कोरोना का कहर... कटाई के बाद गेहूं को संभालना चुनौती, डबल खर्च की आशंका से किसान चिंतित
पहले ही मार झेल रहे किसान पर कोरोना वायरस की भी मार पड़ी है। खरीद में देर होने से किसान को दोहरा खर्च करना पड़ेगा।
चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब में अगले सप्ताह से गेहूं की कटाई शुरू हो जाएगी, लेकिन इसकी खरीद को लेकर किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है। Corornavirus के प्रसार को रोकने के लिए प्रदेश में 15 अप्रैल तक कर्फ्यू लागू है और पूरे देश में Lockdown है। गेहूं की खरीद को लेकर पंजाब सरकार की ओर से अभी तक कोई निर्देश न आने से किसान असमंजस में हैं। ऐसी खबरें भी सामने आ रही हैं कि पहले किसान खेत से गेहूं अपने घर ले जाएंगे और जब कोरोना का खतरा खत्म हो जाएगा तब मंडियों में फसल ले जाएंगे। इससे भी किसान चिंतित हैं क्योंकि गेहूं की ढुलाई पर उनका खर्च डबल हो जाएगा और वे पहले से ही कर्ज में दबे हुए हैं। उधर, मुख्यमंत्री कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि जिन किसानों की कर्ज की लिमिट बनी हुई है उनकी किस्तों को स्थगित किया जा रहा है ताकि अतिरिक्त भार न पड़े।
पंजाब सरकार ने गेहूं की खरीद 15 दिनों के लिए टाल दी है। इससे पहले पहली अप्रैल को प्रदेश में गेहूं की खरीद का काम शुरू हो जाता था। इस बार सरकार ने घोषणा की है कि 15 अप्रैल के बाद ही गेहूं की खरीद शुरू की जाएगी। खरीद की तारीख तो सरकार ने बता दी है लेकिन इसे खरीदा किस तरह जाएगा, इसके बारे में अभी तक कोई भी निर्देश नहीं दिए हैं। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में इस बात को लेकर चर्चा और बैठकों का सिलसिला जारी है कि किसानों को किस तरह से मंडियों में लाया जाए।
किसानों को मनाने के लिए आढ़तियों से संपर्क
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारी सभी आढ़तियों से संपर्क कर रहे हैं। इन सभी से कहा जा रहा है कि वे किसानों के साथ बात करें और उन्हें इस बात के लिए मनाएं कि वे एक साथ अपनी फसल मंडियों में न लाएं। चूंकि अभी कोरोना वायरस को लेकर खतरा बना हुआ है, इसलिए किसानों के एक साथ मंडियों में पहुंचने से यह और बढ़ सकता है। दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि वह अपनी फसल को घर में नहीं रख पाएंगे क्योंकि 'यादातर छोटे किसान ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं।
सभी किसान घर में फसल रखने में सक्षम नहीं : हरमीत सिंह
फतेहगढ़ साहिब के गांव डडियाना के किसान हरमीत सिंह ने बताया कि अभी तक उन्हें कुछ नहीं पता है कि अगर उनकी फसल मंडियों में देर से जाती है तो वह कर्ज वापस कैसे करेंगे, सरकार की ओर से कोई सुविधा मिलेगी कि नहीं? इसके अलावा किसान अगर अपनी फसल मंडियों में न ले जाकर खेत से अपने घर में रखते हैं तो उनका खर्च डबल हो जाएगा क्योंकि फसल घर से मंडियों में तो ले ही जानी पड़ेगी। इसके अलावा सभी किसान ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं क्योंकि 'यादातर के पास इतनी फसल रखने के लिए घर में जगह नहीं है। इन दिनों आए दिन पर बेमौसमी बरसात भी हो रही है।
छोटे किसानों को सीधे मंडी में फसल लाने की इजाजत मिले
हरमीत सिंह ने कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि छोटे किसानों की फसलों को मंडियों में तुरंत लाने की इजाजत दी जाए। उसके बाद बड़े किसानों की फसल मंगवाई जाए। ऐसा करने से दो लाभ होंगे। एक तो किसानों की फसल खराब नहीं होगी और दूसरा छोटे किसान जिन्होंने बैंकों, सहकारी सोसायटी आदि से जो कर्ज लिया हुआ है उस पर उन्हें अतिरिक्त ब्याज नहीं देना पड़ेगा । बड़े किसानों के पास फसल को अपने घर में रखने के प्रबंध भी हैं और वह इसमें सक्षम भी हैं। अगर उन्हें 15 या 20 दिन देरी से भी गेहूं मंडियों में ले जाने पड़ा तो वे ले जा सकते हैं ।
इस बार खरीद सीजन लंबा होगा : आशु
खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु ने कहा है कि किसानों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। सरकार इस बार गेहूं खरीद का सीजन लंबा करेगी। एक-एक दाना खरीदा जाएगा। आढ़तियों के जरिए हम लगातार किसानों से संपर्क साध रहे हैं। किसानों को टोकन मुहैया करवाए जाएंगे ताकि वे एक साथ फसल मंडियों में न लाएं।
आशु से पूछा गया कि किसानों पर लेबर का अतिरिक्त भार पड़ेगा तो उन्होंने कहा कि यह संकट की स्थिति है और इससे निपटने के लिए सभी को अपना अपना योगदान देना होगा । यह अमन कानून की स्थिति नहीं है बल्कि स्वास्थ्य संकट है, इसलिए सभी का साथ जरूरी है। किसान अगर 'यादा संख्या में मंडियों में आएंगे तो उनकी सेहत पर भी इसका असर पड़ सकता है, इसलिए अगर थोड़ा- बहुत अतिरिक्त खर्च सहकर सहयोग कर सकें तो यह उनके लिए भी अच्छा रहेगा।
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