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चंडीगढ़ महिला कांग्रेस अध्यक्ष दीपा दूबे बोलीं- कोविड टीकाकरण सरकार का जुमला, शहर में हालात खराब

चंडीगढ़ महिला कांग्रेस की अध्यक्ष दीपा दूबे ने चंडीगढ़ में लगाए गए वीकेंड लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू पर सवाल खड़े किए हैं। उनका आरोप है कि शहर में कोरोना के चलते हालात ठीक नहीं है इसलिए प्रशासन को लॉकडाउन और कर्फ्यू लगाना पड़ रहा है।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 10:54 AM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 10:54 AM (IST)
चंडीगढ़ महिला कांग्रेस अध्यक्ष दीपा दूबे बोलीं- कोविड टीकाकरण सरकार का जुमला, शहर में हालात खराब
चंडीगढ़ महिला कांग्रेस अध्यक्ष दीपा दूबे की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ महिला कांग्रेस की अध्यक्ष दीपा दूबे ने कहा कि लॉकडाउन या नाइट कर्फ्यू कोरोना से मुक्ति पाने का एकमात्र उपाय नहीं है। प्रधानमंत्री के भाषण में उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि देश में लॉकडाउन कोरोना से बचने का आखिरी विकल्प है। अगर उनकी बात सही है तो प्रशासन द्वारा चंडीगढ़ में लॉकडाउन व नाइट कर्फ्यू लगाने का मतलब है कि चंडीगढ़ के कोरोना महामारी के चलते हालात बहुत ज्यादा खराब हैं। 21 फीसद संक्रमण दर यह दर्शाती है कोरोना महामारी का प्रकोप शहर में दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

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दीपा दूबे ने कहा कि बीते शुक्रवार को प्रशासन द्वारा शहर में वीकेंड लॉकडाउन लगाया गया है। वहीं, नाइट कर्फ्यू पहले लागू है, बावजूद कोरोना के मामलों में न कमी हुई न ही मौतों के दर में कमी आई। इसका यह मतलब निकलता है कि लॉकडाउन और कर्फ्यू का फैसला कोरोना को रोकने में कारगर साबित नहीं हुआ है। कोरोना के प्रकोप के चलते अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन अस्पतालों में बेड की कमी, ऑक्सीजन की कमी, औषधि की कमी, वेंटिलेटर की कमी और वॉलिंटियर्स की कमी से अब यह डर सताने लगा है कि आने वाले हालात कैसे होंगे। लॉकडाउन के डर से मजदूरों का पलायन हो रहा है। वहीं, कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद बाद भी लोग कोरोना की चपेट में आ रहे हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि टीका लगवाना सिर्फ मानसिक शक्ति को प्रबल करना है कि अब टीका लगने के बाद व्यक्ति करोना ग्रस्त नहीं होगा। ऐसे में टीका लगवाने का भी क्या फायदा है। यह सरकार का जुमला तो नहीं है?

दीपा दूबे ने कहा की सभी लोग मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। मेरा अनुरोध है कि सभी एक दूसरे के लगातार संपर्क में रहे। बिना झिझक अपनी तकलीफ और आवश्यकताएं साझा करें। यह वक्त भी गुजर जाएगा। दवा से ज्यादा हौसले की जरूरत है। किसी भी परिस्थिति में मनोबल कम न होने दें बल्कि दूसरों की हिम्मत बढ़ाएं। हम सब एक परिवार हैं एक दूसरे से बातचीत करें।


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