चंडीगढ़ में करोड़ों की कोठी कब्जाने का मामला: पूर्व SHO राजदीप को हाई कोर्ट से जमानत, डेढ़ साल से बुड़ैल जेल में था बंद
चंडीगढ़ के सेक्टर-37 स्थित विवादित कोठी प्रकरण में एक आरोपित को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है। करोड़ों रुपये की कोठी कब्जाने के मामले में आरोपित सेक्टर-39 पुलिस स्टेशन के पूर्व एसएचओ राजदीप सिंह को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट से जमानत मिली है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ के सेक्टर-37 स्थित विवादित कोठी प्रकरण में एक आरोपित को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है। करोड़ों रुपये की कोठी कब्जाने के मामले में आरोपित सेक्टर-39 पुलिस स्टेशन के पूर्व एसएचओ राजदीप सिंह को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट से जमानत मिली है। इस मामले में पत्रकार संजीव महाजन मुख्य आरोपित है।
करीब डेढ़ साल से आरोपित राजदीप सिंह बुड़ैल जेल में बद है। उसपर आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई न करने का आरोप है। कोठी हड़पने के मामले में संजीव महाजन के अलावा शराब कारोबारी अरविंद सिंगला, चंडीगढ़ पुलिस के पूर्व एसएचओ राजदीप सिंह, डीएसपी रामगोपाल का भाई सतपाल डागर, खलिंद्र कादियान, प्रापर्टी डीलर सौभव गुप्ता, उसका भाई मनीष गुप्ता, नकली राहुल मेहता दलजीत सिंह उर्फ रुबल, शेखर और अशोक अरोड़ा का नाम शामिल है।
वर्ष 2017 में सेक्टर-39 थाने के तत्कालीन प्रभारी रहते राजदीप सिंह पर मामले में कार्रवाई नहीं करने, शिकायतकर्ता से गाली-गलौच कर भगाने, आरोपितों का साथ देने सहित कई अन्य आरोप थे। इसके अलावा चंडीगढ़ पुलिस की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) की पड़ताल में खुलासा हुआ कि राजदीप ने सबसे पहले संजीव महाजन और सुरजीत बाउंसर को कोठी में घुसने में मदद की थी।
वहीं एक एक आरोपी बाउंसर सुरजीत की हत्या हो गई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए चंडीगढ़ पुलिस ने SIT बना कर जांच की थी। राजदीप पर आरोप है कि उसे पूरी घटना की जानकारी थी और शिकायत मिलने के बावजूद उसने आरोपितों पर कोई कार्रवाई नहीं की।
पुलिस केस के मुताबिक, आरोपितों ने करोड़ों रुपये की कोठी कब्जाने के लिए कोठी के असली मालिक राहुल मेहता को मानसिक यातनाएं दीं। उसे चंडीगढ़ से अगवा करके गुजरात ले गए थे। उसे कई दिन तक अलग-अलग जगहों पर छुपा कर रखा। इसके बाद उसकी करोड़ों की कोठी पर कब्जा करके फर्जी कागजात बनवाकर उसे बेच दिया।
बता दें कि मामले में सबसे पहले 2 मार्च 2021 को पुलिस ने संजीव महाजन को गिरफ्तार किया था। उसके बाद एक एक करके इस केस से जुड़े सभी आरोपितों को जेल भेजा गया। इनमें से केवल गिरफ्तारी महाजन की हुई थी। बाकी सभी ने कोर्ट में आत्मसर्पण किया था।