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कांग्रेस अध्यक्ष एचएस लक्की ने निनी को पार्टी में दिया अहम पद...पढ़ें चंडीगढ़ की और भी रोचक खबरें

हाल ही में धनास के पूर्व सरपंच लखविंदर सिंह निनी को पार्टी के किसान सेल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने नगर निगम चुनाव में टिकट न मिलने पर वार्ड नंबर-15 से निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ा। तब निनी को 1500 वोट मिले।

By Rajesh DhallEdited By: DeepikaPublished: Mon, 26 Sep 2022 10:31 AM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2022 10:31 AM (IST)
कांग्रेस अध्यक्ष एचएस लक्की ने निनी को पार्टी में दिया अहम पद...पढ़ें चंडीगढ़ की और भी रोचक खबरें
कांग्रेस अध्यक्ष ने धनास के पूर्व सरपंच लखविंदर निनी को पार्टी के किसान सेल का अध्यक्ष नियुक्त किया। (फाइल फोटो)

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। इस समय कांग्रेस का पूरा ध्यान संगठन मजबूत करने के साथ-साथ पदाधिकारी नियुक्त करने पर है। 9 माह पहले हुए नगर निगम चुनाव में जिन नेताओं ने बागी होकर चुनाव लड़ा और पार्टी के खिलाफ काम किया, उन पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। बल्कि अब ऐसे नेताओं को भी फिर से पार्टी के साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे नेताओं को भी पार्टी में पद देकर सम्मानित किया जा रहा है।

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हाल ही में धनास के पूर्व सरपंच लखविंदर सिंह निनी को पार्टी के किसान सेल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने नगर निगम चुनाव में टिकट न मिलने पर वार्ड नंबर-15 से निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ा। तब निनी को 1500 वोट मिले। इस कारण यहां से पार्टी उम्मीदवार काफी कम मार्जिन से चुनाव हार गए। असल में निनी का ग्रामीण एरिया में अच्छा दबदबा है। इसलिए पार्टी अध्यक्ष एचएस लक्की ने निनी को दोबारा पार्टी से जोड़कर अहम पद दे दिया है।

सांसद आईं सामने

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के वीडियो प्रकरण मामले में दूसरे राज्यों में शहर की काफी किरकिरी हुई। ऐसे में सांसद किरण खेर को इस पर सफाई देने के लिए इंटरनेट मीडिया पर खुद सामने आना पड़ा। खेर ने कहा कि शहर में पंजाब यूनिवर्सिटी है। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी मोहाली में है। सांसद ने इस मामले में पंजाब सरकार से सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। वहीं उनकी ही पार्टी के अन्य नेता मामले में पूरी तरह से चुप रहे।

पार्टी के भीतर सांसद द्वारा खुलकर बोलने और भाजपा के अन्य नेताओं के चुप्पी साधने का मामला चर्चा में है। जूनियर नेताओं का कहना है कि यह बड़े नेताओं का मामला है। हम इसमें क्यों पड़े। प्रशासन के अधिकारियों का भी मानना है कि यूनिवर्सिटी के आगे चंडीगढ़ नाम लगे होने से पूरे देश में शहर का नाम उछला है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि वह भी कुछ नहीं कर सकते।

प्रेसवार्ता में नहीं आए प्रशासक

इलेक्टिक वाहन पालिसी लागू करने के लिए प्रशासन की ओर से प्रेसवार्ता बुलाई गई। मीडियाकर्मियों को निमंत्रण मैसेज में बताया गया कि प्रशासक बनवारी लाल शाम 5.30 बजे संबोधित करेंगे। लेकिन प्रशासक सचिवालय में अधिकारियों के साथ बैठक कर छह बजे सीधे गवर्नर हाउस निकल गए। मीडियाकर्मी इंतजार करते रह गए। इस पर सलाहकार धर्मपाल ने मौका संभालते हुए प्रेसवार्ता को संबोधित किया।

प्रेस रूम में सिस्टम ठीक न होने के कारण मीडियाकर्मियों को सलाहकार आफिस के साथ बने कांफ्रेंस रूम में नीति के फायदे बताने के लिए प्रेजेटेशन दी गई। लेकिन किसी ने यह नहीं बताया कि प्रशासक खुद मीडिया को संबोधित करने क्यों नहीं आए। कुछ लोग इसे चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में हुए मामले के साथ जोड़कर देखने लगे। उन्हें लगा कि कहीं मीडिया यूनिवर्सिटी से जुड़ा कोई सवाल प्रशासक साहब से न पूछ लें।

यही फर्क है चंडीगढ़-पंचकूला में

पंचकूला में जब भी कोई त्योहार आता है या किसी बड़े नेता का जन्मदिन होता है तो सड़कों पर बड़े बड़े होर्डिंग और बैनर सज जाते हैं, जोकि नियमों के खिलाफ है। लेकिन समर्थक स्थानीय बड़े नेताओं की तस्वीरें भी होर्डिंग पर लगा देते हैं तो फिर प्रशासन और अधिकारियों की भी हिम्मत नहीं पड़ती कि वह होर्डिंग हटाने की कार्रवाई करें। चंडीगढ़ से पंचकूला में एंट्री करते हुए यह होर्डिंग और बैनर दिख जाते हैं।

चंडीगढ़ प्रशासन और नगर निगम शहर में लगने वाले इन होर्डिंग और बैनर्स पर काफी सख्त है। चंडीगढ़ की अफसरशाही बड़े से बड़े नेता के भी होर्डिंग हटा देता है। पिछले दिनों नगर निगम ने होर्डिंग और बैनर लगाने वाले ऐसे नेताओं को जुर्माने के नोटिस भी भेजे। ऐसे में जुर्माने के डर से अब चंडीगढ़ में किसी की भी हिम्मत नहीं पड़ती कि वह होर्डिंग और बैनर लगाए। गपशप करते हुए लोग कहते हैं कि यहीं फर्क है पंचकूला और चंडीगढ़ में।

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