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ये हैं चंडीगढ़ नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर रुपेश कुमार, जो सरकारी गाड़ी छोड़ रोजाना साइकिल से जाते हैं ऑफिस

रूपेश कुमार ने चंड़ीगढ़ में 8 जुलाई 2021 में एसडीएम साउथ के तौर पर कार्यभार संभाला था जिसके साथ 6 जनवरी 2022 से नगर निगम आयुक्त का अतिरिक्त जिम्मा दिया गया है। रूपेश कुमार सेक्टर-7 में परिवार के साथ रहते हैं।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 10:40 AM (IST)Updated: Wed, 26 Jan 2022 10:40 AM (IST)
ये हैं चंडीगढ़ नगर निगम के एडिशनल कमिश्नर रुपेश कुमार, जो सरकारी गाड़ी छोड़ रोजाना साइकिल से जाते हैं ऑफिस
रूपेश कुमार रूटीन में अपने पीएसओ की सहायता से मॉडिफाइड साइकिल से कार्यालय पहुंचते हैं।

सुमेश ठाकुर, चंड़ीगढ़। सिटीब्यूटीफुल चंडीगढ़ में साइकिल को प्रमोट करने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत साइकिल शेयरिंग प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। इसके तहत मात्र चंद रुपयों में साइकिलिंग की जा सकती है। इससे पर्यावरण भी साफ रहेगा और सड़कों पर ट्रैफिक भी कम होगा।

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चंडीगढ़ नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त (एडिशनल कमिश्नर) रूपेश कुमार अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। उन्होंने सरकारी गाड़ी को छोड़कर साइकिल चलाना शुरू किया है। एडिशनल कमिश्नर रूपेश कुमार दृष्टिबाधित हैं। बावजूद उन्होंने ऑफिस जाने आने के लिए सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल बंद कर दिया है और साइकिल से निगम कार्यालय आ रहे हैं। रूपेश कुमार ने साइकिल चलाने का निर्णय स्मार्ट सिटी के साइकिल चैलेंज और फ्रीडम टू वॉक टारगेट के तहत लिया है।

रूपेश कुमार ने चंड़ीगढ़ में 8 जुलाई 2021 में एसडीएम साउथ के तौर पर कार्यभार संभाला था, जिसके साथ 6 जनवरी 2022 से नगर निगम आयुक्त का अतिरिक्त जिम्मा दिया गया है। रूपेश कुमार सेक्टर-7 में परिवार के साथ रहते हैं। वह रोजाना घर से नगर निगम कार्यालय सेक्टर-17 और उसके बाद निगम से जुड़े अन्य काम पर जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल कर रहे हैं।

पीएसओ की मदद से चलाते हैं साइकिल

रूपेश कुमार दृष्टिबाधित हैं। इसके चलते उनकी मदद के लिए पीएसओ की नियुक्ति की गई है। रूपेश कुमार रूटीन में पीएसओ की सहायता से मॉडिफाइड साइकिल से रूटीन में कार्यालय पहुंचते हैं। यह अन्य अधिकारियों के लिए भी एक मैसेज है। 

22 साल की उम्र में खोई नजर

रूपेश कुमार ने कंप्यूटर साइंस मे बीटेक की पढ़ाई की है। 22 साल की उम्र में आरपी डिसीज के चलते नजर खो गए है। नजर जाने के बाद घर को चलाने के लिए रूपेश कुमार ने 10 वर्ष तक पंजाब के वाटर सप्लाई विभाग में क्लर्क की नौकरी की। 35 वर्ष की उम्र में पहली बार में ही यूपीएससी का एग्जाम क्लियर करके यूटी कैडर के आइएएस बने। रूपेश कुमार ने आइएएस की ट्रेनिंग भी शहर में पूरी की है और उसके बाद पहली जॉइनिंग भी शहर में कर चुके हैं।


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