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Smart City के एसटीपी प्रोजेक्ट के ई-टेंडर में ही गड़बड़, सीवीसी तक पहुंची शिकायत Chandigarh News

एसटीपी प्रोजेक्ट के लिए नियुक्त कंसल्टेंसी फर्म ने जो शर्तें तैयार कीं उसे स्मार्ट सिटी की टेक्निकल कमेटी ने भी नहीं बदला।

By Sat PaulEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 01:16 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 01:16 PM (IST)
Smart City के एसटीपी प्रोजेक्ट के ई-टेंडर में ही गड़बड़,  सीवीसी तक पहुंची शिकायत Chandigarh News
Smart City के एसटीपी प्रोजेक्ट के ई-टेंडर में ही गड़बड़, सीवीसी तक पहुंची शिकायत Chandigarh News

चंडीगढ़, जेएनएन। स्मार्ट सिटी के एसटीपी प्रोजेक्ट के टेंडर में कुछ भी ठीक नहीं है। ई-टेंडर के नाम पर एलएंडटी और वाटेक जैसी कंपनियों से डॉक्यूमेंट्स फिजिकली ले लिए। यही नहीं कंसल्टेंसी फर्म ने जो कुछ स्मार्ट सिटी के अफसरों और टेक्निकल कमेटी को बताया, उस पर आंख मूंदकर विश्वास कर लिया। यही कारण है कि 550 करोड़ रुपये के एसटीपी टेंडर में दो कंपनियों को छोड़कर अधिकांश कंपनियां बाहर हो गईं।

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नियमों के अनुसार ई-टेंडर में बिग डॉक्यूमेंट्स के साथ-साथ अन्य सभी डॉक्यूमेंट्स की भी ऑनलाइन सबमिशन होनी चाहिए। जिन कंपनियों को टेंडर की दौड़ से बाहर किया गया उन्होंने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। खिलारी इंफ्रास्ट्रर और शापूरजी पालोनजी कंपनी ने कंसल्टेंसी फर्म द्वारा तैयार शर्तों में बदलाव की मांग रखी थी।

डॉक्यूमेंट्स से छेड़छाड़ संभव

सीवीसी की गाइडलाइंस के अनुसार सभी डाक्यूमेंट्स आनलाइन लिए जाने चाहिए, ताकि उनमें कोई बदलाव न कर सके। स्मार्ट सिटी ऑफिस का तर्क था कि एक हजार से अधिक पेज आनलाइन सबमिट नहीं किए जा सकते, इसलिए आफलाइन सबमिशन की परमिशन दी गई है। इससे सीधे-सीधे टेंडर डाक्यूमेंट्स से छेड़छाड़ की संभावना बनी रहती है।

तीसरी बार टेंडर, फिर भी नहीं बदली शर्ते

स्मार्ट सिटी ऑफिस ने एसटीपी प्रोजेक्ट का टेंडर तीसरी बार फ्लोट किया, लेकिन शर्तें नहीं बदली। एसटीपी प्रोजेक्ट के लिए नियुक्त कंसल्टेंसी फर्म ने जो शर्तें तैयार कीं, उसे स्मार्ट सिटी की टेक्निकल कमेटी ने भी नहीं बदला। जबकि टेक्निकल कमेटी के अफसरों को पता था कि इसका फायदा चुनिंदा कंपनियों को ही मिलेगा।

बहुत चालाकी से खेली गेम

एसटीपी टेंडर में बहुत चालाकी से गेम खेली गई। ऐसा दिखाया गया कि सीवीसी गाइडलाइंस के अनुसार बिडर से टेंडर के लिए प्रोजेक्ट के 80 पसेर्ंट के अनुसार 109 एमएलडी के प्लांट का अनुभव मांगा गया है, लेकिन सीवीसी गाइडलाइंस में यह कहीं नहीं लिखा कि वर्क एक्सपीरियंस और फाइनेंशियल एक्सपीरियंस के लिए अलग-अलग मापदंड बनाए जाएं।

सीवीसी से शिकायत

स्मार्ट सिटी के एसटीपी प्रोजेक्ट में की गई इस गड़बड़ी की शिकायत सीवीसी तक भी पहुंच गई है। कंपनियों ने इस टेंडर को रद कर नए सिरे से टेंडर की मांग की है। इसके साथ-साथ इस टेंडर में हुई स्मार्ट गेम की भी जांच करने की मांग की है।

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