Chandigarh News: वृद्धा पेंशन घोटाले की जांच करेगी सीबीआइ, पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने दिए आदेश
Chandigarh News वृद्धा पेंशन घोटाले की जांच सीबीआइ करेगी। मृत व्यक्तियों के नाम पर पेंशन के रूप में करोड़ों रुपये वितरित करने की सही जांच न होने पर हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है और स्पष्ट किया कि इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़: हरियाणा में 2011 में हुए वृद्धा पेंशन घोटाले की जांच अब सीबीआइ करेगी। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने यह आदेश दिए हैं। मृत व्यक्तियों के नाम पर पेंशन के रूप में करोड़ों रुपये वितरित करने की सही जांच न होने पर हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है और स्पष्ट किया कि इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। चाहे वह अतिरिक्त मुख्य सचिव हो या विभाग का अधीक्षक।
कोर्ट ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में पेंशन के नाम पर करोड़ों रुपये के घोटाले व जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि विभाग के मुखिया को क्या पता नहीं था कि कैसे उनके विभाग में जनता के पैसे को लूटा जा रहा है। वह कैसे विभागाध्यक्ष हैं जिन्हें इतने बड़े घोटाले का पता नहीं चला। कोर्ट ने कहा कि अतिरिक्त मुख्य सचिव से लेकर विभाग के अधीक्षक तक जो भी इसके लिए दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा।
एफआईआर की जांच में कमियों को किया स्वीकार
हाई कोर्ट के जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के महानिदेशक और समाज कल्याण विभाग हरियाणा की ओर से दायर हलफनामे की जांच के बाद ये आदेश पारित किए हैं। शत्रुजीत कपूर, डीजीपी (एसीबी) ने अपने विस्तृत जवाब में अपात्र लाभार्थियों को पेंशन के वितरण के संबंध में राज्य में दर्ज एफआईआर की जांच में कमियों को स्वीकार किया।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने कोर्ट को बताया कि अपात्र हितग्राहियों से 45,17,223 रुपये की वसूली की जा चुकी है तथा 6722 फर्जी हितग्राहियों से 7,5757085 रुपये की वसूली लंबित है। कोर्ट को बताया गया कि राज्य के विभिन्न जिलों में जिला समाज कल्याण अधिकारी (डीएसडब्ल्यूओ) के रूप में कार्यरत सात जिला स्तरीय अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की गई है।
कोर्ट के संज्ञान में यह भी लाया गया कि पिछले पांच साल से मामले की जांच की फाइल किसी ने छेड़ी ही नहीं
कोर्ट के संज्ञान में यह भी लाया गया कि पिछले पांच साल से इस मामले की जांच की फाइल छेड़ी भी नहीं गई। कोर्ट के सख्त रवैये के बाद ही कुछ हलचल की गई। कोर्ट को यह भी बताया गया कि कुछ अधिकारी व कर्मचारी को सेवानिवृत्त हुए चार साल से ज्यादा का समय हो चुका है इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती। इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए कोर्ट ने सवाल किया कि ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ समय से कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
मामले में याचिका दाखिल करते हुए आरटीआई एक्टिविस्ट राकेश बैंस एडवोकेट प्रदीप रापडिया के माध्यम से हाई कोर्ट को हरियाणा में हुए पेंशन वितरण घोटाले की जानकारी दी। याची ने बताया कि प्रदेश में तत्कालीन सरपंचों व नगर पालिका पार्षदों ने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर बड़ा घोटाला किया है। ऐसे व्यक्तियों के नाम पर पेंशन वितरण किया गया जो स्वर्ग सिधार चुके हैं।