सिद्धू को भविष्य के सिख नेता के तौर पर देख रही कांग्रेस
नवजोत सिंह सिद्धू एक बार फिर सोशल मीडिया और पंजाब की राजनीति में सुर्खियाें में हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में सिद्धू ने अपने भाषण से अपना जबरदस्त प्रभाव छोड़ा।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से रविवार को कांग्रेस के महाधिवेशन में मांगी गई माफी इस समय सोशल मीडिया पर छाई हुई है। यह पहला बड़ा मौका है जब कांग्रेस के इतने बड़े प्लेटफार्म पर सिद्धू ने मनमोहन से ना केवल हाथ जोड़कर माफी मांगी बल्कि उनकी शान में कई कसीदे भी पढ़े।
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उन्होंने उनके कामों को जहां भाजपा के शोर से ज्यादा बताया, वही उन्हें एस्ट्रोलॉजर (ज्योतिषी) भी बताया जो अपने अनुभव व ज्ञान से वर्तमान सरकार की नीतियों के बारे में पहले ही आगाह कर देता है। साथ ही उन्हें अरबी घोड़ा भी बताया जिनके शासन में आर्थिक स्थिति कदम दर कदम बेहतर हो रही थी।
आखिर नवजोत सिद्धू अचानक इस तरह से क्यों पेश आए?
भारतीय जनता पार्टी में दस साल तक मात्र एक प्रचारक बनकर रह गए नवजोत सिद्धू को जिस तरह से कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर बोलने का एक मुकाम दिया उससे वे भी गदगद दिखाई दिए। उन्हें ना केवल पार्टी में लाकर कांग्रेस ने पंजाब में एक कैबिनेट मंत्री के रूप में स्थापित किया बल्कि एक सिख के तौर पर भविष्य के नेता के रूप में भी उभारने को स्थान दिया है।
अब यह सिद्धू पर निर्भर है कि वह इस अवसर को किस तरह से प्रयोग करते हैं। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद जिस तरह से सिख मानस में कांग्रेस के प्रति नफरत का भाव है उसे कम करने के लिए पार्टी ने पहले डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित किया। अब सिद्धू जैसे चेहरे को भी राष्ट्रीय स्तर पर अपने बड़े प्रोग्राम में बोलने का मौका दिया जिसे कुशल वक्ता सिद्धू ने पूरी तरह से भुनाया।
भाजपा में रहते हुए डॉ. मनमोहन सिंह के लिए कभी मौनीबाबा तो कभी बेअसरदार सरदार जैसे शब्दों का प्रयोग करने वाले सिद्धू मनमोहन सिंह से माफी मांग कर ना केवल आगे बढ़े बल्कि मनमोहन के कार्यों की तुलना नरेंद्र मोदी के कार्यकाल से करके अपने लिए दी गई हुई जगह का मूल्य भी मोड़ दिया। सिद्धू के अल्फाजों पर सोनिया गांधी भी खुश दिख रही थीं। हालांकि मनमोहन सिंह सिर्फ एक बार खुलकर मुस्कुराए लेकिन पूरे हॉल में तालियों की गडग़ड़ाहट साफ तौर पर नवजोत सिद्धू का समर्थन कर रही थी। सिद्धू ने यह भी साबित कर दिया कि पंजाबी जिसके भी साथ होते हैं उससे अपनी पुरानी गलतियों की माफी मांगने से भी गुरेज नहीं करते।
आगामी लोकसभा के चुनाव में मात्र एक साल ही बचा है। ऐसे में कांग्रेस सिद्धू को भाजपाइयों पर बरसने के लिए किस तरह प्रयोग कर सकती है, इसकी राह भी कांग्रेस के इस सेशन में खुल गई है। 2019 का आम चुनाव कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।
इसमें कोई शक नहीं कि कांग्रेस के राष्ट्रीय महाधिवेशन में जो बढ़त पंजाब के नेता के रूप में सिद्धू ने बनाई वह राज्य के मुख्यमंत्री और तेजतर्रार नेता कहे जाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह भी नहीं बना सके। सिद्धू का वीडियो जिस तरह से वायरल हो रहा है उससे साफ लग रहा है कि सिद्धू कांग्रेस में एक बड़ा मुकाम हासिल करने में काफी आगे निकलते दिख रहे हैं। बुजुर्ग हो चुके मनमोहन सिंह की जगह कांग्रेस को भी एक बड़े सिख नेता की तलाश है।
राहुल के कहने के बावजूद गुजरात व हिमाचल नहीं गए थे सिद्धू
यह महत्वपूर्ण है कि राहुल गांधी के कहने के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू गुजरात व हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए नहीं गए थे। इससे नाराज राहुल गांधी ने इस बारे में कैप्टन अमरिंदर से भी कहा था। इसका नतीजा यह हुआ कि सिद्धू को कांग्रेस के महाधिवेशन के लिए बनाई गई किसी भी कमेटी में शामिल नहीं किया गया।
कैप्टन के अलावा पंजाब से मनप्रीत बादल को ही कमेटी में लिया गया था। इससे साफ लग रहा था कि सिद्धू से राहुल अब भी खुश नहीं हैं लेकिन कल के सेशन में जिस तरह से सिद्धू ने अपनी जगह बनाई है उससे इस बात की संभावना बढ़ गई है कि राहुल गांधी की नाराजगी दूर हो जाए।