कांग्रेस की नेता प्रतिपक्ष पद पर दलित कार्ड की तैयारी
प्रदेश कांग्रेस में सरगर्मी चरम पर है। संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस अब राज्य में सोशल इंजीनियरिंग पर विशेष ध्यान देगी। प्रदेश कांग्रेस की कमान जट्ट के हाथ में होगी तो नेता प्रतिपक्ष का पद दलित नेता को मिल सकता है।
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। पंजाब कांग्रेस में बदलाव का दौर शुरू हो गया है। प्रदेश प्रधान और विधायक दल के नेता का इस्तीफा होने के प्रदेश कांग्रेस में सरगर्मी चरम पर है। संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस अब राज्य में सोशल इंजीनियरिंग पर विशेष ध्यान देगी।
इसी क्रम में जहां प्रदेश कांग्रेस की कमान जट्ट के हाथ में होगी तो नेता प्रतिपक्ष का पद दलित कोटे में जा सकती है। चर्चा है कि इस पद के लिए चरणजीत सिंह चन्नी, लाल सिंह व साधू सिंह धर्मसोत रेस में हैं। इन नेताओं को इसके अलावा अन्य अहम जिम्मेदारी भी दी जा सकती है।
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कांग्रेस के महासचिव व प्रदेश प्रभारी शकील अहमद ने सोशल इंजीनियरिंग की बात से इंकार नहीं किया। उन्होंने यह तो स्पष्ट नहीं किया कि नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर कौन होगा, लेकिन उन्होंने इस बात से भी इंकार नहीं किया कि यह पद किसी दलित नेता को दिया जा सकता है।
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दलित वोट बैंक कांग्रेस से दूर होने के कारण लंबे समय से खासी चिंतित थी। खासतौर से दोआबा में दलितों का विश्वास खोने के कारण कांग्रेस 14वीं विधानसभा में सत्ता में आने से वंचित रह गई। पिछले दिनों प्रदेश में बदलाव को लेकर राहुल गांधी द्वारा विधायकों व पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत के दौरान भी यह बात उभर कर सामने आई थी।
राहुल के समक्ष सोशल इंजीनियरिंग की बातें उठती रही हैं। अब तक प्रदेश प्रधान और नेता प्रतिपक्ष दोनों ही सीटों पर जट्ट व जाट नेताओं का कब्जा था, जबकि पंजाब में 32 फीसद दलित मतदाता हैं। भारतीय जनता पार्टी लगातार दलित मतदाता को लुभाने की दिशा में जुटी हुई है। डा. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाने को लेकर भी कांग्रेस पंजाब में इसीलिए पिछड़ गई, क्योंकि महत्वपूर्ण सीटों पर जाटों का कब्जा था।
लाल सिंह।
राहुल गांधी के समक्ष जिस प्रकार से दलितों को प्रतिनिधित्व देने की बात उठी, उसी को देखते हुए पार्टी ने संतुलन बनाने की ओर ध्यान दिया। इसी कड़ी में सुनील जाखड़ का इस्तीफा लिया गया, ताकि कैप्टन अमरिंदर सिंह को प्रदेश अध्यक्ष को बनाया जाए तो जातीय संतुलन बनाने के लिए नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी किसी दलित नेता को दी जा सके। सूत्र बताते हैं कि इस पद के लिए लाल सिंह, साधू सिंह धर्मसोत और चरणजीत सिंह चन्नी प्रमुख दावेदार हैं।
साधू सिंह धर्मसोत।
जातीय के अलावा क्षेत्रीय संतुलन पर भी ध्यान दिया जाएगा। इसे देखते हुए चन्नी का दांव लग सकता है। वह दोआबा (चमकौर साहिब) से विधायक हैं और दोआबा दलितों का प्रमुख गढ़ है। यही नहीं दोआबा में ही कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। यही नहीं राहुल गांधी से हुई मुलाकातों के बीच चन्नी को खासी तवज्जो दी गई थी।