'उड़ता पंजाब' को लेकर गरमाई सियासत
पंजाब में बढ़ते नशे पर बनी फिल्म उड़ता पंजाब को लेकर विवाद पैदा होने लगा है। इसको लेकर पंजाब की राजनीति गरमा गई है।
हरिश्चंद, चंडीगढ़ । लंबे समय से पंजाब के ज्वलंत मसलों पर बनी फिल्में सेंसर बोर्ड की कैंची से बच नहीं पा रही। यदि वहां से किसी चर्चित या विवादित विषय पर बनी फिल्म सर्टिफिकेट लेकर रिलीज की तैयारी भी करे तो पंजाब में उस पर प्रतिबंध लग जाता है।
ताजा विवाद छिड़ा है प्रख्यात फिल्म निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप की फिल्म उड़ता पंजाब को लेकर। करीना कपूर, शाहिद कपूर, आलिया भट्ट व दिलजीत दोसांझ जैसे कलाकारों वाली इस फिल्म के केंद्र बिंदु में नशा और पंजाब है और यही वजह है कि पंजाब में इसे लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। अकाली दल ने हालांकि इसे लेकर कोई विरोध नहीं जताया है मगर सेंसर बोर्ड द्वारा जैसे इसे यू ए सर्टिफिकेट देने के लिए 89 दृष्यों पर कैंची चलाने को कहा है। यदि फिल्म की निर्माता कंपनी यह सीन नहीं हटाती तो फिल्म रिलीज नहीं हो पाएगी। साथ ही सेसर बोर्ड ने फिल्म के टाइटल के अलावा पूरी फिल्म में कहीं भी पंजाब का जिक्र न करने को कहा है।
वैसे यह पहला मौका नहीं है जब पंजाब से जुड़े किसी मुद्दे पर बनी फिल्म विवादों में घिर कर सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट लेने में चूक गई हो या पंजाब में रिलीज न हो पाई हो। कौम दे हीरे, साडा हक, एमएसजी, एमएसजी-2, नानक शाह फकीर आदि फिल्मों पर बैन लगा और बाद में इनमें से कुछ पर लगा प्रतिबंध सरकार ने खुद या अदालत के दखल के बाद उठा लिया।
देश विदेश में पंजाबी गानों से धूम मचाने विख्यात गायक गुरदास मान ने 1980 के दशक की शुरूआत में जब अपना करियर शुरू किया था तब उन्होंने एक गाना गाया था 'की बणू दुनिया दा, सच्चे पातशाह वाहेगुरु जाणे।इस गीत में एक जगह वह कहते हैं 'नशेयां ने पट्ट ते पंजाबी गबरू, कड़कण हड्डियां वजाण डमरू, सियासतां ने मारती जवानी चढ़दी ...। यानी पंजाब के युवा वर्ग में तब भी नशे का बोलबाला था और ड्रग माफिया को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था।
जाहिर है कि पंजाब में नशा कोई नया मुद्दा नहीं है, अलबत्ता अब राजनीतिक मुद्दा जरूर बन गया है। हालांकि पिछले अरसे के दौरान बड़ी तादाद में ड्रग स्मगलरों की धरपकड़ व नशे की बरामदगी कई गुणा बढ़ी है मगर फिर भी विरोधी दलों द्वारा सत्तारूढ़ गठबंधन को लगातार कटहरे में खड़ा किया जा रहा है। विरोधी दल इस सामाजिक मुद्दे का राजनीतिकरण करने में जुटे हुए हैं।
एतराज से पंजाब सरकार का लेना-देना नहींः बादल
मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का कहना है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टीफिकेशन द्वारा उड़ता पंजाब फिल्म की स्क्रीनिंग पर उठाए ऐतराज से पंजाब सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। यह संस्था सीधे तौर पर केंद्र सरकार के कंट्रोल के तहत कम करती है, ऐसे में राज्य सरकार को किस तरह जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
बोर्ड का फैसला निंदनीयः कै. अमरिंदर सिंह
प्रदेश कांग्रेस प्रधान कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि सेंसर बोर्ड का फैसला निंदनीय है, उड़ता पंजाब फिल्म से पंजाब से जुड़ी सभी टिप्पणियां हटाना शरीर से उसकी आत्मा निकालने के समान है। बेहतर होगा यदि अकाली-भाजपा सरकार पंजाब में नशे के जहर की कड़वी सच्चाई को दबाने की बजाय इस समस्या के निपटारे पर पूरा दम लगाए। उम्मीद है कि सेंसर बोर्ड को सद्बुद्धि आएगी और वह निष्पक्ष कार्रवाई करते हुए फिल्म को बगैर काटे रिलीज होने की इजाजत देगा।
बेवजह थोपी जा रही बंदिशेंः संजय सिंह
आम आदमी पार्टी के पंजाब प्रभारी संजय सिंह का कहना है कि पंजाब के नशे की समस्या पर बनी फिल्म उड़ता पंजाब के प्रदर्शन पर बेवजह बंदिशें थोपी जा रही हैं। इस फिल्म के रिलीज होने से पंजाब की बदनामी नहीं होगी, क्योंकि सत्ता में बैठे कुछ लोग ही पंजाब को बदनाम कर रहे हैं।