डीजल के बढ़ते दाम से निजात दिलाएगा काई से बना बायो फ्यूल
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़: लगातार डीजल के दाम बढ़ते जा रहे हैं और खपत बढ़ने से इसका स्त्रोत भी खत्म हो रहा है। इससे काई से बना बायो फ्यूल निजात दिला सकता है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़: लगातार डीजल के दाम बढ़ते जा रहे हैं और खपत बढ़ने से इसका स्त्रोत भी खत्म हो रहा है। काई या छोटी वनस्पति से बायो फ्यूल बनाकर कुछ हद तक डीजल की समस्या से मुक्ति पा सकते हैं। यह जानकारी पीयू के बॉटनी विभाग के प्रो. अमरीक सिंह आहलूवालिया ने पीएन मेहरा चेयर लेक्चर में दी। उन्होंने बायो फ्यूल विषय पर लेक्चर दिया। उन्होंने आगे कहा कि काई को बायो फ्यूल में कन्वर्ट किया जा सकता है। इससे पर्यावरण भी दूषित नहीं होगा और डीजल की बचत भी होगी। पर्यावरण में दूषित कारक उत्सर्जित नहीं होंगे। सुखना की वीड की समस्या का समाधान भी हो सकता है। लेकिन इसमें कुछ काम करने की जरूरत है। एग्रो वेस्ट के साथ मिलाकर सुखना की वीड को बायो फ्यूल में तब्दील किया जा सकता है। लेकिन पहले वीड को सुखाना पड़ेगा। पूर्व वीसी प्रो. अरुण ग्रोवर ने कहा कि बायो फ्यूल के फील्ड में हो रहे काम को आगे बढ़ाने की जरूरत है। प्रो. प्रोमिला पाठक भी इस दौरान मौजूद रहीं।
एक एकड़ में एक हजार गैलन बायो फ्यूल तैयार होता है
एक एकड़ में एक साल में एक हजार गैलन बायो फ्यूल तैयार किया जा सकता है। वाहन में इस्तेमाल किए जा रहे डीजल में 10 फीसद मात्रा तक बायो फ्यूल को इस्तेमाल किया जा सकता है। इसको एड कर ही इस्तेमाल किया जा सकता है। एक लीटर में 10 फीसद तक डीजल की बचत होगी और पर्यावरण कम दूषित होगा।
छतों पर पौधे लगाएं, टेंप्रेचर कम होगा
एक्सपर्ट्स ने यह भी बताया कि छतों पर छोटे पौधे उगाए जाने चाहिए। वहां पर गमले या बक्सों में इनको उगा सकते हैें। छोटी वनस्पति या काई को भी वहीं उगाया जा सकता है। इससे छत का तापमान भी कम होगा जिसके चलते गर्मी से निजात मिलेगी।
सिंगापुर में छत पर पौधे लगाने का नियम
लेक्चर में आए एक एक्सपर्ट पल्लव राय ने बताया कि हमें सिंगापुर की तर्ज पर चंडीगढ़ में छतों पर वनस्पति लगानी चाहिए। वहां यह नियम है कि छतों पर इसका होना जरूरी है। इसके कई फायदे होते हैं।
87 मिलियन पानी रोज फ्लश में बहा देते हैं
राय ने यह भी बताया कि हम पानी को रीसाइकिल करने की भी जरूरत है। हम कजौली से 92 मिलियन लीटर पानी रोज मंगवाते हैं, लेकिन इसमें से 87 मिलियन लीटर को फ्लश, कपड़े धोने व नहाने में ही बहा देते हैं। हर महीने इसको ऊपर मंगवाने के लिए बिजली के बिल पर करीब 25 लाख खर्च कर देते हैं।