चंडीगढ़ में फिर गर्माया लीज टू फ्री होल्ड प्रॉपर्टी का मामला, व्यापारियों ने दी संघर्ष की चेतावनी, रखी ये मांग
शहर में लीज टू फ्री होल्ड प्रापर्टी का मामला एक बार फिर से गरमा गया है। उद्योग व्यापार मंडल चंडीगढ़ ने शहर में किसी भी लीज होल्ड प्रापर्टी पर कुल जितनी लीज़ मनी बनती है उसे एकमुश्त लेकर प्रापर्टी को फ्री होल्ड किए जाने की मांग की है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। शहर में लीज टू फ्री होल्ड प्रापर्टी का मामला एक बार फिर से गरमा गया है। हाल ही में औद्योगिक क्षेत्र के व्यापारियों ने इस मामले और अन्य समस्याओं को लेकर धरना भी दिया था। उद्योग व्यापार मंडल चंडीगढ़ ने शहर में किसी भी लीज होल्ड प्रापर्टी पर कुल जितनी लीज़ मनी बनती है उसे एकमुश्त लेकर प्रापर्टी को फ्री होल्ड किए जाने की मांग की है।
उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष कैलाश चंद जैन ने कहा कि शहर में जी भी प्रापर्टी लीज होल्ड पर अलाट की जाती है उस पर प्रीमियम के अलावा पहले 33 साल के लिए ढ़ाई फीसद उसके अगले 33 साल 3.75 फीसद और अगले 33 साल पांच फीसद प्रति वर्ष लीज मनी ली जाती है। इस तरह प्रशासन प्रापर्टी की कीमत के साथ साथ अलाटमेंट के 99 साल तक प्रापर्टी की लीज वसूल करेगा। इसके बाद प्रापर्टी फ्री होगी।
व्यापारियों की मांग है कि प्रशासन इन 99 वर्षों में ली जाने वाली लीज मनी को एक बार में ही लेकर मामला खत्म करे और प्रापर्टी को फ्री होल्ड कर दे। प्रशासन को जो पैसा आगामी 99 सालों में किस्तों में मिलने वाला है उसको अलाटी आज ही एकसाथ देने को तैयार है, तो लीज मनी के पूरे पैसे मिल जाने पर प्रशासन की तरफ से भी उस प्रापर्टी को फ्री होल्ड कर दिया जाना चाहिए। ऐसा करने से प्रशासन को कोई रेवेन्यू लॉस नहीं होगा, जबकि जो पैसा 100 साल में किस्तों में मिलना था वह एकसाथ मिल जाएगा। इससे प्रशासन को तो फायदा और प्रापर्टी मालिक को भी राहत मिलेगी। व्यापारियों ने यह चेतावनी भी दी है कि अगर उन्हें इस मामले में जल्द राहत नही दी गई तो वह प्रशासन के खिलाफ संघर्ष शुरू करेंगे।
70 फीसद प्रापर्टी है लीज होल्ड
इंंडस्ट्रियल प्लाट को लीज होल्ड टू फ्री होल्ड करने के लिए यूटी प्रशासन ने केंद्र सरकार के सामने मामला भी उठाया है। यह मामला लिखित में भी गृह मंत्रालय को भेजा जा चुका है, जिसका अभी तक कोई हल नहीं निकला है। प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित भी चंडीगढ़ के लंबित मामलों को दिल्ली से हल कराने की बात कह चुके हैं।चंडीगढ़ की 70 फीसद से अधिक कमर्शियल और इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टी लीज होल्ड बेस पर है। इसमें एस्टेट ऑफिस, नगर निगम और चंडीगढ़ हाउसिग बोर्ड की प्रॉपर्टी शामिल है। अधिकतर प्रापर्टी 99 सालों के लिए लीज पर है। पिछले 37 सालों से प्रॉपर्टी ट्रांसफर का इंतजार है।
35 साल से नहीं बनी पालिसी
प्रशासन ने इंडस्ट्रिय एरिया के फेज-1 और 2 में इंडस्ट्रियलिस्ट को प्लाट 1973 से 1982 के बीच अलाट किए थे। यह प्लाट इस शर्त पर अलॉट किए गए थे कि 15 साल बाद अनअर्न्ड प्राफिट पर प्रशासन ट्रांसफर की मंजूरी देगा। 35 साल बीत जाने के बाद भी प्रशासन आज तक ट्रांसफर के लिए कोई पॉलिसी नहीं बना पाया है। अनअर्न्ड प्राफिट का मतलब ओरिजनल अलॉटी द्वारा दी गई राशि और ट्रांसफर के समय प्रॉपर्टी के मार्केट रेट के बीच अंतर है। प्रशासन ने 2015 में जो इंडस्ट्रियल पालिसी बनाई थी, उसमें भी लीज से लीज होल्ड को मंजूरी दिए जाने का आश्वासन दिया गया था।
चंडीगढ़ उद्योग व्यापार मंडल का कहना है कि यह फार्मूला हर प्रकार की प्रापर्टी को लीज होल्ड से फ्री होल्ड करने के लिए लागू किया जा सकता है। इस आशय का पत्र चंडीगढ़ प्रशासक के अलावा केंद्रीय गृह मंत्रालय तथा शहरी विकास मंत्रालय को भी भेज कर मांग की है कि शहर में प्रापर्टी खासकर कमर्शियल व इंडस्ट्रियल प्रापर्टी को इस फार्मूले के तहत लीज होल्ड से फ्री होल्ड किया जाए।
नाम बदल दिया गया लेकिन समस्याएं नहीं हुई कम
व्यापारी एकता मंच के पदाधिकारी दीपक शर्मा का कहना है कि चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा चंडीगढ़ इंडस्ट्रियल एरिया का नाम बदलकर इंडस्ट्रियल बिजनेस पार्क रखा गया। बावजूद छोटे व्यापारियों को कभी मिसयूज के नाम से, कभी वायलेशन, कभी जीएसटी, कभी फायर पालिसी के लिए तंग किया जा रहा है। शहर का व्यापारी चंडीगढ़ प्रशासन और चंडीगढ़ की रीड की हड्डी हैं, जिसे तोड़ने का काम किया जा रहा है।