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दरबार साहिब में महिलाओं के कीर्तन को लेकर फिर उठा विवाद, पूर्व जत्‍थेदार विरोध में उतरे

पंजाब में अब श्री दरबार साहिब में महिलाओं को कीर्तन के अधिकार को लेकर विवाद शुरू हो गया है। विधानसभा के इस प्रस्‍ताव का विरोध हो रहा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 09:46 AM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 09:46 AM (IST)
दरबार साहिब में महिलाओं के कीर्तन को लेकर फिर उठा विवाद, पूर्व जत्‍थेदार विरोध में उतरे
दरबार साहिब में महिलाओं के कीर्तन को लेकर फिर उठा विवाद, पूर्व जत्‍थेदार विरोध में उतरे

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। श्री दरबार साहिब में महिलाओं के कीर्तन करने का मुद्दा एक बार फिर से सिख राजनीति में गर्मा गया है। यह मुद्दा पिछले दो दशकों से शांत बना हुआ था, लेकिन वीरवार को ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने यह प्रस्ताव विधानसभा में रखा जिसे अच्छी खासी बहस के बाद पारित कर दिया गया है। इस प्रस्ताव को लेकर राजनीतिक हलकों में बहस तेज हो गई है। श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदारों व एसजीपीसी पदाधिकारियों ने इस प्रस्वाव को सिखों के मामलों में दखलअंदाजी बताया है।

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श्री अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदारों ने सरकार के प्रस्ताव को सिखों के मामलों में हस्तक्षेप बताया

काबिले गौर है कि दो दशक पहले भी यह मुद्दा उठा था तब एसजीपीसी के तत्कालीन प्रधान जत्थेदार गुरचरन सिंह टोहरा ने इसका विरोध यह कहते हुए किया था कि यह गुर मर्यादा और परंपरा का उल्लंघन है। उनके करीबी और एसजीपीसी के सदस्य रहे अमरिंदर सिंह आज भी इस बात पर अडिग हैं कि श्री दरबार साहिब के अंदर महिलाओं को कीर्तन करने की इजाजत गुरु अर्जुन देव जी के समय से ही नहीं दी गई है।

उधर, एसजीपीसी की महासचिव रहीं किरणजोत कौर ने महिलाओं को दरबार साहिब में कीर्तन करने की तो हिमायत की है, लेकिन इस तरह का प्रस्ताव सरकार की ओर से लाने का विरोध किया है। उनहोंने इसे सिख धर्म में सरकार की सीधी दखलअंदाजी बताया है।

दो दशक पहले जब मुद्दा उठा था तो एसजीपीसी के तत्कालीन अध्यक्ष टोहरा ने किया था विरोध

एसजीपीसी के पूर्व सदस्य अमरिंदर सिंह का कहना है कि दरबार साहिब में कीर्तन करना गुरु अर्जुन देव जी ने शुरू किया था तब भी कभी महिलाओं ने वहां कीर्तन नहीं किया। चार सौ साल पुरानी गुरु साहिब की मर्यादा को तोडऩा सही नहीं है। ऐसा नहीं है कि केवल महिलाओं को इजाजत नहीं दी जाती बल्कि किसी भी गैर अमृतधारी सिख को भी कीर्तन नहीं करने दिया जाता।

उन्होंने कहा कि भाई मरदाना के वंशजों की ओर से भी यहां कीर्तन करने की इच्छा जाहिर की गई थी तब भी यही कहा गया था कि वह मंजी साहिब दीवान हाल में ऐसा कर सकते हैं, लेकिन दरबार साहिब के अंदर नहीं। उन्होंने कहा कि एकमात्र दरबार साहिब के अंदर कीर्तन न करने की इजाजत देने से महिलाओं के अधिकार खत्म नहीं हो जाते हैं। दरबार साहिब के पास ही बने मंजी साहिब दीवान हाल में ऐसा किया जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि योगी हरभजन सिंह ने भी ऐसी इच्छा जाहिर की थी लेकिन तब भी इसका विरोध हुआ था। अब एक बार फिर से यह विवाद खड़ा हो गया है। काबिले गौर है कि सुबह स्नान सेवा का अधिकार भी महिलाओं को नहीं है।

