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फार्मासिस्ट यौन उत्पीड़न केस में पूर्व आइएएस सहित पांच पर आरोप तय

जासं, पंचकूला : सीजेएम रोहित वाट्स की अदालत ने साल 1997 में सामने आए महिला फार्मासिस्ट के या

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Sep 2018 09:56 PM (IST)Updated: Sat, 15 Sep 2018 09:56 PM (IST)
फार्मासिस्ट यौन उत्पीड़न केस में पूर्व आइएएस सहित पांच पर आरोप तय
फार्मासिस्ट यौन उत्पीड़न केस में पूर्व आइएएस सहित पांच पर आरोप तय

जासं, पंचकूला :

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सीजेएम रोहित वाट्स की अदालत ने साल 1997 में सामने आए महिला फार्मासिस्ट के यौन उत्पीड़न मामले में शनिवार को पूर्व आइएएस युद्धवीर सिंह ख्यालिया सहित पाच पर आरोप तय कर दिए। आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने पीड़िता के घर में जबरन घुसकर उनसे पूछताछ की। साथ ही महिला का पुरुष डॉक्टर से जबरन मेडिकल कराना। इतना ही नहीं उसे साजिश के तहत बदनाम किया गया। इस केस में कालका के तत्कालीन एसडीएम पूर्व आईएएस युद्धवीर सिंह ख्यालिया, एसएमओ यमुनानगर विजय दहिया, रिटायर्ड सुपरिंटेंडेंट स्वतंत्र गुप्ता, असिस्टेंट राजेश सैनी और माया रानी के खिलाफ सेक्शन 341, 452, 500, 506, 120बी के तहत आरोप तय कर दिए गए हैं।

तत्कालीन डीएसपी, तहसीलदार और एएसआइ ने ली हाई कोर्ट की शरण

मामले में कालका के तत्कालीन डीएसपी राजश्री सिंह, तत्कालीन तहसीलदार कालका बृज सिंह और एएसआइ ओंकार पर आरोप इसलिए तय नहीं हो पाए, क्योंकि उनकी ओर से हाई कोर्ट में अपील की गई है। वहीं मामले से रमेश कुमार, जयदेव, जय सिंह को डिस्चार्ज कर दिया गया है। इन सभी के खिलाफ पिछले करीब 21 वर्षो से विभिन्न अदालतों में केस लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बावजूद सीजीएम कोर्ट ने दे दी थी क्लीन चिट

जिसमें सरकारी अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था कि वह अपनी ड्यूटी कर रहे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक लंबी चौड़ी जजमेंट सुनाते हुए कहा था कि किसी भी महिला के घर में जबरन नहीं घुसा जा सकता। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीजेएम पंचकूला कोर्ट में केस चलाने की अनुमति दी थी। हालांकि सीजीएम की अदालत ने युद्धवीर ख्यालिया सहित अन्य को क्लीन चिट दे दी थी। इसके बाद पीड़िता फार्मासिस्ट ने एडिशनल सेशन जज नीरजा कुलवंत कल्सन की अदालत में अपील की थी।

यह है मामला

घटना 26 सितंबर 1997 की रात तक की है। पीड़िता के आरोपों के अनुसार तब के कालका एसडीएम युद्धवीर सिंह ख्यालिया, डीएसपी राजश्री सिंह के साथ पुलिस अधिकारियों ने फार्मासिस्ट के एचएमटी स्थित आवास में घुस गए थे। साथ ही इसकी वीडियोग्राफी भी करवाई गई थी। उन्होंने यह कार्रवाई माया रानी नामक महिला की शिकायत पर की थी। माया का आरोप था कि महिला फार्मासिस्ट के किसी व्यक्ति के साथ अवैध संबंध हैं। वह रात के समय में उसके घर आता है। इसी आधार पर फार्मासिस्ट के घर पर युद्धवीर सिंह ख्यालिया ने पुलिस टीम के साथ दबिश दी थी। इस दौरान पुलिस को वहां महिला फार्मासिस्ट के अलावा एक पुरुष भी मिला। इसके बाद एसडीएम दोनों को पूछताछ के लिए अपने साथ ले गए। दोनों का पुरुष डॉक्टर से मेडिकल करवाया गया। मेडिकल करवाने के पीछा मंशा शारीरिक संबंध को उजागर करना था, लेकिन मेडिकल में इसकी पुष्टि नहीं हुई। इसके बाद महिला फार्मासिस्ट ने अदालत में केस दायर किया। आरोप लगाया कि दबिश देने वाली टीम ने झूठी शिकायत के आधार पर उसे बदनाम किया। पीड़िता ने माया रानी के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया। उधर, ख्यालिया ने निचली अदालत में कहा कि वह सरकारी ड्यूटी कर रहे थे। हालांकि अदालत ने उनकी इस खारिज को खारिज कर दिया। ऐसे में ख्यालिया ने सेशन जज का दरवाजा खटखटाया, जहा उसकी याचिका को मान लिया गया, जिसके बाद महिला फार्मासिस्ट ने केस को हाइकोर्ट में चुनौती दी। जहा से भी महिला फार्मासिस्ट को राहत नहीं मिली, तो उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने महिला फार्मासिस्ट के हक में टिप्पणी सुनाते हुए यह केस सीजेएम कोर्ट में चलाने की मंजूरी दी थी। साथ ही तीन माह के अंदर फैसला सुनाने के आदेश दिये थे।


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