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धूल फांक रही सड़क निर्माण सामग्री की जांच करने वाली मशीनरी, विजिलेंस और सीबीआई को दी शिकायत Chandigarh News

नगर निगम ने साल 2016 में सड़क निर्माण सामग्री की ऑन द स्पॉट जांच करने वाली मशीनरी खरीदी थी पर इसका इस्तेमाल कभी नहीं किया।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Thu, 18 Jul 2019 11:18 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 11:18 AM (IST)
धूल फांक रही सड़क निर्माण सामग्री की जांच करने वाली मशीनरी, विजिलेंस और सीबीआई को दी शिकायत Chandigarh News
धूल फांक रही सड़क निर्माण सामग्री की जांच करने वाली मशीनरी, विजिलेंस और सीबीआई को दी शिकायत Chandigarh News

चंडीगढ़, जेएनएन। सड़कों के निर्माण के समय सामग्री की क्वालिटी चेक करने के लिए नगर निगम ने साल 2016 में मशीनरी और गाड़ी खरीदी थी पर इसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। मामला सीबीआई और चीफ विजिलेंस ऑफिसर के पास पहुंच गया है। कांग्रेस के पार्षद सतीश कैंथ ने इसकी शिकायत दी है। इसमें उन्होंने कहा है कि मशीनरी खरीदने के बावजूद इसका प्रयोग नहीं किया गया। उलटे सड़क निर्माण में प्रयोग होने वाली सामग्री की निजी प्रयोगशाला में जांच करवाई जा रही है। उन्होंने उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है जिन्होंने इस टेस्टिंग मशीन और वाहन को अपने निजी हित के लिए खरीदा था।

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यह मशीनरी इस समय नगर निगम दफ्तर की बेसमेंट में धूल फांक रही है। इसके लिए एक जेईई भी तैनात है पर इसका प्रयोग नहीं किया जा रहा है। पार्षद कैथ ने शिकायत में कहा है कि मशीनरी का प्रयोग मोबाइल टेस्टिंग यूनिट के तौर पर होना था। इसके लिए एक बोलेरो गाड़ी भी खरीदने का प्रस्ताव पास हुआ था। प्रस्ताव पास होने के समय अधिकारियों ने कहा था कि यह मशीन ऑन द स्पॉट सामग्री की जांच कर सकेगी। आज तक इसका इस्तेमाल नहीं किया गया है।

कैथ का कहना है कि नगर निगम ने बोलेरो गाड़ी की जगह टाटा गाड़ी अपने आप खरीद ली। अपनी शिकायत में कहा है कि इस मामले की जांच की जानी चाहिए कि मशीनरी होने के बावजूद कितने सड़क का कारपेटिंग की सामग्री की जांच बाहर से निजी प्रयोगशाला में करवाई गई। शिकायत में कहा गया है कि बाहर से जांच करवाने पर ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।

मालूम हो कि पिछले 2 साल में शहर में 50 करोड़ से ज्यादा सड़कों की कारपेटिंग पर खर्चा हो चुका है। हर 5 साल में एक बार सड़क की कारपेटिंग करने का नियम है। बावजूद इसके कई सड़कों की हालत एक साल में ही खराब हो जाती है।

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