आरडब्ल्यूए से ढाई गुना ज्यादा रेट पर निजी कंपनियों को दिए जाएंगे शहर के पार्क
नगर निगम ने शहर के पार्को के रखरखाव का काम अब टेंडर अलाट करके निजी कंपनी को देने की योजना बनाई है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : नगर निगम ने शहर के पार्को के रखरखाव का काम अब टेंडर अलाट करके निजी कंपनी को देने की योजना बनाई है। इसके लिए शु्क्रवार को सदन में प्रस्ताव भी पास किया है, जिसके तहत शुरुआत में पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहले किसी एक सेक्टर के पार्क रखरखाव के लिए दिए जाएंगे। नगर निगम ने रखरखाव का जो रेट तय किया है वह 10 रुपये 17 पैसे स्क्वेयर मीटर के हिसाब से प्रति माह का भुगतान करने का निर्णय लिया है। इस समय शहर के 713 पार्को का रखरखाव शहर की रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन कर रही है, जिन्हें हर माह 4 रुपये 15 पैसे स्क्वेयर मीटर के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है। ऐसे में जो रेट तय किया गया है वह आरडब्ल्यूए को दिया जाने वाले रेट के मुकाबले में ढाई गुना ज्यादा है।
सदन की बैठक में पार्षदों ने निजी कंपनी को आरडब्ल्यूए के मुकाबले दोगुना रेट अदा करने पर भी आपत्ति जताई। जिस पर अधिकारियों ने कहा कि प्राइवेट कंपनी से ज्यादा काम करवाया जाएगा। पार्षदों ने कहा कि शहर में वही पार्क रखरखाव के लिए प्राइवेट कंपनी को दिए जाएं जिनका रखरखाव आरडब्ल्यूए नहीं कर रही है, उसके बाद यही निर्णय लिया गया। पार्षदों ने यह भी कहा कि अगर निजी कंपनी को 10 रुपये 17 पैसे स्क्वेयर मीटर के हिसाब से भुगतान किया जाएगा, तो आरडब्ल्यूए का भी रेट बढ़ाया जाए, जिसके लिए अधिकारी तैयार नहीं हुए। मालूम हो कि शहर में 1800 छोटे-बडे़ पार्क हैं। प्रस्ताव के अनुसार जिन कंपनी को पार्क रखरखाव के लिए अलाट किया जाएगा, उसे एक साल के लिए काम दिया जाएगा उसके बाद टेंडर दो साल के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है। प्रस्ताव के अनुसार प्रति एकड़ का प्रति साल रखरखाव का खर्चा 4.93 लाख रुपये पड़ता है। चीफ इंजीनियर एनपी शर्मा ने बताया कि शहर के 1800 पार्क का एरिया 1916 एकड़ बन जाता है। ऐसे में अगर शहर के सभी पार्क रखरखाव के लिए 10 रुपये 17 पैसे स्क्वेयर मीटर के हिसाब से निजी कंपनियों को दिए जाते हैं तो साल का खर्च 70 करोड़ रुपये बनता है।
आरडब्ल्यूए को भी मिले टेंडर में भाग लेने की मंजूरी
पार्षदों ने कहा कि इस रेट पर शहर की आरडब्ल्यूए को भी निजी कंपनी की तरह टेंडर में भाग लेने की मंजूरी दी जाए, जिसके लिए कमिश्नर तैयार हो गई। कांग्रेस पार्षद गुरबख्श रावत ने कहा कि आरडब्ल्यूए में इसमें भाग नहीं ले पाएंगी, क्योंकि आरडब्ल्यूए के पास शर्त के अनुसार पहले काम करने का अनुभव नहीं होगा। रावत ने कहा कि आरडब्ल्यूए के लिए यह शर्त हटाई जानी चाहिए। अधिकारियों ने निजी कंपनी को पार्क देने के लिए पीछे यह भी कारण बताया कि 2022 तक सभी माली रिटायर हो जाएंगे। कमिश्नर ने कहा कि जो इस समय आरडब्ल्यूए को पार्क के रखरखाव के लिए भुगतान किया जा रहा है, उसका आडिट भी नहीं हो रहा है। पार्षदों की मंजूरी से मिलेंगे आरडब्ल्यूए को पार्क
सदन में अधिकारियों ने यह प्रस्ताव लाया था कि एक आरडब्ल्यूए को एरिया के तीन पार्क से ज्यादा रखरखाव के लिए नहीं दिए जाएं। इस समय कई आरडब्ल्यूए ऐसी है जो कि अपने पूरे सेक्टर के पार्क का रखरखाव कर रही है। आप पार्षद दमनप्रीत सिंह ने सेक्टर-22 का जिक्र करते हुए कहा कि उनके यहां पर 57 पार्को का रखरखाव एक ही आरडब्ल्यूए कर रही है। उन्होंने कहा कि यह एसोसिएशन संतोषजनक काम नहीं कर रही है। अधिकारियों ने पार्षदों पर दबाव बनाया कि एक आरडब्ल्यूए को दिए जाने वाले पार्को की संख्या तय की जाए, जिसके लिए पार्षद तैयार नहीं हुए। एक घंटे तक इस मुद्दे पर चर्चा होती रही। अंत में यह प्रस्ताव पास किया गया कि अब पार्को का रखरखाव उस आरडब्ल्यूए को मिलेगा, जिसका वार्ड पार्षद मंजूरी देगा। इसके साथ ही पार्षद ही तय करेगा कि एक आरडब्ल्यूए को ज्यादा से ज्यादा कितने पार्क रखरखाव के लिए दिए जाएं। कमिश्नर ने कहा कि सरकारी खजाने से पार्को के रखरखाव का भुगतान होता है। अगर कोई सही तरीके से रखरखाव नहीं करेगा तो उस आरडब्ल्यूए का एमओयू खारिज कर दिया जाएगा। कमिश्नर ने कहा कि उस स्थिति में पार्षद की नहीं मानी जाएगी। रखरखाव न करने वाली एसोसिएशन से पार्क वापस ले लिए जाएंगे।