पीयू में Law Course में दाखिले के नियम बदलने को लेकर विवाद, मामला वीसी व चांसलर आॅफिस तक पहुंचा
पीयू के पांच वर्षीय लाॅ कोर्स में दाखिले के लिए जारी संभावित मेरिट लिस्ट जारी होते ही विवाद खड़ा हो गया है। स्टूडेंट्स ने मामले की शिकायत विभाग डायरेक्टर से लेकर वीसी और नई दिल्ली में पीयू चांसलर एम वैंकेया नायडू तक को कर दी है।
चंडीगढ़, [डाॅ. सुमित सिंह श्योराण]। न्याय का पाठ पढ़ाने वाले ही न्याय तोड़ने लगें, तो फिर सिस्टम पर सवाल उठना लाजमी है। पंजाब यूनिवर्सिटी के पांच वर्षीय लाॅ कोर्स में दाखिले के लिए जारी संभावित मेरिट लिस्ट जारी होते ही विवाद खड़ा हो गया है। 19 अक्टूबर को यूआईएलएस द्वारा जो संभावित मेरिट लिस्ट जारी की गई है, उसे लेकर विरोध शुरु हो गया है। मामला इतना बढ़ गया है कि स्टूडेंट्स ने मामले की शिकायत विभाग डायरेक्टर से लेकर वीसी और नई दिल्ली में पीयू चांसलर एम वैंकेया नायडू तक कर दी है। पीयू ने मामले में हस्तक्षेप नहीं किया तो स्टूडेंट्स कोर्ट भी जा सकते हैं।
यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आॅफ लीगल स्टडी (यूआईएलएस) नार्थ रीजन ही नही देश के टाॅप लाॅ इंस्टीट्यूट में शामिल हैं। हर साल यहां बीए-एलएलबी (180 सीटें) और बीकाॅम-एलएलबी(120 सीटें) पर दाखिला दिया जाता है। बीते सालों में यूआईएलएस में दाखिला एंट्रेंस टेस्ट की मेरिट पर होता था, लेकिन इस बार कोविड-19 के कारण स्टूडेंट्स की मेरिट 12वीं के अंक और अन्य खेल,एनसीसी,एनएसएस सहित अन्य एकेडिमक रिकार्ड से बनाई गई है। विभाग द्वारा संभावित मेरिट लिस्ट को लेकर स्टूडेंट्स का आरोप है कि कुछ खास अधिकारियों के बच्चों को लाभ देने के लिए मेरिट लिस्ट जारी करने से कुछ समय पहले ही 12वीं में लीगल स्टडी विषय पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को चार अतिरिक्त अंक दे दिए गए। जबकि इस बारे में प्रास्पेक्टस में कोई जानकारी नहीं दी गई थी।
दाखिला प्रक्रिया के बीच में कैसे बदले नियम
बीते मार्च महीने में यूआईएलएस में बीए-एलएलबी और बीकाॅम-एलएलबी (फाइव ईयर) में दाखिले के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए। कोविड-19 के कारण सितंबर में पीयू ने हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद 12वीं के अंकों के आधार पर मेरिट से ही दाखिला देने का फैसला लिया। इसी बीच 2 सिंतबर 2020 को डीन फैकल्टी आॅफ लाॅ और चेयरपर्सन, ज्वाइंट एडिमशन कमेटी अनु चतरथ द्वारा कंट्रोलर आॅफ एग्जामिनेशन को चिट्ठी भेजी गई, जिसमें बताया गया कि डीयूआई की ओर से गठित ज्वाइंट एडमिशन कमेटी ने 20 अगस्त 2020 को हुई मीटिंग में पांच वर्षीय लाॅ कोर्स में दाखिले के लिए 12वीं में लीगल स्टडी पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को 4 अंक अतिरिक्त दिए जाएं। ज्वाइंट एडमिशन कमेटी के इस फैसले का पता स्टूडेंट्स को सोमवार संभावित मेरिट लिस्ट जारी होने से कुछ घंटे पहले ही पता चला। जिसके बाद स्टूडेंट्स ने पीयू प्रशासन के इस फैसले का विरोध करना शुरु कर दिया है।
प्राॅस्पेक्ट्स जारी होने पर कैसे बदल गए नियम
अभिभावकों का आरोप है कि मेरिट लिस्ट से पहले नियमों में बदलाव कुछ खास स्टूडेंट्स को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। एक अभिभावक ने बताया कि ट्राईसिटी के 98 फीसद प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में 12वीं आर्ट्स में लीगल स्टडी सब्जेक्ट का विकल्प ही नहीं है। नए नियम से 12वीं में अच्छे अंक पाने वाले स्टूडेंट्स भी मेरिट में पिछड़ गए हैं। एक अन्य अभिभावक का कहना है कि दाखिले संबंधी नियमों को किसी भी संस्था द्वारा प्राॅस्पेक्टस तैयार करने से पहले तय करना होता है।
मामले की शिकयात पहुंची वीसी और चांसलर तक
यूआईएलएस में दाखिले प्रक्रिया को लेकर कई स्टूडेंट्स ने विरोध शुरु कर दिया हैं। दाखिले के लिए आवेदन करने वाली छात्रा गुरमनगीत कौर पांडे द्वारा इस मामले में डायरेक्टर यूआईएलएस, वीसी और चांसलर पीयू को लिखित शिकायत भेजी गई है। कौर का कहना है कि उनके 12वीं में 96.4 फीसद अंक हैं। लेकिन उन्हें एनएसएस के साथ ही 12वीं में उनके आर्ट्स संकाय के किसी सब्जेक्ट के अतिरिक्त अंक नहीं दिए गए। जबकि लीगल स्टडी स्टूडेंट्स के बोर्ड में कम अंक होने के बाद भी मेरिट में अधिक अंक बन गए हैं। जिससे उसकी मेरिट प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि लाॅ कोर्स में जब इकोनाॅमिक्स, पाॅलिटिकल साइंस जैसे आर्ट्स को कई विषय पढ़ाए जाते हैं, तो उन्हें वेटेज क्यों नहीं दी जा रही। गुरमनगीत का आरोप है कि पीयू द्वारा लाॅ कोर्स में दाखिले को लेकर नियमों में बदलाव सही नहीं है। इस मामले में उच्च अधिकारियों को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।
मेरिट लिस्ट में लीगल स्टडी विषय वाले स्टूडेंट्स को वेटेज देने का फैसला ज्वाइंट एडिमशन कमेटी की ओर से लिया गया है। ज्वाइंट एडमिशन कमेटी ही विभाग में एडिमशन से जुड़े नियमों को तय करती है। 2013 में अदित्य प्रताप की जजमेंट में बीकाॅम की वेटेज देने के मामले में भी पीयू को लाॅ की काउंसलिंग कैंसिल करनी पड़ी थी। अगर किसी स्टूडेंट्स को मेरिट नियमों को लेकर कोई दिक्कत है, तो वह शिकायत हमें भेज सकता हैं। इससे अधिक मैं कुछ नहीं बता सकती। इस बारे में अधिक जानकारी डीयूआई आॅफिस ही दे सकता है।
प्रोफेसर राजेंद्र कौर, डायरेक्टर यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आॅफ लीगल स्टडी, पंजाब यूनिवर्सिटी।