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चंडीगढ़ के स्कूल का अनोखा Kitchen Garden, एक शिक्षक के जुनून से हरी सब्जियां, फूलों की विशेष किस्में लहलहाईं

अध्यापक निर्मल सिंह ने स्कूल कैंपस में किचन गार्डन तैयार किया है। इसमें हर किस्म की मौसमी सब्जी उपलब्ध है। आलू प्याज मिर्च से लेकर बैंगन कद्दू खीरा करेला भी यहां उग रहा है। उन्होंने औषधीय पौधे उगा रखे हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 12:59 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 12:59 PM (IST)
चंडीगढ़ के स्कूल का अनोखा Kitchen Garden, एक शिक्षक के जुनून से हरी सब्जियां, फूलों की विशेष किस्में लहलहाईं
चंडीगढ़ के गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर-21 के लेक्चरर निर्मल सिंह। जागरण

सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़। चंडीगढ़ का गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर-21 खास है। यहां के लेक्चरर निर्मल सिंह वो कारनामा कर दिखाया है कि हर कोई वाहवाही कर रहा है। उन्होंने अपने स्कूल के परिसर में अनोखा किचन गार्डन स्थापित किया है। बगीचा ऐसा है कि आज हर कोई स्कूल में उसे देखने पहुंच जाता है।लेक्चरर निर्मल सिंह ने स्कूल को मंदिर बनाने और खुद घर का एहसास पाने के लिए कैंपस को हरियाली से भर दिया है। किचन गार्डन में हर किस्म की मौसमी सब्जी उपलब्ध है, फिर वह चाहे आलू, प्याज, मिर्च, से लेकर बैंगन, कद्दू, खीरा, करेला ही क्यों न हो। सब्जियों के साथ औषधीय पौधे भी लगाए गए हैं ताकि स्टूडेंट्स को स्कूल कैंपस में ही हर तरह के औषधीय पौधों की जानकारी मिल सके। औषधीय पौधों मे पुदीना, लेमन ग्रास, अजमैन शामिल हैं। सब्जियां उगाने के लिए पॉलीहाउस भी बनवाया है। 

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अध्यापक निर्मल सिंह के जुनून का नतीजा है चंदन गार्डन

स्टूडेंट्स को पेड़ पौधों की जानकारी हो और उन्हें स्कूल मे बेहतर पर्यावरण मिले, इसके लिए स्कूल मे चंदन गार्डन की भी स्थापना की है। इस गार्डन मे 50 से ज्यादा चंदन के पौधे लगाए गए हैं। इनकी देखभाल निर्मल सिंह खुद कर रहे हैं। 

किसान का बेटा हूं, जड़ों से जुड़ा रहना चाहता हूं 

निर्मल का कहना है कि वह पंजाब पटियाला के एक किसान के बेटे हैं। पिता ने खेतीबाड़ी करके उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। इसके बाद भी खुद की जड़ों से जुड़ा रहना चाहते हैं। इसलिए स्कूल मे किचन गार्डन, चंदन गार्डन फूलों की बगिया बना रहा हूं। मैं अपनी जड़ों से जुड़ने के एहसास के अलावा स्टूडेंट्स को भी प्रकृति से जोड़ रहा हूं जो किताबों से नहीं कर सकते हैं।

 सरकारी खर्च से नही बल्कि डोनेशन से बना बगीचा

निर्मल ने स्कूल में तैयार बगिया में मजदूरी खुद की है। इसके अलावा अन्य खर्च समाज सेवियों से दान के रूप में हासिल किया है। निर्मल सिंह की माने तो अभी शिक्षा तंत्र मे ऐसी एक्टिविटी का प्रविधान नहीं है। इसलिए अनेक समाजसेवियों से अपील की। मेरे जनून के लिए सभी ने हामी भरी और मैं खुद का सपना पूरा कर रहा हूं। 


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