लंगाह के सरेंडर के बाद फ्रंटफुट पर आई कांग्रेस, खत्म हुआ छवि का भय
लंगाह प्रकरण उठने के बाद से कांग्र्रेस को यह चिंता थी कि कहीं चुनावी में केस दर्ज होने के कारण अकाली दल या लंगाह को सहानुभूति न मिल जाए।
जेएनएन, चंडीगढ़। पूर्व अकाली मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह के कोर्ट में सरेंडर के बाद कांग्रेस ने भी राहत की सांस ली है। गिरफ्तारी न होने के चलते सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे थे। इस मुद्दे पर श्री अकाल तख्त साहिब ने भी 5 अक्टूबर को मीटिंग बुलाई है। ऐसे में सरकार की किरकिरी हो सकती थी, लेकिन अब कांग्रेस इस मुद्दे को चुनाव में पूरी तरह भुनाने में जुट गई है। सोशल मीडिया पर लंगाह का वीडियो आने व केस दर्ज किए जाने के बाद से ही कांग्रेस लंगाह प्रकरण को लेकर नफे-नुकसान का आकलन कर रही ही।
अहम पहलू यह है कि लंगाह प्रकरण उठने के बाद से कांग्रेस को यह चिंता थी कि कहीं चुनावी में केस दर्ज होने के कारण अकाली दल या लंगाह को सहानुभूति न मिल जाए। श्री अकाल तख्त साहिब की आपातकालीन बैठक से लंगाह के सरेंडर से कांग्रेस खासी उत्साहित है। पार्टी अब इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है कि इस घटना के बाद ग्रामीण क्षेत्रों व सिख संगत में अकाली दल की पकड़ कमजोर होगी।
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जाखड़ बोले-मामले का कांग्रेस से लेना-देना नहीं
कांग्रेस के प्रदेश प्रधान व गुरदासपुर से प्रत्याशी सुनील जाखड़ ने इस पूरे प्रकरण से खुद को अलग कर लिया है। उनका कहना है, 'यह कानून और धर्मिक मर्यादाओं का मामला है। इसका कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है।' जाखड़ भले ही पूरे मामले से खुद को अलग कर ले, लेकिन चुनावी समर में जिस प्रकार से लंगाह प्रकरण उठा और उस पर कार्रवाई हुई, उसका सीधा लाभ कांग्रेस को ही होता नजर आ रहा है।
वहीं, कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने माना कि अगर लंगाह आत्मसमर्पण नहीं करते तो सवालिया निशान लगा रहना था, लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं है। क्योंकि अब अकाली दल बैकफुट पर होगी और कांग्रेस फ्रंटफुट पर। चूंकि लंगाह अकाली दल के पूर्व जिला प्रधान भी थे इसलिए स्थितियां बदलेंगी।
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