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आत्महत्या पर मुआवजा मरने के लिए प्रेरित करने के समान: हाईकोर्ट

-किसानों की आत्महत्या पर पंजाब को हाईकोर्ट से फटकार -किसानों की समस्याओं के निदान पर

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Jul 2018 10:56 PM (IST)Updated: Wed, 11 Jul 2018 10:56 PM (IST)
आत्महत्या पर मुआवजा मरने के लिए प्रेरित करने के समान: हाईकोर्ट
आत्महत्या पर मुआवजा मरने के लिए प्रेरित करने के समान: हाईकोर्ट

-किसानों की आत्महत्या पर पंजाब को हाईकोर्ट से फटकार

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-किसानों की समस्याओं के निदान पर मांगा जवाब

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राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़: पंजाब में किसानों को आत्महत्या पर आर्थिक मुआवजा देने की नीति पर कड़ी टिप्पणी करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि आत्महत्या करने पर मुआवजा देना किसानों को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के समान है। पंजाब में किसानों व कृषि मजदूरों की ओर से आत्महत्या किए जाने के विषय पर हाईकोर्ट में विचाराधीन जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस अरुण पल्ली की खडपीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि आर्थिक मुआवजा मिलने की उम्मीद किसी परेशान व हताश किसान को इस नीति का लाभ उठाने के लिए आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए उकसा सकती है। हाईकोर्ट ने इस नीति के नकारात्मक पहलुओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भूख और गरीबी से तंग लोग इस नीति पर नकारात्मक दिशा में विचार कर सकते हैं।

किसानों को आत्महत्या के लिए मुआवजा देने की योजना को एक अंतरिम विकल्प बताते हुए हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को इस समस्या का समाधान बताने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने राज्य सरकार को किसानों व खेत मजदूरों की ओर से आत्महत्या किए जाने के मूल कारणों पर भी विचार करने और उन्हें अदालत के सामने पेश करने के आदेश दिए हैं। हलफनामे पर जताया असंतोष

पंजाब सरकार की ओर से इस मामले में अदालत में पेश किए गए हलफनामे पर असंतोष व्यक्त करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि इस हलफनामे में सरकार ने मुआवजे के तौर पर पीड़ितों को दी गई राशि का ब्योरा तो पेश कर दिया, पर इस समस्या के समाधान की दिशा में उठाए गए कदमों का कोई जिक्र नहीं किया। हाईकोर्ट ने इस मामले में पंजाब सरकार की ओर से किसानों के हित के लिए आंध्र प्रदेश व तेलंगाना की नीतियों से ली गई सीख पर भी जवाब मांगते हुए कहा है कि पंजाब सरकार ने इन राज्यों की नीतियों के अध्ययन के लिए अपनी आधिकारिक टीमें तो भेज दी थीं, लेकिन अब तक इन नीतियों से लिए गए सबकं पर कोई जानकारी अदालत को नहीं दी गई है।

पंजाब को तीन हफ्ते का समय

पंजाब सरकार को ताजा हलफनामा दायर करने के लिए तीन हफ्ते का समय देते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि अगले हलफनामे में सरकार राज्य में किसानों और खेत मजदूरों की समस्या को सुलझाने के लिए उठाए गए कदमों और प्रस्तावित कदमों पर भी विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराए।


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