रक्तदान शिविर को मंदिर मान अबरोल करते हैं सेवा
अश्वनी अबरोल की तमन्ना है कि वह रक्तदान का शतक पूरा करें।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। अश्वनी अबरोल की तमन्ना है कि वह रक्तदान का शतक पूरा करें। वह अब तक 98 बार रक्तदान कर चुके हैं। अबरोल का कहना है कि उनका लक्ष्य 101 बार रक्तदान करने का है। अबरोल ढकोली (जीरकपुर) के ग्रीन सिटी के निवासी हैं। वह पंचकूला में एक नामी कंपनी की दही के डिस्ट्रीब्यूटर हैं। अश्वनी अबरोल रक्तदान शिविर को एक मंदिर की तरह मानते हैं। ऐसे में जब उनकी रक्तदान करने की बारी भी नहीं होती, तब भी वह शिविर में पहुंचकर रक्तदाताओं की सेवा करते हैं। कभी काम पर जाते हुए अगर कोई शिविर दिख जाता है तो उनके कदम ठहर जाते हैं और वहां पर जाकर रक्तदाताओं को देखते हैं, जिससे उन्हें ऊर्जा मिलती है। 56 साल के अश्वनी अबरोल ने पहली बार रक्तदान 1992 में किया था।
अबरोल ने बताया कि उस समय वह दिल्ली में रहते थे। उनकी पत्नी की डिलवरी के समय रक्त की जरूरत थी उस समय जब वह ब्लड बैंक गए तो देखा कि काफी लोग रक्तदान कर रहे हैं बस उसके बाद उनमें भी रक्तदान करने की प्रेरणा आ गई। अश्वनी अबरोल का कहना है कि हर किसी स्वास्थ्य व्यक्ति को रक्तदान जरूर करना चाहिए।
अश्वनी अबरोल की बेटी भी दो बार रक्तदान कर चुकी है। अबरोल के पास जरूरतमंद लोग आपाताकालीन स्थिति में भी रक्त के लिए फोन करते हैं। जब वह खुद नहीं दे सकते तो वह कहीं न कहीं दूसरी जगह से रक्तदान के लिए किसी को तैयार कर देते हैं। इस कोरोना की लड़ाई में भी वह लोगों को रक्तदान के लिए जागरूक कर रहे हैं। अश्वनी अबरोल का कहना है कि जो यह भ्रम है कि रक्तदान करने से कमजोरी आती है। यह बिल्कुल गलत है। बल्कि रक्तदान करने से व्यक्ति पहले से ज्यादा स्वास्थ्य हो जाता है।