सिंडीकेट चुनाव में जमकर हुई राजनीति, सालों से चली आ रही दुश्मनी दोस्ती में बदली
पंजाब यूनिवर्सिटी में रविवार को सिंडीकेट चुनाव में जमकर राजनीति चली। जहां पर वर्षों से एक-दूसरे के दुश्मन माने जाने वाले अशोक गोयल और प्रो. नवदीप गोयल ने हाथ मिला लिया।
सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी में रविवार को सिंडीकेट चुनाव में जमकर राजनीति चली। जहां पर वर्षो से एक-दूसरे के दुश्मन माने जाने वाले अशोक गोयल और प्रो. नवदीप गोयल ने हाथ मिला लिया, वहीं, इनकी दोस्ती से भाजपा और लेफ्ट के सीनेटर खफा थे। हैरान करने वाली बात थी कि शनिवार को सीनेट बैठक में जिन लेफ्ट के सदस्यों ने कांग्रेस का साथ दिया था, वे सिंडीकेट चुनाव में उल्टे चल रहे थे। जिसका कारण लेफ्ट के सदस्यों को सिंडीकेट कमेटी में जगह नहीं देना था। लेफ्ट पार्टी के सीनेटरों ने आर्ट्स फैकल्टी के लिए वोट डाले, जिसके बाद उन्होंने गोयल ग्रुप से 15 में से 2 सीटें खुद के सदस्यों के लिए मांगी। जिसमें एसएस सांघा और एक अन्य को जगह देने की मांग की, लेकिन गोयल ग्रुप ने पुराने ¨सडीकेट सदस्यों को दोबारा से जगह देने से इन्कार कर दिया।
परिणाम यह रहा कि लेफ्ट ने भाजपा के साथ हाथ मिला लिया और शाम 4.15 होने वाले चुनाव के लिए रणनीति तैयार की। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष संजय टंडन, प्रो. मुकेश अरोड़ा ने भी की वोटिंग रणनीति के तहत भाजपा प्रदेशाध्यक्ष संजय टंडन, प्रो. मुकेश अरोड़ा सहित कई लोगों ने आकर वोटिंग की। हालांकि इन सदस्यों ने इससे पहले हुए पांच फैकल्टी के चुनाव में आकर वोटिंग नहीं की थी।एक सदस्य को दोबारा से कमेटी में जगह नहीं देने के पेटर्न पर अड़े गोयल ग्रुप ने इस बार केशव मल्होत्रा को भी जगह नहीं दी, जबकि केशव मल्होत्रा सीनेट और ¨सडीकेट के दिग्गज माने जाते हैं।
लेफ्ट ने 24 घंटे हॉस्टल खुला रखने पर दिया था कांग्रेस का साथ
सीनेट की बैठक में गर्ल्स हॉस्टल 24 घंटे खुला रखने के लिए लेफ्ट के वीरेंद्र सिंह गिल और प्रो. अजय रंगा ने गोयल ग्रुप का साथ दिया था। गोयल ग्रुप को हुंकार देने वाला वीरेंद्र था, लेकिन रविवार को वीरेंद्र ने गोयल ग्रुप का साथ नहीं दिया और भाजपा के साथ मिल गया।
पीयू के कार्यो में दखलंदाजी करेंगे खत्म
जीते सीनेटरों ने सिंडीकेट के चुनाव में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत को कारण बताया है। सीनेटर खुले शब्दों में बोल रहे थे कि 2019 में भाजपा की विदाई करनी है, जिसकी तैयारी तीन राज्यों के बाद यूनिवर्सिटी से शुरू हुई है। सिंडीकेट में भाजपा की सफाई का मतलब पीयू के कार्यो में उनकी दखलअंदाजी को खत्म करना है।
भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए सिंडीकेट में हुई लॉबिग: सुभाष शर्मा
भाजपा समर्थक सुभाष शर्मा ने कहा कि सिंडीकेट की लॉबिंग भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए की गई है। अशोक गोयल और नवदीप गोयल दोनों ही भ्रष्टाचार में लिप्त है। वीसी उन पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकें, इसके लिए सिंडीकेट की लॉबिंग हुई है। हालांकि यह सोच उनकी कामयाब नहीं होगी, क्योंकि सिंडीकेट की सहमति के बाद सीनेट में ही हर मुद्दा आना है और हम उसे वहीं से रेफर बैक कर देंगे। डीएवी इंस्टीट्यूट में इन्होंने घोटाला किया है। इसके कारण नवदीप गोयल और डीएवी मैनेजमेंट कमेटी ने अशोक गोयल ग्रुप के आगे घुटने टेके हैं।
पिछले साल का बदला पैटर्न
2017 में अशोक गोयल और प्रो. नवदीप गोयल अलग-अलग चुनाव लड़े थे। जिसका परिणाम रहा था कि प्रो. नवदीप गोयल ग्रुप से खुद नवदीप और केशव मल्होत्रा सदस्य चुने गए थे, जबकि अशोक गोयल अकेले ही अपने ग्रुप से सिंडीकेट में आए थे। इसके अलावा 12 सदस्य वीसी की लॉबी के माने गए थे। जिसमें ज्यादातर सदस्य भाजपा के समर्थित थे। इस बार गोयल ग्रुप ने सभी सीटों पर कब्जा जमा लिया।