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चंडीगढ़ के असिस्टेंट इंजीनियर राजेश चड्ढा और उसकी पत्नी को हाई कोर्ट से राहत, जानिए पूरा मामला

चड्ढा की पत्‍‌नी भी पंजाब सचिवालय में सीनियर असिस्टेंट के पद पर कार्यरत है। दंपती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में केस दर्ज किया गया था।

By Edited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 05:37 PM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 09:36 AM (IST)
चंडीगढ़ के असिस्टेंट इंजीनियर राजेश चड्ढा और उसकी पत्नी को हाई कोर्ट से राहत, जानिए पूरा मामला
चंडीगढ़ के असिस्टेंट इंजीनियर राजेश चड्ढा और उसकी पत्नी को हाई कोर्ट से राहत, जानिए पूरा मामला

चंडीगढ़, जेएनएन। आय से अधिक संपत्ति के मामले में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ के असिस्टेंट इंजीनियर राजेश चड्ढा और उनकी पत्नी को राहत दी है। अदालत ने सीबीआइ कोर्ट की ओर से दोनों को सुनाई गई सजा पर रोक लगा दी है। बीते 12 मार्च को चंडीगढ़ सीबीआइ अदालत ने सेक्टर-7 निवासी राजेश चड्ढा और उसकी पत्नी मंजू चड्ढा को दोषी करार देते हुए तीन-तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। अदालत ने दंपती पर 85 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

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चड्ढा की पत्‍‌नी भी पंजाब सचिवालय में सीनियर असिस्टेंट के पद पर कार्यरत है। दंपती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में केस दर्ज किया गया था। सीबीआइ कोर्ट ने दोनों को अपील दायर करने के लिए एक महीने का समय देते हुए उन्हें जमानत दे दी थी। सीबीआइ कोर्ट ने साफ किया था कि यदि एक महीने के भीतर उन्हें कोई राहत नही मिलती है तो वह सीबीआइ कोर्ट में सरेंडर कर दें। लाकडाउन के चलते जिला अदालत व हाई कोर्ट में कामकाज लगभग बंद है। फिर भी बुधवार को हाई कोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिंग  के माध्यम से केस की सुनवाई करते हुए सीबीआइ कोर्ट द्वारा दी गई सजा पर 11 अप्रैल तक के लिए रोक लगा दी। लेकिन कोर्ट ने 85 लाख रुपये जुर्माने के मामले में कोई राहत नही दी है। हाई कोर्ट ने जुर्माने पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है।

यह है पूरा मामला

मामला 2009 का है। एक कॉन्ट्रैक्टर ने सीबीआइ को शिकायत दी थी कि राजेश चड्ढा ने उसके 1.90 लाख रुपये के लंबित बिलों को क्लीयर करने के लिए 70 हजार रुपये की रिश्वत ली थी। इसके बाद सीबीआइ ने उनके आवास पर छापामारी की। इस दौरान कुछ दस्तावेज बरामद किए गए थे, जिसमें उनकी संपत्ति आय से अधिक होने का मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में 6 सितंबर 2012 को दोनों (दंपती) के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी, जिसमें बरामद दस्तावेज भी शामिल थे। आरोपी मंजू ने पति को निवेश दस्तावेजों को तैयार करने के लिए अपने नाम का उपयोग करने की अनुमति दी थी। इसलिए सीबीआइ ने उनको भी आरोपित बनाया था। उस समय उनकी संपत्ति 98 लाख से अधिक पाई गई थी। अदालत ने कहा था कि दोषी अपनी संपत्ति की जानकारी विभाग को देने और बरामद दस्तावेजों में दर्ज संपत्ति को गलत साबित करने में विफल रहा, इसलिए दोनों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


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