महिलाओं को कीर्तन करने का हक : किरनजोत कौर

एसजीपीसी के पूर्व सदस्य अमङ्क्षरदर सिंह से बीबी किरणजोत कौर सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि महिलाओं को कीर्तन न करने की इजाजत महंतों ने चलाई थी और जो बात गुरमति सिद्धांत से मेल नहीं खाती उसे बदलना चाहिए। महिलाओं को कीर्तन करने का पूरा हक है। उन्होंने कहा कि मुझे यह समझ में नहीं आता कि इस तरह का प्रस्ताव सरकार क्यों ला रही है। सरकार को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। यह एसजीपीसी का काम है

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धर्म में हो रही राजनीति : ज्ञानी रघुबीर सिंह

तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने कहा कि महिलाओं को कीर्तन करने का अधिकार देने का मामला सिख कौम का अपना निजी मामला हैै। इस संबंधी श्री अकाल तख्त साहिब पर ही फैसला हो सकता है। विधानसभा में इस तरह का प्रस्ताव पारित करना धर्म में राजनीति की दखलअंदाजी है।

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सिंह साहिब लें फैसला : ज्ञानी जोगिंदर सिंह

श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी जोगिंदर सिंह वेदांती ने कहा कि मामला सिख धर्म की रहत मर्यादा के साथ जुड़ा हुआ है। महिलाओं को श्री हरिमंदिर साहिब में कीर्तन करने का विवाद काफी पुराना है। इस पर सिख बुद्धिजीवियों और धार्मिक विद्वानों की चर्चा के लिए एक धार्मिक कमेटी बननी चाहिए। जो इस संबंध में फैसला लेकर अकाल तख्त साहिब को सूचित करे। इसके बाद पांच सिंह साहिब इस पर अपना फैसला लें। विधानसभा में धार्मिक फैसले नहीं लेने चाहिए।

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सिख कौम ही ले सकती है ऐसे फैसले : भाई रणजीत सिंह

श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार भाई रणजीत सिंह कहते हैं कि बादल परिवार की ओर से एसजीपीसी और श्री अकाल तख्त साहिब के सिद्धांतों का सरकारीकरण कर दिया गया है। दोनों संस्थानों के अंदर सरकारी दखलअंंदाजी बढ़ गई थी जिसका परिणाम है कि आज पंजाब विधानसभा में यह प्रस्ताव पारित किया गया है। महिलाओं को कीर्तन करने की इजाजत देने का फैसला पूर्ण रूप में सिख धर्म के साथ जुड़ा मुद्दा है। यह फैसला सिख कौम और सिख बुद्धिजीवी ही ले सकते हैंं। सरकार की दखलअंदाजी गलत है। एसजीपीसी और तख्त साहिबों पर बैठे लोगों में कौम के फैसले लेने की हिम्मत नहीं रह गई है। यही कारण है कि सरकारें इस संबंधी विधानसभाओं में फैसले ले रही हैं।

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महिलाओं को मिलना चाहिए अधिकार : ज्ञानी केवल सिंह

तख्त श्री दमदमा साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी केवल सिंह ने कहा कि यह एक सिख धर्म के सिद्धांतों का मामला है। सिख धर्म में महिलाओं को पुरुषों के बराबर का अधिकार है। यह सम्मान गुरु साहिब की ओर से दिया गया है। एसजीपीसी और श्री अकाल तख्त साहिब को भी फैसला लेकर गुरु साहिब के 550वें प्रकाश पर्व पर महिलाओं को श्री दरबार साहिब में कीर्तन की इजाजत देनी चाहिए। रहत मर्यादा में इस तरह की कोई भी मनाही नहींं है कि महिलाएं कीर्तन नहीं कर सकती।

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सार्थक निपटारा होना चाहिए : जत्थेदार मक्कड़

एसजीपीसी के पूर्व अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ ने कहा कि महिलाओं को श्री हरिमंदिर साहिब में कीर्तन करने का अधिकार देने की मांग काफी लंबे समय से चली आ रही है। यह कोई मर्यादा का मामला नहीं है। यह सिख सिद्धांतों का मामला है। अगर पंजाब विधान सभा में इस संबंधी प्रस्ताव पारित हो गया है तो इस संंबंधी अब एसजीपीसी के मौजूदा नेतृत्व और श्री अकाल तख्त साहिब को स्पष्ट सार्थक फैसला लेना चाहिए।

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