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आंदोलन में मृत किसानों की याद में कांग्रेस का चंडीगढ़ में पैदल मार्च, दीये रख दी श्रद्धांजलि

कृषि सुधार कानूनों के विरोध के द्वारा मारे गए किसानों की याद में कांग्रेस नेताओं ने दीये रखे। कांग्रेस ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की बातों को अनसुना कर रही है। किसानों मांगों को लेकर ठंड में प्रदर्शन कर रहेे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 05 Jan 2021 03:08 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jan 2021 05:17 PM (IST)
आंदोलन में मृत किसानों की याद में कांग्रेस का चंडीगढ़ में पैदल मार्च, दीये रख दी श्रद्धांजलि
पंजाब राजभवन के पास पहुंचे कांग्रेसी। जागरण

जेएनएन, चंडीगढ़। किसान आंदोलन के दौरान अपनी जान कुर्बान करने वाले 57 किसानों की याद कांग्रेस ने चंडीगढ़ में पैदल मार्च किया। कांग्रेस नेताओं ने पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुनील जाखड़ के नेतृत्व में कांग्रेस भवन से अमर जवान स्मारक चंडीगढ़ तक पैदल मार्च कर के वहां 57 बुझे हुए दीए रखे ।

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण ही इन परिवारों के 57 लोग इस दुनिया से चले गए हैं। उन्होंने कहा कि अमर जवान स्मारक देश के लिए कुर्बानी देने वाले जवानों का स्मारक है पर किसान आंदोलन में उन जवानों के अभिभावकों ने कुर्बानी दी है। यह कुर्बानी देश के बड़े हितों की रक्षा के लिए है।

उन्होंने कहा कि यह स्मारक जिन जवानों की याद में बनाया गया है उन्होंने तो दुश्मन से लड़ते हुए अपनी जान न्योछावर की थी, पर जिन 57 किसानों की शहादत हुई है उनकी जान तो केंद्र सरकार की गलत नीतियों ने ली है, इसीलिए शहीद किसानों की याद में स्मारक पर दीए रखे गए हैं, ताकि केंद्र सरकार को उसकी गलती का एहसास करवाया जा सके।

जाखड़ ने आशा प्रकट की कि केंद्र सरकार संघर्ष कर रहे किसानों की बात सुने व आज उनके द्वारा शहीद स्मारक पर रखे ये दीये केंद्र सरकार की अंतरात्मा को जगाएंगे। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार बिना देरी अपने कृषि कानून वापस ले। जब उनसे किसानों की सरकार से बातचीत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बातचीत की सफलता तभी संभव है अगर सरकार साफ नीयत से आगे आए।

उन्होंने कहा कि सरकार की नीयत में खोट है। वह जानबूझकर मामले को लटका रही है और शायद सरकार समझती है कि किसान थककर वापस लौट जाएंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को यह समझ लेना चाहिए कि पंजाबी कभी भी मोर्चे से खाली हाथ नहीं लौटते, इसलिए सरकार अपनी जिद छोडे व अपने लोगों की बात सुनकर तुरंत कानून वापस ले।


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