चंडीगढ़ बना विदेशी अवैध सिगरेट का हब
एक्साइज डिपार्टमेंट के अफसरों की शह पर हर रोज लाखों रुपये की बिक रही अवैध सिगरेट।
विशाल पाठक, चंडीगढ़ : शहर में विदेशी अवैध सिगरेट का चलन पिछले एक साल से काफी बढ़ गया है। सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ विदेशी नकली सिगरेट का हब बनता जा रहा है। यहा हर रोज लाखों रुपये की अवैध विदेशी सिगरेट बाजारों में खुलेआम बिक रही है। पुलिस और प्रशासन दोनों हाथ धरे बैठे हैं। बाजार में रोजाना लाखों की नकली सिगरेट की सप्लाई हो रही है। हाल ही में एक बार शिकायत मिलने पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 15 लाख की अवैध नकली सिगरेट पकड़ी थी। नियमों के अनुसार सिगरेट पैक पर वैधानिक चेतावनी होनी चाहिए। मार्केट में बिक रहे अवैध सिगरेट पैक पर न वैधानिक चेतावनी होती है। और न ही प्रिंट रेट। इससे प्रशासन को रेवेन्यू का भारी नुकसान भी हो रहा है। यह सिगरेट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। शहर की हर बड़ी मार्केट, होटल, क्लब और पबों के बाहर पान व सिगरेट की दुकान पर आराम से अवैध विदेशी सिगरेट मिल रही है। दैनिक जागरण के संवाददाता ने सेक्टर-9 मध्यमार्ग पर वाइन शॉप के सामने मुन्ना पान, सेक्टर-10 में कुलदीप पान, सेक्टर-15 में डीपी पान, प्रिंस पान और शर्मा कॉन्फेशनर्स पर जाकर जब इन नकली ब्राड की सिगरेट ली तो हर जगह इनका अलग रेट मिला और जब पूछा गया तो दुकानदारों ने यह खुद कबूल किया कि यह ब्राड पूरी तरह से शहर में बैन है। इसके बावजूद शहर में इन नकली ब्राड के सिगरेट की सप्लाई अफसरों की शह पर हो रही है। शहर में इन ब्राड के नाम से बिक रही विदेशी नकली सिगरेट
शहर में धड़ल्ले से जो विदेशी नकली सिगरेट बिक रही हैं। उनमें पाइन, ब्लैक, येस लाइट, मोंड, सिगार व अन्य ब्राड से विदेशी निकली सिगरेट बेची जा रही हैं। प्रशासन को सिगरेट की बिक्री से करीब 40 प्रतिशत तक का टैक्स आता है। प्रशासन को 40 प्रतिशत टैक्स न देना पड़े। इसके लिए शहर में विदेशी नकली सिगरेट मार्केट में उतारी जा रही हैं। यहा से शहर में आती हैं विदेशी नकली सिगरेट
शहर में विदेशी नकली सिगरेट की खेप मुख्य रूप से दिल्ली से आ रही हैं। इनमें जो भी विदेशी सिगरेट के ब्राड हैं। वह नॉर्थ कोरिया, चाइना, अमेरिका, सिंगापुर और दुबई से आती हैं। सिगरेट सप्लायर की मानें तो समुद्री रास्ते के जरिये पहले यह विदेशी नकली सिगरेट भारत पहुंचती हैं। फिर इन्हें समुद्री तटों के पास लोकल मार्केट के सप्लायरों के जरिये दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, पंजाब, हरियाणा, यूपी, गोवा व अन्य जगह पहुंचा दी जाती हैं। चंडीगढ़ में जितनी भी विदेशी नकली सिगरेट आ रही हैं, वह सब दिल्ली की मार्केट से उठाई जाती हैं। पंजाब में भी फैला नेटवर्क
अवैध विदेशी सिगरेट का नेटवर्क पंजाब में भी फैला हुआ है। गत सप्ताह ही अमृतसर के एक प्रमुख बाजार में 43 हजार अवैध विदेशी सिगरेट पैक पकड़े गए थे। इससे पहले जालंधर में 5 लाख रुपये की अवैध विदेशी सिगरेट की खेप पुलिस ने पकड़ी थी। कैसे पता करें नकली है या कंपनी की सिगरेट
यूं तो सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह हानिकारक है। लेकिन शौक के आगे मजबूर लोग निकली सिगरेट पीने के आदी होते जा रहे हैं। जोकि पूरी तरह से जानलेवा है। सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट (कोटपा)-2003 के नियमों के अनुसार सिगरेट के पैक पर 85 प्रतिशत तक वैधानिक चेतावनी जरूरी है। चेतावनी में यह साफ होना चाहिए कि सिगरेट पीने से कैंसर होता है। जोकि जानलेवा है। लेकिन बाजार में विदेशी नकली सिगरेट के ब्राड बिक रहे हैं। इन पर वैधानिक चेतावनी नहीं होती है। इन सिगरेट पर कोई प्रिंट रेट भी नहीं होता है। शहर में इन जगहों पर बिक रहे नकली ब्राड के सिगरेट
बीते कुछ माह पहले ही चंडीगढ़ पुलिस ने शहर के इंडस्ट्रियल एरिया फेज-1 के प्लॉट नंबर-653, सेक्टर-22, सेक्टर-38 में रेड कर करीब 15 लाख रुपये की विदेशी नकली ब्राड की सिगरेट पकड़ी थी। सेक्टर-17, 22, 34, 33, 7, 8, 10, 11, 26 व शहर के अन्य हिस्सों में स्थित होटलों, रेस्टोरेंटो, क्लबों और पबों के बाहर पान की दुकानों पर आसानी से विदेशी नकली सिगरेट बिक रही हैं। सिगरेट व तंबाकू वाले प्रोडक्ट पर प्रशासन को 28 प्रतिशत तक टैक्स और 22 प्रतिशत सेस मिलता है। करीब 40 प्रतिशत तक का रेवेन्यू आता है। शहर में अगर नकली ब्राड के सिगरेट बिक रहे हैं तो डिपार्टमेंट की ओर से उस पर कार्रवाई की जाएगी। जल्द ही हम एक टीम बनाकर शहर के अलग-अलग हिस्सों चेकिंग करवाएंगे।
-आरके चौधरी, असिस्टेंट एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर, चंडीगढ़ प्रशासन इस तरह के सिगरेट के सेवन से बॉडी के किसी भी ऑर्गन पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। जिस धुएं को कश के साथ शरीर के अंदर लिया जा रहा है, वह फेफड़ा, हार्ट, ब्रेन और न्यूरो सिस्टम को कमजोर कर सकता है। ऐसे सिगरेट सामान्य की तुलना में ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं क्योंकि इसमें यूज किए गए हार्मफुल चीजों की मात्रा और प्रकार के बारे में कोई जानकारी नहीं होती। इससे अस्थमा, विभिन्न प्रकार के कैंसर और न्यूरो डिस्ऑर्डर का खतरा रहता है।
-डॉ. राकेश कपूर, एचओडी, पीजीआइ रेडियोथैरेपी डिपार्टमेंट