चंडीगढ़ की महिला डॉक्टर को RTI के नाम पर किया जा रहा परेशान, महिला का आरोप- दो माह से नहीं मिला जवाब
सेक्टर-55 स्थित हाउसिंग बोर्ड के मकान में रहने वाली डॉ. रामेश्वरी शर्मा पिछले दो महीने से हाउसिंग बोर्ड के मकानों में हुए अवैध निर्माण के बारे में संबंधित विभाग से आरटीआइ के माध्यम से जानकारी मांगी थी। लेकिन आरटीआइ से उन्हें कोई जवाब नहीं मिल रहा है।
जासं, चंडीगढ़। राइट टू इंफोरमेशन (आरटीआइ) के तहत यदि कोई किसी चीज की जानकारी मांगी जाती है तो उसे वो जानकारी मुहैया करवाई जाती है। लेकिन एक केस में आरटीआइ के नाम पर केवल खानापूर्ति और आरटीआइ डालने वाले को मानसिक परेशान किया जा रहा है।
सेक्टर-55 स्थित हाउसिंग बोर्ड के मकान में रहने वाली डॉ. रामेश्वरी शर्मा पिछले दो महीने से हाउसिंग बोर्ड के मकानों में हुए अवैध निर्माण के बारे में संबंधित विभाग से आरटीआइ के माध्यम से जानकारी मांगी थी। लेकिन आरटीआइ से उन्हें कोई जवाब नहीं मिल रहा है। यहीं नहीं आरटीआइ के जवाब में हर बार उन्हें कहा जा रहा है कि उनकी आरटीआइ में कोई कमी है। जब डॉ. रामेश्वरी उस कमी को पूरा कर दोबारा आरटीआइ डालती हैं तो फिर से उसमें नई कमी निकाल दी जाती है। इस बात को लेकर रामेश्वरी ने कहा कि मैं तो पढ़ी लिखी हूं और मुझे जानकारी के नाम पर लटकाया जा रहा है, तो शहर में दूसरे लोगों को क्या हाल होता होगा।
रामेश्वरी ने बताया कि वह चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के मकान में रहती है। उन्हाेंने अपने घर के बाहर अपनी बुजुर्ग बीमार मां के बैठने के लिए जगह बनाई थी। उनके पड़ौसी ने राजनीतिक जान पहचान का फायदा उठाकर उस निर्माण को तुड़वा दिया। निर्माण को तोड़ने के पीछे कारण बताया गया कि फुटपाथ पर अवैध निर्माण किया हुआ है। उन्होंने बताया कि उनकी मकान वाली लाइन में हर व्यक्ति अपने घर के सामने फुटपाथ पर कब्जा किया हुआ है, लेकिन सिर्फ उनके साथ ही यह कार्रवाई क्यों हुई।
इस बात को लेकर उन्होंने आरटीआइ के माध्यम से संबंधित विभाग से जानकारी मांगी थी। एक जून से 11 जून तक किन किन लोगों को नोटिस भेजे गए, जिन्होंने अवैध निर्माण किया हुआ है। उन्होंने कहा कि इस बात की जानकारी उन्हें नहीं दी जा रही है। क्योंकि यह सब उनके पड़ोसी ने अपनी राजनीतिक पहचान के बल पर किया है। उन्हाेंने कहा कि आरटीआइ से उन्हें सही जवाब नहीं दिया जा रहा है और केवल उन्हीं के खिलाफ यह कार्रवाई हुई है।