SYLपर कांग्रेस का बादलों पर हमला, नैतिकता का पाखंड रच मूर्ख न बनाएं
एसवाइएल नहर मामले पर पंजाब के सियासी दलों में भी घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस के तीन मंत्रियाें ने इस मुद्दे पर बादल पिता-पुत्र पर निशाना साधा है।
जेएनएन, चंडीगढ़। सतलुज यमुना संपर्क (एसवाइएल) नहर के मामले पर पंजाब के सियासी दलों का एक-दूसरे पर हमले करना जारी है। कांग्रेस ने इस मामले पर शिरोमणि अकाली दल पर निशाना साधा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार के तीन मंत्रियों ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर हमला किया है। तीनों मंत्रियों ने कहा है बादल पिता-पुत्र अपने शासनकाल में अदालतों में पंजाब के हितों की रक्षा करने में नाकामयाब रहे हैं। दोनों आज नैतिकता का पाखंड रचकर लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
कैबिनेट मंत्री मनप्रीत बादल, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और राणा गुरजीत सिंह ने कहा कि यदि बादलों ने अपने एक दशक के शासन के दौरान उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाई होती तो यह मुद्दा आज इस हद तक न पहुुंचता।
पिता-पुत्र दोनों ही अब इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह को उकसाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे इन दोनों नेताओं की न्यायपालिका में विश्वास की बड़ी कमी स्पष्ट तौर पर जाहिर होती है।
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उन्होंने कहा कि असल में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने जानबूझ कर अदालत में इस मामले को उलझाया और इससे पंजाब का पक्ष कमजोर हुआ है। उनकी यह चाल अपने पहले शासनकाल के दौरान हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री देवीलाल के साथ के हुए समझौते का हिस्सा थी।
तीनों मंत्रियों ने कहा कि बादल के शासनकाल में पंजाब सरकार ने हरियाणा के वकील अशोक अग्रवाल को एडवोकेट जनरल नियुक्त किया था जो एक समय चौटाला सरकार के अधीन हरियाणा सरकार के एडवोकेट जनरल (एजी) भी रहे। एजी कभी भी सतलुज यमुना लिंक नहर की सुनवाई के दौरान अदालत में नहीं गए।
उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के पिछले शासनकाल के दौरान बनाए गए पंजाब टर्मीनेशन आफ एग्रीमेंट एक्ट-2004 को बादल सरकार द्वारा कभी भी न्यायपालिका के आगे पेश नहीं किया गया। यही नहीं, बादल ने यह कानून बनाने में पहली पंक्ति में शामिल एके गांगुली को अदालत में केस लड़ने के लिए नियुक्त की टीम से ही हटा दिया था।
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दूसरी पारी में बदले-बदले नजर आ रहे कैप्टन : खैहरा
आम आदमी पार्टी के विधायक सुखपाल सिंह खैहरा का कहना है कि मुख्यमंत्री के रूप में अपनी दूसरी पारी खेल रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह बिल्कुल बदले हुए नजर आ रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पंजाब में बादलों के साथ मिले हुए हैं।
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खैहरा ने कहा कि एसवाइएल के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए दो महीने के अल्टीमेटम का कैप्टन अमरिंदर सिंह स्वागत करते हैं, जबकि 2004 में कैप्टन ने पंजाब टर्मीनेशन ऑफ एग्रीमैंट एक्ट पास करने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह की भी नहीं सुनी थी। आज कैप्टन न सिर्फ बातचीत करने को राजी हैं बल्कि हरियाणा और केंद्र के साथ बैठकर मुद्दे का हल ढूंढने को भी तैयार हैं। यह साफ दर्शाता है कि कैप्टन अब दोहरा किरदार निभा रहे हैं।