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सावधान! अगर इस बार खेतों में पराली जली तो कोरोना संक्रणण हो जाएगा और भी जानलेवा

डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना संक्रमण से 80 फीसद मौत डायबिटिक हाईपरटेंशन वाले मरीजों की हो रही है। सांस में तकलीफ मौत की मुख्य वजह बन रही है।

By Edited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 06:46 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 09:25 AM (IST)
सावधान! अगर इस बार खेतों में पराली जली तो कोरोना संक्रणण हो जाएगा और भी जानलेवा
सावधान! अगर इस बार खेतों में पराली जली तो कोरोना संक्रणण हो जाएगा और भी जानलेवा

चंडीगढ़, बलवान करिवाल। कोरोना संक्रमण ऐसे ही फैलता रहा तो अक्तूबर में यह और जानलेवा हो सकता है। इसका मुख्य कारण खेतों में जलाई जाने वाली पराली हो सकती है। यह पराली महामारी के दौर में आग में घी का काम कर सकती है। डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना संक्रमण से 80 फीसद मौत डायबिटिक हाईपरटेंशन वाले मरीजों की हो रही है। सांस में तकलीफ मौत की मुख्य वजह बन रही है। यह तो तब है जब लॉकडाउन के बाद प्रदूषण का स्तर काफी हद तक कम हुआ है।

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पराली जलने से जहरीली गैस निकलकर हवा में घुल जाती है, जो आम दिनों में ही एयर क्वालिटी इंडेक्स को बुरी तरह से बिगाड़ सांस लेने में परेशानी पैदा करती है। डॉक्टरों की मानें तो अब कोरोना संक्रमण के कारण हालत पहले ही खराब है। इस बार अगर पराली जलने से नहीं रोकी गई तो बाद में पछताने के अलावा कुछ नहीं बचेगा।

पंजाब-हरियाणा में शुरू हो चुका है पराली जलने का सिलसिला

पंजाब-हरियाणा में अगेती धान की कटाई शुरू हो चुकी है। पूसा 1509 किस्म की धान एक सप्ताह से कट रही है। कई किसान धान कटने के बाद अपने खेत में दूसरी फसल उगाने के लिए पराली जलाने लगे हैं। अभी इक्का-दुक्का जगह ही यह घटनाएं होने लगी हैं। अक्तूबर में दूसरी किस्मों की कटाई भी शुरू हो जाएगी। उसके बाद अगर पराली जलने से नहीं रोकी गई तो यह घातक रूप ले लेगा। अक्तूबर में रातें ठंडी होने से तापमान में भी गिरावट आएगी। ठंड के दिनों में वैसे ही प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है।

चंडीगढ़ में एयर क्वालिटी इंडेक्स अक्तूबर नवंबर में 300 के पार पहुंच जाता है। पांच महीने तक जो एक्यूआइ 50 से नीचे रहा, अब वह 100 के आस-पास पहुंचने लगा है। जाहिर है तापमान में गिरावट के साथ यह और बढ़ेगा।

प्रदूषण का एक्यूआइ मानक

0-50 अच्छा

51-100 संतोषजनक

101-200 मॉडरेट

201-300 खराब

301-400 बेहद खराब

401-500 बेहद ज्यादा खराब

एक टन पराली से 1724 किलो जहर

कार्बन डाईऑक्साइड - 1460 किलो

राख - 199 किलो

कार्बन मोनोऑक्साइड - 60 किलो

सल्फर डाईऑक्साइड - 2 किलो

अन्य जहरीले कण - 3 किलो

पराली जलना हर साल ही सुर्खियों में रहता है, लेकिन इस बार हालात गंभीर है। इस गंभीरता को पहले से ही समझना आवश्यक है। एक तरफ कोरोना महामारी दूसरी तरफ पराली जलने से हवा जहरीली मौत को सीधा निमंत्रण है। कोरोना कमजोर इम्यूनिटी और सांस की दिक्कत से ¨जदगी को मौत में बदल रहा है। पराली से निकलने वाली गैस तो ठीक व्यक्ति का इम्यून सिस्टम भी खराब कर सकती है। बाद में एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो उससे पहले ही गंभीरता समझकर किसानों को उपाय सुझाने चाहिए। इससे वह पराली न जलाएं।

प्रो. एडी आहलुवालिया, पर्यावरण विशेषज्ञ।

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