लोगों की जिंदगी को बेहतर बना रही क्रिक की रिसर्च
सेक्टर-38 के इमटेक में क्रिक के जुड़े संस्थानों के स्टूडेंट्स ने प्रेंजेट की रिसर्च।
डॉ . रविंद्र मलिक, चंडीगढ़
टाईसिटी के 25 शिक्षण, मेडिकल, प्रबंधन और इंजीनिय¨रग संस्थानों को चंडीगढ़ रीजन इनोवेशन एंड नॉलेज सेंटर (क्रिक) के बैनर तले लाया गया है। इन सभी संस्थानों की फैकल्टी, साइंटिस्ट और पीएचडी स्कॉलर्स आम आदमी की जिंदगी को आसान बनाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। रिसर्च के क्षेत्र में लगातार बेहतर किया जा रहा है। इसको लेकर सेक्टर 39 के इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी (इमटेक) में शनिवार को रिसर्च एग्जीबिशन लगाई गई। यहां भारत सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर प्रो के विजयराघवन को स्कॉलर्स व साइंटिस्ट ने रिसर्च प्रोजेक्ट्स और उपरकरणों पर प्रेजेंटेशन भी दी। उन्होंने रिसर्च कर किसानों, मरीजों, महिलाओं, दिव्यांगों और आम आदमी के लिए बेहतरीन उपकरण और प्रोडक्ट बनाए हैें जो उनकी जिंदगी को आसान कर रहे हैं।
किसानों का पैसा और समय दोनों बचेगा
सीएसआइओ के दिव्यांग साइंटिस्ट डॉ मनोज ने किसानों के लिए ऐसा उपकरण बनाया है जिसकी मदद से फसलों में पेस्टीसाइड की उतनी ही मात्रा लगेगी जितनी कि जरूरत है। कीड़े से बचाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है लेकिन पेस्टीसाइड फसलों में इस्तेमाल के लिए कोई प्रभावी तकनीक नहीं थी लेकिन इलेक्ट्रॉनिक स्टेटिक स्प्रेयर से यह संभव है। ई वेस्ट मैनेजमेंट की बेहतरीन तकनीक बनाई
डॉ प्रवीण कौशिक ने हर तरह के इलक्ट्रॉनिक वेस्ट के निपटान के लिए तकनीक बनाई है जिसकी मदद से सारे वेस्ट को जिंक पाउडर, सीएफएल टयूब और खिलौने बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा। रिसर्च पर करीब 2 लाख खर्च हुआ। चंडीगढ़ में भी भूकंप का पता लगेगा तुरंत
स एसआइओ के डॉ सिद्धार्थ और डॉ रिपुल ने भूकंप डिटेक्टर उपकरण बनाया है जिसका इस्तेमाल दिल्ली मेट्रो प्रोजेक्ट में भी किया जा रहा है। पिछले महीने सोनीपत में आए भूकंप का पता इसी यंत्र से चला था। दिल्ली में 5 जगह इसको लगाया गया है। यह 3 से लेकर 6.5 रिएक्टर पैमाने वाले भूकंप को बता सकता है। व्हीकल की लाइट आंखों में लगने से दुर्घटना नहीं होगी
रात को सामने से आ रहे व्हीकल की रोशनी आंखों में लगने से दुर्घटना होती हैं। साइंटिस्ट डॉ विनोद और डॉ एचके सरदाना ने एंटी ग्लेयर फिलर(एटीजी) बनाया है जो रात को सामने से आ रहे व्हीकल की लाइट की रिफलेक्शन को करीब 70 फीसद तक कम करेगी। एटीजी की देश में चडीगढ़-दिल्ली, पुणे-मुबंई, शिमला-चंडीगढ़ और पुणे-नासिक हाइवे पर टेस्टिंग हो चुकी है। गृहिणी को तेल की गुणवत्ता 3 मिनट में पता चलेगी
अनुपमा शर्मा ने ऐसा उपकरण बनाया है जो कि तुरंत बता देगा कि खाने में इस्तेमाल तेल की गुणवत्ता कैसी है। लैब में इसका पता लगाने में करीब पौना घंटा लगता है लेकिन इसकी मदद से यह काम 3 मिनट में होगा। अब दिव्यांग भी पढ़ाई करेंगे
साइंटिस्ट रुबल और सिद्धार्थ ने रिसर्च से ऐसा उपकरण बनाया जो देख पाने में असमर्थ दिव्यांग को हर तरह के लिखित दस्तावेज ¨हदी में पढ़कर सुनाएगा। दस्तावेज को उपकरण स्कैन करेगा। पहले इसको इमेज और फिर टेक्सट में बदलेगा और अंत में यह स्पीच में बदल जाएगा।