शहरवासियों की प्रशासन से अपील- अभी बंद ही रखे जाएं शराब के ठेके, ज्यादा ढील पड़ सकती है भारी
सोमवार सुबह से ही शहर की सड़कों पर वाहनों के अलावा कॉलोनियों में लोगों की भारी भीड़ देखी गई।
चंडीगढ़, [वैभव शर्मा]। चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा दी गई कर्फ्यू में छूट से लोगों में नाराजगी दिख रही है। सोमवार सुबह से ही शहर की सड़कों पर वाहनों के अलावा कॉलोनियों में लोगों की भारी भीड़ देखी गई। लोगों ने चंडीगढ़ प्रशासन से अपील करते हुए कहा कि उन्हें अपने फैसले पर दोबारा विचार विमर्श करना चाहिए। माना कि शहर के एक दो क्षेत्र ही रेड जोन में है लेकिन कर्फ्यू में छूट देने से शहर को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। कर्फ्यू में दी गई ढील के पहले दिन ही लोगों के हुजूम ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि अभी शहर में इतनी ढील नहीं दी जानी चाहिए।
शहरवासियों की प्रतिक्रिया
अलका जोशी।
प्रशासन ने कर्फ्यू में ढील का फैसला तो ले लिया है। लेकिन इस फैसले में कुछ चीजें ऐसी है जो नहीं होनी चाहिए। कर्फ्यू में ढील की वजह से लोग सड़कों पर निकल रहे हैं, जिन्हें अगर पुलिस रोक रही है, तो वे कह रहे हैं कि कर्फ्यू हट चुका है। मेरी प्रशासन से अपील है कि वह एक बार इस फैसले पर पुन र्विचार करें।
अलका जोशी।
शशांक भट्ट।
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकारी दफ्तरों के अलावा प्राइवेट ऑफिसेज में 33 प्रतिशत स्टाफ को आने की परमिशन दी जानी चाहिए। उसके अलावा शराब की दुकानों को खोलने का कोई मतलब नहीं बनता। इससे केवल शहर का नुकसान ही होगा।
शशांक भट्ट।
नेहा अरोड़ा।
शराब की दुकानों को खोलने का कोई औचित्य नहीं है। देखा जा रहा है कि जैसे शराब के ठेके खुल रहे हैं उनके बाहर लोगों की भारी भीड़ एकत्रित है। दुकानों को ओड इवन फॉर्मेट में खोलने का फैसला ठीक है। लेकिन लोगों के बीच फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाए रखने कड़ी चुनौती रहेगी।
नेहा अरोड़ा।
चंडीगढ़ प्रशाशान द्वारा शराब के ठेके खोले जाने का मै विरोध करता हूँ। एक तरफ़ तो डब्ल्यूएचओ बोलता है शराब पीने से इम्यूनिटी ख़राब होती है और कोरोना महामारी कमजोर इम्यूनिटी वाले व्यक्ति हो ज्यादा असर करता है और यहाँ प्रशाशन शराब के ठेके खोल कर लोगों कि ज़िन्दगी के साथ खिलवाड़ कर रहा है।
कमल शर्मा।
सुमन कौशल।
प्रशासन के फैसले के बाद हमारे यहां खुली दुकानों पर लोगों की भारी भीड़ एकत्रित हो गई थी, जिसके बाद पुलिस ने दुकानों को बंद करवा दिया। कर्फ्यू में ढील का फैसला जल्दबाजी है। पान, बीड़ी सिगरेट और शराब की दुकान खोलने पर इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती हैं।
सुमन कौशल।
दिलीप।
राशन की दुकान खोलने का फैसला तो ठीक है लेकिन शराब के ठेके खोलने का कोई तुक नहीं बनता। मुझे तो यह समझ नहीं आ रहा है कि प्रशासन ने यह फैसला क्या सोच कर लिया है। मेरी प्रशासन से गुजारिश है कि वह शराब के ठेकों को बंद ही रखें।
दिलीप।
सरकार और प्रशासन का मानना है कि शराब के ठेके खोलने से अर्थव्यवस्था में थोड़ी बहुत तेजी आएगी। लेकिन शराब के ठेकों के बाहर लगने वाली भीड़ से कोरोना वायरस का खतरा और ज्यादा बढ़ जाएगा। अगर ठेकों के बाहर लोगों का जमावड़ा एकत्रित हो गया और उनमें से कोई कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है तो क्या उसकी जिम्मेवारी प्रशासन लेगा।
परमिंदर सिंह कटोरा।
गौरव जुनेजा।
कोरोना वायरस से बचने के लिए पूरे विश्व में कहा जा रहा है कि अपने इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग करें। मैं प्रशासन से पूछना चाहता हूं कि ऐसी कौन सी शराब है जिसको पीने से इंसान का इम्यून सिस्टम मजबूत होगा। अगर कोई ऐसी शराब है तो फिर शराब के ठेकों को खोलें, अगर नहीं तो फिर शराब के ठेकों को बंद ही रखें।
गौरव जुनेजा।