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कोरोना का बच्चों पर अटैक, पीजीआइ चंडीगढ़ में 12 साल तक के 36 कोरोना संक्रमित भर्ती, 18 मरीज आइसीयू में एडमिट

Chandigarh Corona Update कोरोना से स्थिति थोड़ा संभलने लगी है। लेकिन वहीं बच्चों के लेकर हालात चिंताजनक हो रहे हैं। पीजीआइ चंडीगढ़ में इस समय सबसे ज्यादा कोरोना पॉजिटिव बच्चे भर्ती हैं। ये बच्ची पीजीआइ में ही कोरोना की चपेट में आए हैं।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 12:59 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 12:59 PM (IST)
कोरोना का बच्चों पर अटैक, पीजीआइ चंडीगढ़ में 12 साल तक के 36 कोरोना संक्रमित भर्ती, 18 मरीज आइसीयू में एडमिट
बीते दिनों पीजीआइ में 500 से अधिक डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ संक्रमित पाए गए थे।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। Chandigarh Corona Update: पीजीआइ चंडीगढ़ में इस समय 12 साल तक के 36 कोरोना संक्रमित बच्चों का इलाज चल रहा है। बड़ी बात यह है कि इनमें अधिकतर बच्चे ऐसे हैं, जोकि पीजीआइ में दूसरी बीमारी के इलाज के दौरान कोरोना से संक्रमित हुए हैं। बीते दिनों पीजीआइ में 500 से अधिक डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ संक्रमित पाए गए थे। यही कारण है कि पीजीआइ में कई मरीज भी इलाज के दौरान संक्रमित हुए हैं।

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पीजीआइ चंडीगढ़ में इस समय 183 संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है। इनमें 107 पुरुष और 76 महिलाएं शामिल हैं। इनमें 18 संक्रमित मरीज कोविड आइसीयू में, 100 कोविड एचडीयू वार्ड में, 35 कोविड पीडियाट्रिक वार्ड और 23 संक्रमित मरीज अन्य वार्ड में एडमिट हैं।

सबसे ज्यादा संक्रमित मरीज 13 से 39 साल तक

पीजीआइ में सबसे ज्यादा संक्रमित 13 से 39 साल तक के 73 मरीज भर्ती हैं। 40 से 59 साल के 42, 60 से 79 साल के 28 और 80 साल से अधिक उम्र के चार संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है। पीजीआइ में जो संक्रमित मरीज भर्ती हैं, उनमें अधिकतर पंजाब के 60, हरियाणा के 41, चंडीगढ़ के 33, हिमाचल प्रदेश के 27, उत्तर प्रदेश के 11, जम्मू-कश्मीर में चार, बिहार में चार, राजस्थान में एक और उत्तराखंड से दो संक्रमित मरीज भर्ती हैं।

संक्रमण काे राेकने के लिए रूटीन में स्टाफ का हो रहा कोविड टेस्ट

पीजीआइ निदेशक प्रोफेसर सुरजीत सिंह ने कहा कि पीजीआइ में बीते दिनों अधिक संख्या में डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ पॉजिटिव पाए गए। ऐसे में अब पीजीआइ प्रशासन ने यह फैसला किया है कि रूटीन में 10 से 15 दिन के बाद हर स्वास्थ्य कर्मी का कोविड टेस्ट किया जाए। ताकि डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के अलावा मरीजों में संक्रमण का खतरा न फैले।


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