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चंडीगढ़ में बिजली आपूर्ति करने में इंजीनियरिंग विभाग के छूटे पसीने, बिजली खपत हुई डेढ़ गुणा

चंडीगढ़ में बिजली की मांग बढ़ने की सबसे मुख्य वजह एयर कंडीशनर हैं। गर्मी बढ़ने से अब दिन रात एसी चलने लगे हैं। बिजली की सबसे अधिक मांग दोपहर तीन बजे के आस-पास हो रही है। इस समय लोग लंच के बाद आराम करने के लिए एसी चलाते हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 10 Apr 2022 02:48 PM (IST)Updated: Sun, 10 Apr 2022 02:48 PM (IST)
चंडीगढ़ में बिजली आपूर्ति करने में इंजीनियरिंग विभाग के छूटे पसीने, बिजली खपत हुई डेढ़ गुणा
चंडीगढ़ में बिजली खपत 350 मेगावाट को पार कर गई है। सांकेतिक चित्र।

बलवान करिवाल, चंडीगढ़। चंडीगढ़ में चिलचिलाती गर्मी के बीच लग रहे पावर कटों ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। पिछले कुछ दिन में ही अधिकतम तापमान बढ़कर 38 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है। वीरवार को चंडीगढ़ का तापमान 38.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इसका का सीधा प्रभाव बिजली खपत पर पड़ा है। बिजली की खपत डेढ़ गुणा तक बढ़ गई है। अब बिजली खपत 350 मेगावाट को पार कर गई है। रोजाना आपूर्ति के लिए अब बिजली की मांग बढ़ती ही जा रही है। अप्रैल के आखिर तक इसके लिए 400 मेगावाट पार करने की संभावना जताई जा रही है।

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एसी ने बढ़ाई बिजली खपत

बिजली की मांग बढ़ने की सबसे मुख्य वजह एयर कंडीशनर हैं। गर्मी बढ़ने से अब दिन रात एसी चलने लगे हैं। पिछले सप्ताह तक एसी इतनी संख्या में चलने शुरू नहीं हुए थे, जितने अब चलने लगे हैं। अब गर्मी से राहत पाने के लिए लोगों ने एसी चलाने शुरू कर दिए हैं। इसका असर बिजली की मांग पर पड़ा है। पीक आवर्स में बिजली की मांग 350 मेगावाट को पार करने लगी है। बिजली की सबसे अधिक मांग दोपहर तीन बजे के आस-पास हो रही है। इस समय लोग लंच के बाद आराम करने के लिए एसी चलाते हैं।

घोषित के साथ अघोषित कट भी खूब लग रहे

जरूरी मेंटीनेंस के लिए रोजाना कहीं न कहीं घोषित कट लग रहे हैं। पिछले सप्ताह तो दस से अधिक सेक्टरों और एरिया में ऐसे कट लगाए गए। अब दो दिनों से इंडस्ट्रियल एरिया फेज-2 में लंबा कट लगाया जा रहा है। घोषित के साथ अघोषित कट तो पूरे शहर में लग रहे हैं। वीरवार को भी रायपुर कलां में सुबह से शाम तक बिजली कट रहा। इसके अलावा मनीमाजरा, किशनगढ़, बुडैल, सेक्टर-26, सहित कई सेक्टरों में ऐसे कट लगते रहे। बिजली कट से गर्मी में लोगों का जीना मुहाल हो गया। खासकर ऊपर के फ्लोर पर रहने वाले लोगों को ज्यादा परेशानी हुई।

पुराना इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं झेल पा रहा ओवरलोड

शहर में पांच 33 केवी सब स्टेशन, 13 सब स्टेशन 66 केवी स्टेशन अलग-अलग जगहों पर स्थित हैं। नियमों अनुसार किसी भी सब स्टेशन का लाइफस्पान 25 वर्ष का होता है। 66 केवी के 13 सब स्टेशन में से छह का लाइफस्पान पूरा हो चुका है। कई और सब स्टेशन इनमें शामिल होने वाले हैं। इन सभी सब स्टेशन को अब अपग्रेड करने की जरूरत है। इसी तरह से काफी ट्रांसफार्मर भी पुराने हैं, जो लोड बढ़ने पर ऑटो कट लगा देते हैं।


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