चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव: प्रचार के लिए 5 लाख तक खर्च कर सकेंगे प्रत्याशी, 2016 में 67 निर्दलीय थे मैदान में
चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने इस बार चुनाव प्रचार के लिए राशि खर्च बढ़ा दिया है। इस बार उम्मीदवार पांच लाख रुपये तक खर्च कर सकेंगे। 2016 के चुनाव में यह राशि 3.25 लाख रुपये तय की गई थी।
वैभव शर्मा, चंडीगढ़। चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। चुनाव शेड्यूल जारी होते ही राजनितिक पार्टियों में हलचल भी तेज हो गई है। चुनाव आयोग ने इस बार प्रत्याशियों को राहत देते हुए चुनाव प्रचार खर्च की राशि बढ़ा दी है। साल 2016 में चुनाव में राशि खर्च जहां तीन लाख 25 हजार रुपये तय की गई थी, उसे इस बार बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया है। ऐसे में उम्मीदवार 5 लाख रुपये तक राशि प्रचार के लिए खर्च कर सकता है।
आयोग के इस फैसले से जहां एक ओर नेताओं और राजनीतिक पार्टियों में खुशी है तो वहीं कई दबे जुबान से यह भी कह रहे हैं कि चुनाव प्रचार में पांच लाख रुपये से ज्यादा ही खर्च हो जाता है। चुनाव आयोग ने इस बार चुनाव को लेकर एक रोचक फैसला लिया गया है। अभी तक चुनाव प्रचार के लिए हर राजनीतिक दल सोशल मीडिया को भी एक अहम रास्ता बनाता था, लेकिन इस चुनाव में अगर कोई राजनीतिक पार्टी या फिर उम्मीदवार सोशल मीडिया पर अपना प्रचार करता है तो उस प्रचार का खर्च भी तय की गई राशि में जुड़ेगा। गौरतलब है कि सोशल मीडिय प्रचार का बड़ा माध्यम है। ऐसे में जो भी उम्मीदवार को इस बात का ध्यान रखना होगा कि सोशल मीडिया पर हो रहे प्रचार का खर्च भी चुनाव प्रचार की राशि में शामिल होगा। प्रचार के दौरान इलेक्शन ऑब्जर्वर न केवल फीजिकल बल्कि सोशल मीडिया पर हो रहे प्रचार पर भी नजर रखेगा।
पांच साल में बढ़े 1.80 लाख वोटर
साल 2016 चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में कुल 59.54 प्रतिशत मतदान हुआ था। नोटबंदी के बावजूद भाजपा और कांग्रेस के लिए 26 वार्डों में उनके प्रदर्शन को आंकने की एक बड़ी चुनौती थी। चुनाव में 67 निर्दलीय उम्मीदवारों सहित कुल 122 प्रत्याशी मैदान में थे। वहीं 2, 37, 374 महिलाओं सहित कुल 5,07,627 मतदाता थे। जबकि इस बार वोटरों की संख्या बढ़कर 6.90 लाख है।
पिछले चुनाव में भाजपा ने किया था शानदार प्रदर्शन
साल 2016 में हुए चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में भाजपा और शिरोमणि अकाली दल का गठबंधन था लेकिन इस साल यह दोनों दल अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरेंगे। पिछली बार दोनों दलों के गठबंधन ने 26 में से 20 सीटों पर जीत दर्ज कर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था। भाजपा ने जहां 20 वहीं विरोधी दल कांग्रेस ने चार और निर्दलीय ने एक वार्ड में जीत हासिल की थी।