ नहीं बताया और न ही इसके बारे में कोई परमिशन ली है।
वहीं, अब बाबा रामदेव के खिलाफ जिला अदालत चंडीगढ़ में भी एक वकील बिक्रमजीत सिंह बराड़ ने याचिका दायर कर उनके खिलाफ केस दायर करने की अपील की है। शहर के एक वकील ने अपनी याचिका में बताया कि रामदेव ने सरकार और संबंधित मेडिकल अथॉरिटी से बिना परमिशन लिए दवाई का प्रचार प्रसार किया। लोग इस समय कोरोना संक्रमण से डरे हैं और ऐसे में बिना परमिशन लिए अपनी दवा का प्रचार प्रसार करना लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ है, इसलिए उन पर आइपीसी की धारा 307 ( हत्या का प्रयास) और ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (ऑब्जेक्शनेबल एडवरटाइजमेंट) एक्ट 1954 के तहत मामला दर्ज किया जाए।
वकील ने बताया कि बाबा रामदेव ने दावा किया है कि उनके द्वारा कोरोना से लड़ने के लिए बनाई गई कोरोनिल नामक दवा मरीज को तीन से सात दिन में ठीक कर देगी, लेकिन बाबा रामदेव ने इसके बारे में आयुष मंत्रालय को कोई जानकारी नहीं दी। रामदेव ने यह भी नहीं बताया कि दवाई में किस तरह के कंटेंट्स कितनी मात्रा में मिलाए गए। ऐसे बिना जांच के और बिना संबंधित अथॉरिटी से मंजूरी लिए अगर दवा बाजार में आ जाती तो लाखों करोड़ों लोगों का जीवन खतरे में पड़ सकता था।