नमो देव्यै, महादेव्यैः सिलाई सेंटर से की मनजीत ने शुरूआत, आज 10 हजार महिलाओं को दे रहीं रोजगार
मलोया गांव की मंजीत कौर खुद सीख आज दूसरी महिलाओं से करवा रही फुलकारी निर्माण का कार्य। शहर के अलग-अलग गांव व कलोनियों और पंचकूला के स्वयंसेवी संगठनों से करवा रही मनजीत काम। शादी के बाद वर्ष 2012 में घर की जरूरत के लिए ज्वाइन किया था सिलाई सेंटर।
सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़। मोहाली जिले के गांव कारकौर की बेटी मनजीत कौर की शादी मलोया (चंडीगढ़) में हुई तो सास और ससुर के कहने पर उन्होंने सिलाई सीखी। सिलाई सेंटर पहुंची तो किसी स्वयंसेवी संस्था के कार्यकर्ता आए हुए थे, जिन्होंने फुलकारी निर्माण और उससे होने वाली कमाई की जानकारी दी। छोटी सी जानकारी पर मनजीत ने हरियाणा के रेवाड़ी स्थित हैंडीक्राफ्ट सेंटर में जाकर फुलकारी की बारीकी सीखी।
इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज वह अपनी स्वयंसेवी संस्था 'मेरी उड़ान' से जोड़कर दस हजार महिलाओं को उनके घर में बिठाकर ही उन्हें रोजगार दे रही है। मनजीत कौर महिलाओं से फुलकारी निर्माण करवाकर न सिर्फ पंजाब की संस्कृति का प्रचार कर रही है बल्कि उन फुलकारियों को बेचकर महिलाओं को आर्थिक मदद भी कर रही है।
दो से तीन हजार रूपये में बिक रही फुलकारी
मनजीत कौर अलग-अलग डिजाइन के फुलकारी निर्माण करती है। साधारण तौर पर एक फुलकारी की बाजार में कीमत दो से तीन हजार रूपये है। यह फुलकारी महिलाएं अपने घर बैठे घर के काम से मिलने वाली खाली समय में पूरा करती है।
अपने फुलकारी वाले कपड़ों के साथ मनदीप कौर।
शादी के बाद नहीं आती थी कपड़ों की मररम्मत
मनजीत कौर ने बताया कि गांव में रहकर पढ़ाई की थी। बाहरी दुनिया की ज्यादा समझ नहीं थी। शादी के बाद खुद के कपड़ों की मररम्मत भी नहीं आती थी तो ससुराल वालों के बोलने पर सिलाई सेंटर ज्वाइन किया। सिलाई सेंटर से जैसे ही फुलकारी की समझ आई और उसकी ट्रेनिंग में जाने के लिए हरियाणा जाने की बात आई तो पति रूपिंदर ने सहयोग किया। वह खुद वहां तक छोड़कर आए। आज मेरा खुद का 17 वर्ष का बेटा है तो भी पति हमेशा हर वक्त सहयोग के लिए खड़े मिलते हैं।
नगर निगम चंडीगढ़ के सहयोग से बिक्री का मिला बेहतर प्लेटफार्म
मनजीत कौर ने बताया कि सबसे पहले खुद फुलकारी बनाती थी। धीरे-धीरे बाद गांव की दूसरी महिलाएं इससे जुड़ने लगी। महिलाओं को एक बार जोड़ने के बाद काफिला बढ़ता चला गया और उसमें मेरे गांव के अलावा शहर के दूसरे गांव की महिलाएं भी जुड़ चुकी है।
इस जुड़ाव में सबसे ज्यादा सहयोग रहा नगर निगम चंडीगढ़ का। नगर निगम चंडीगढ़ के नेशनल अर्बन लाइवलीहुड् मिशन (एनयूएलएम) ने मलोया में हो रहे काम को पहचाना और दूसरे ग्रुप के सामने रखा। उनकी बदौलत शहर की करीब पांच हजार से ज्यादा महिलाएं फुलकारी के काम से जुड़ चुकी है।
इसी प्रकार से नगर निगम के कारण मुझे हरियाणा सरकार ने भी अपने साथ जोड़ा और पंचकूला स्थित उनके विभिन्न कौशल विकास के केंद्रों में जाकर महिलाओं और बेटियों को फुलकारी निर्माण के टिप्स देती हूं।