Move to Jagran APP

डेंगू मरीजों के लिए मसीहा बनी चंडीगढ़ की लिव फॉर ह्यूमैनिटी संस्था, प्लेटलेट्स डोनेट कर बचा रहे जिंदगियां

चंडीगढ़ की एक ऐसी संस्था है जो डेंगू मरीजों के लिए भगवान साबित हो रही है। क्योंकि डेंगू मरीजों को प्लेटलेट्स की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। अगर उन्हें समय पर ब्लड प्लेटलेट्स न मिले तो मरीज की जान चली जाती है। यह संस्था है लिव फॉर ह्यूमैनिटी।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 04:45 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 04:45 PM (IST)
डेंगू मरीजों के लिए मसीहा बनी चंडीगढ़ की लिव फॉर ह्यूमैनिटी संस्था, प्लेटलेट्स डोनेट कर बचा रहे जिंदगियां
संस्था के सदस्य हर समय प्लेटलेट्स व रक्तदान के लिए तैयार रहते हैं।

विकास शर्मा, चंडीगढ़। इन दिनों चंडीगढ़ समेत ट्राईसिटी डेंगू की जकड़ में है। पंचकूला और मोहाली में तो हालात चंडीगढ़ के मुकाबले ज्यादा खराब हैं। दोनों शहर में ज्यादा डेंगू मरीज हैं। माहोली में तो डेंगू मरीजों का आंकड़ा 1300 से पार हो चुका है और 15 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में डेंगू मरीजों की संख्या बढ़ने से अस्पतालों में प्लेटलेट्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। जैसे -जैसे अस्पतालों में डेंगू मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, वैसे प्लेटलेट्स की मांग भी बढ़ रही है। ऐसे में चंडीगढ़ की एक ऐसी संस्था है जो डेंगू मरीजों के लिए भगवान साबित हो रही है। क्योंकि डेंगू मरीजों को प्लेटलेट्स की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। अगर उन्हें समय पर ब्लड प्लेटलेट्स न मिले तो मरीज की जान चली जाती है। यह संस्था है लिव फॉर ह्यूमैनिटी। जैसा इस संस्था का नाम है वैसा ही काम भी है।

loksabha election banner

लिव फॉर हम्यूनिटी के संस्थापक व प्रेसिडेंट सतीश सचदेवा ने बताया कि उनके पास रोजाना 10 से 15 ऐसे लोगों के फोन आते हैं, जिन्हें प्लेट्लेट्स की तुरंत जरूरत है। संस्था के साथ करीब 4000 से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं लेकिन इनमें केवल 300 से 400 लोग ही ऐसे हैं जोकि हर समय प्लेटलेट्स व रक्तदान के लिए तैयार रहते हैं। इन्हीं लोगों की मदद से यह सेवा कार्य चल रहा है।

अस्पताल या इंटरनेट मीडिया के माध्यम से लोग करते हैं संपर्क

सतीश सचदेवा ने बताया कि लोग प्लेटलेट्स डोनेट करने से डरते हैं, आलम यह है कि लोग अपनों को भी प्लेट्लेटस डोनेट नहीं करते हैं। ऐसे में लोग इंटरनेट मीडिया या अस्पताल के माध्यम से हमारी संस्था के साथ संपर्क करते हैं। जैसे ही कोई हमसे ब्लड या प्लेट्लेट्स के लिए मदद मांगता है, हमारी टीम के सदस्य उसकी मदद के लिए जुट जाते हैं। प्लेटलेट्स डोनेट करने में एक से डेढ़ घंटा लग जाता है। संस्था से जुड़े ज्यादातर लोग व्यापारी या छात्र हैं, जो रात के समय में जाकर प्लेटलेट्स डोनेट करते हैं। उन्होंने बताया कि वह खुद 122 बार रक्तदान और 98 बार प्लेटलेट्स डोनेट कर चुके हैं।

वर्ष 2014 से काम कर रही है लिव फॉर ह्यूमैनिटी

सतीश सचदेवा ने बताया कि वर्ष 2014 में दोस्त की मां को डेंगू हुआ तो प्लेटलेट्स के लिए काफी दिक्कत हुई। इस दौरान हमने महसूस किया कि रक्तदान क्या महत्व है और समय पर रक्त न मिलने से कितना बड़ा नुकसान हो सकता है। इसीलिए दोस्तों ने मिलकर लिव फॉर ह्यूमैनिटी नाम की संस्था बनाई, जो आज शहर की लाइफलाइन बन गई है।

परिवार के सदस्य भी देते हैं इस सेवाकार्य में साथ

सतीश सचदेवा ने बताया कि संस्था के साथ जुड़े लोगों के साथ उनके परिवारवाले भी इस सेवा के लिए समर्पित रहते हैं। उनके पिता सुभाष चंद सचदेवा और मां किरण रानी भी रेगुलर ब्लड डोनर हैं। सचदेवा का कहना है कि हमें रक्तदान और प्लेटलेट्स दान करते समय डरना नहीं चाहिए। सुरक्षित तरीके से रक्त और प्लेटलेट्स दान किया जा सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.