फेस्ट 2018 के सर्टिफिकेट पर लैंग्वेज को लेकर स्टूडेंट काउंसिल में बढ़ा विवाद
पंजाब यूनिवर्सिटी में ताजा विवाद हाल ही में आयोजित स्टूडेंट काउंसिल की ओर से आयोजित सालाना फेस्ट आगाज-2018 को लेकर है।
चंडीगढ़, डॉ. सुमित सिंह श्योराण पंजाब यूनिवर्सिटी में एक के बाद एक विवाद बढ़ते जा रहे हैैं। ताजा विवाद पंजाब यूनिवर्सिटी में हाल ही में आयोजित स्टूडेंट काउंसिल की ओर से आयोजित सालाना फेस्ट आगाज-2018 को लेकर है। इस आयोजन में हिस्सा लेने वाले स्टूडेंट्स को दिए गए सर्टिफिकेट की लैैंग्वेज को लेकर फिर से विवाद हो गया है। यह कार्यक्रम स्टूडेंट काउंसिल में जीतकर आए एसएफएस और इनसो द्वारा संयुक्त रुप से आयोजित किया गया था। इनसो द्वारा जारी किए गए सर्टिफिकेट में इंग्लिश का प्रयोग किया गया है, जबकि एसएफएस नेता और स्टूडेंट काउंसिल प्रेसिडेंट कनुप्रिया की ओर से जारी सर्टिफिकेट्स में पंजाबी भाषा का प्रयोग किया गया है।
इनसो नेता और काउंसिल सेक्रेटरी अमरिंदर सिंह का आरोप है कि स्टूडेंट काउंसिल प्रेसिडेंट कनुप्रिया द्वारा पीयू के स्टूडेंट्स पर पंजाबी को जबर्दस्ती थोपा जा रहा है। जबकि हकीकत यह है कि पीयू में भी बहुत से स्टूडेंट्स पंजाबी लैंग्वेज नहीं जानतो, क्योंकि पीयू में देश ही नहीं विदेश से भी स्टूडेंट्स पढऩे आते हैं। उन्होंने कनुप्रिया एक रीजनल लैंग्वेज के इस तरह प्रचार को पूरी तरह से गलत बताया है। अमरिंदर के अनुसार कहा कि अंग्रेजी को पीयू के सभी टीचिंग और नॉन टीचिंग सभी लोग अ'छी तरह से पढ़ सकते हैं। ऐसे में उन्होंने सर्टिफिकेट अंग्रेजी में छपवाए हैं। उधर इस मामले में स्टूडेंट काउंसिल प्रेसिडेंट कनुप्रिया का कहना है कि पंजाबी स्टेट लैंग्वेज है। ऐसे में पंजाबी में सर्टिफिकेट प्रकाशित करवाना बिल्कुल भी गलत नहीं है।
मामला अधिकारियों तक पहुंचा
सर्टिफिकेट पर लैंग्वेज मामले को लेकर स्टूडेंट काउंसिल प्रेसिडेंट कनुप्रिया और सेक्रेटरी अमरिंदर सिंह के बीच चला रहा विवाद पीयू के आला अधिकारियों तक पहुंच चुका है। मामले में जल्द ही कमेटी सुनवाई करेगी। गौरतलब है कि आगाज फेस्ट पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन की मंजूरी के बाद ही हर साल आयोजित किया जाता है। ऐसे में भविष्य में इस तरह के विवाद से बचने के लिए सर्टिफिकेट की प्रिंटिंग को लेकर पीयू प्रशासन अपने स्तर पर ही कार्रवाई कर सकता है।
नोटिस बोर्ड पर पोती कालिख
पंजाब यूनिवर्सिटी में लैैंग्वेज को लेकर बीते काफी दिनों से विवाद चल रहा है। एमएचआरडी द्वारा पीयू में हिंदी को अधिकारिक भाषा के तौर पर प्रयोग करने का निर्देश जारी हो चुका है। उधर पीयू में एसएफएस द्वारा काफी समय से पंजाबी को प्रशासनिक भाषा का दर्जा दिए जाने की मांग चल रही है। बीते दिनों रात को पीयू के कई बोर्ड पर किसी ने कालिख पोत दी थी। लेकिन अभी तक आरोपित को नहीं पकड़ा जा सका।