चंडीगढ़ के लोगों की प्रशासन को चेतावनी, बिजली विभाग के निजीकरण का फैसला रद नहीं किया तो करेंगे आंदोलन
चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से बिजली विभाग का निजीकरण करने के प्रपोजल का शहरवासी विरोध कर रहे हैं। जबकि हाल ही में पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने भी प्रशासन पर इस मामले पर टिप्पणी की है जिसका शहर की रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन और व्यापारी संगठन स्वागत कर रहे हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से बिजली विभाग का निजीकरण करने के प्रपोजल का शहरवासी विरोध कर रहे हैं। जबकि हाल ही में पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने भी प्रशासन पर इस मामले पर गंभीर टिप्पणी की है जिसका शहर की रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन और व्यापारी सगठन स्वागत कर रहे हैं। फासवेक और क्राफ्ड के पदाधिकारियों ने भी हाई कोर्ट की टिप्पणी पर खुशी जाहिर की है। एसोसिएशनों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर बिजली विभाग के निजीकरण के निर्णय को रद नहीं किया गया तो लोग आंदोलन का सहारा लेंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन पर है।
अब सेक्टर-40 के रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्यों ने बिजली विभाग के निजीकरण के लिए प्रशासन की आलोचना की है। उन्होंने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के निजीकरण प्रक्रिया पर रोक लगाने के निर्णय का स्वागत किया है। इस मुद्दे पर एसोसिएशन के सदस्यों ने एक बैठक की। सदस्यों का कहना है कि हर कोई जानता है कि यूटी चंडीगढ़ में सौर ऊर्जा को छोड़कर बिजली की अपनी उत्पादन प्रणाली नहीं है, इस प्रकार विभाग विभिन्न उपयोगिताओं जैसे केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड आदि से बिजली खरीदता है और इसे दो लाख से अधिक उपभोक्ताओं को वितरित करता है।
यूटी इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज यूनियन के महासचिव गोपाल दत्त जोशी ने बताया कि कैसे वे न्यायपालिका सहित सत्ता के गलियारे में सड़कों के साथ-साथ निजीकरण के खिलाफ लड़ रहे हैं। सेक्टर-40 के एसके खोसला, जेएस संधू, दीदार सिंह, हरबंस सिंह, सज्जन सिंह, एस.आर. बाली, प्रदीप, बालमगिरी, बी रावत और गुरबक्स रावत बलबीर भारद्वाज, राकेश बरोटिया, गुरमीत सिंह, देविंदर शर्मा, देविंदर वेनीपाल, जनक राज शर्मा, हरप्रीत सिंह, बी.एस. रंधावा, तरसेम शर्मा हरीश थापर, कैप्टन कपाल,हरदीप वालिया, कुलविंदर सिंह, केएस नागा, एमआर भाटिया और आरडी शर्मा ने बिजली विभाग के निजीकरण का विरोध किया है। इन लोगों का कहना है कि जो विभाग फायदे में है उसका निजीकरण क्यों किया जा रहा है। बिजली सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक आवश्यक सेवा है, इसलिए भारत जैसे देश में मुनाफा कमाने के लिए इसे निजी हाथों में नहीं छोड़ा जा सकता है।
बिजली वितरण कार्य में लगाए गए कर्मचारी अपना कार्य कुशलता से कर रहे हैं और उनकी मेहनत के बल पर विद्युत विभाग प्रतिवर्ष लगभग 200 करोड़ रुपये के लाभ में चल रहा है। शहर की एसोसिएशनों का कहना है कि बिजली विभाग के निजीकरण की ऐसी नीति का पालन करने से न तो प्रशासन को कोई फायदा होगा और न ही निवासियों को। वास्तव में, यदि प्रशासन बिजली व्यवस्था में और सुधार लाना चाहता है और निवासियों को राहत देना चाहता है, तो एक ही विकल्प है कि विभाग में प्रत्येक पद के स्वीकृत पदों को नियमित आधार पर भरना और हर आवश्यक बुनियादी ढाँचे की तरह जिसमें वर्षों से कमी है।