Move to Jagran APP

पेड पार्किंग के एमओयू की शर्तो की जांच कराए सलाहकार

पेड पार्किग के मामले में कांग्रेस पार्षद एवं प्रवक्ता सतीश कैंथ ने सलाहकार धर्म पाल को पत्र लिखा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 11:55 PM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 11:55 PM (IST)
पेड पार्किंग के एमओयू की शर्तो की जांच कराए सलाहकार
पेड पार्किंग के एमओयू की शर्तो की जांच कराए सलाहकार

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पेड पार्किग के मामले में कांग्रेस पार्षद एवं प्रवक्ता सतीश कैंथ ने सलाहकार धर्म पाल को पत्र लिखा है। कैंथ ने कहा है कि शहर की पेड पार्किग में स्मार्ट फीचर न लगे होने के मामले पर सलाहकार ने भी संज्ञान लेते हुए सवाल खड़ा किया था। पत्र में कहा है कि मुद्दा चंड़ीगढ़ की 89 स्मार्ट पार्किंग को लेकर है, जिसमें कई तरह की अनियमितताओं को अंजाम दिया गया है, जो लोगों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है, लेकिन नगर निगम के अफसरों और मेयर को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। कैंथ ने कहा कि वह सिर्फ चार बिंदुओं को रख रहे हैं, जो टर्म एंड कंडीशन का पार्ट है। अगर सलाहकार इन्हीं को चेक करवाएंगे तो सच्चाई सामने आ जाएगी कि भ्रष्टाचार की जड़ें कहां जा रही है। मालूम हो कि सतीश कैंथ ने पेड पार्किग पर कमिश्नर की रिपोर्ट न आने को लेकर मेयर के सामने हंगामा भी किया था। पत्र में कांग्रेस ने एमओयू की सभी शर्तो को चेक करवाकर जांच करवाने की मांग की है। कैंथ का आरोप है कि सोच समझकर ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया गया और सरकारी खजाने पर डाका डाला गया।

loksabha election banner

इन बिदुओं पर जांच करवाने की है मांग पहला

स्मार्ट पार्किग को दो जोन में बांटकर टेंडर अलॉट किया गया है। इसका कब्जा पिछले साल एक फरवरी और दो जनवरी को दिया गया। जो एग्रीमेंट 15 दिन में होना था वह डेढ़ साल बाद हुआ। एग्रीमेंट पर दो फीसद स्टांप डयूटी लगनी थी, जिससे डेढ़ साल तक लाखों रुपये का भुगतान न करवाकर ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया गया। यह भी एग्रीमेंट उस समय ठेकेदारों से किया गया जब ऑडिट विभाग ने आपत्ति जताई। मालूम हो कि जागरण ने भी एग्रीमेंट डेढ़ साल बाद करने के मुद्दे को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। कैंथ का आरोप है इससे नगर निगम और सरकारी खजाने को 25 लाख के ऊपर चूना लगाया गया है। दूसरा

स्मार्ट पार्किंग फीचर्स के नाम पर स्मार्टनेस के साथ काम किया गया। इससे पहले शहर की सिर्फ 25 पार्किग्स को 14 करोड़ में आर्य कंपनी को अलॉट दिया गया तो उसको भी नहीं चलाया गया। बाद में सारे शहर की पार्किग को रेगुलेट न करके टेंडर में 64 नई पार्किग को जोड़ दिया गया, जिसका टेंडर 10.85 करोड़ में अलॉट किया गया। पहले 25 पेड पार्किग का 14 करोड़ आ रहा था। तीसरा

कोरोना के दौरान ठेकेदारों को लाइसेंस फीस में छूट दी गई। जोकि एमओयू की किसी भी कंडीशन में शामिल नहीं था। ठेकेदारों को पहुंचाए गए फायदे की जांच होनी चाहिए। चौथा

नगर निगम ने इस समय 3600 से ज्यादा स्ट्रीट वेंडर का लाइसेंस खारिज कर दिया है, क्योंकि उन्होंने लाइसेंस फीस का भुगतान नहीं किया है। जबकि पार्किग चलाने वाले ठेकेदारों को मासिक किस्त में छूट दी गई और आज तक स्मार्ट फीचर नहीं लगे हैं जिसका भी फायदा ठेकेदारों को हो रहा है। पिछली आर्य इंफ्रा कंपनी का केस भी अदालत में पेंडिग है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.