अब पंजाब-हरियाणा का अतिक्रमण भी हटाएगा चंडीगढ़ प्रशासन
चंडीगढ़ को झुग्गी और अवैध निर्माण मुक्त शहर बनाने का अभियान यूटी प्रशासन ने छेड़ रखा है। इसके तहत सबसे पहले स्लम एरिया को हटाया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : चंडीगढ़ को झुग्गी और अवैध निर्माण मुक्त शहर बनाने का अभियान यूटी प्रशासन ने छेड़ रखा है। इसके तहत सबसे पहले स्लम एरिया को हटाया जा रहा है। इसकी साथ ही एग्रीकल्चर लैंड पर बने अवैध निर्माण को गिराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई। अब चंडीगढ़ प्रशासन सुखना कैचमेंट एरिया में पड़ने वाले पंजाब और हरियाणा के एरिया से अतिक्रमण पर भी बुलडोजर चलाने की तैयारी कर रहा है। पंजाब और हरियाणा ने सुखना कैचमेंट एरिया में बड़े स्तर पर अवैध निर्माण किया हुआ है। सुखना के इको सेंसटिव जोन तक में भी अतिक्रमण हुआ है। इसको हटाने के लिए पहले भी चंडीगढ़ प्रशासन पंजाब और हरियाणा को चिट्ठी लिखता रहा है। अब फिर से इसे हटाने के लिए इन दोनों राज्यों से पत्राचार होगा। अगर यह दोनों राज्य ऐसा नहीं करते हैं तो यूटी प्रशासन कानूनी रास्ते से इसे हटाने की तैयारी करेगा। सुखना कैचमेंट के इन एरिया में हुए अतिक्रमण को चिन्हित कर इनकी सूची तैयार की जा रही है। इसके बाद यह जानकारी पंजाब और हरियाणा के साथ भी साझा होगी।
टाटा कैमलाट हाउसिंग प्रोजेक्ट भी चंडीगढ़ प्रशासन ने रुकवाया
सुखना कैचमेंट एरिया के दायरे में आने वाले पंजाब के सबसे प्रमुख टाटा कैमलाट हाउसिग प्रोजेक्ट पर यूटी प्रशासन के विरोध के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2019 में रोक लगाई थी। तभी से यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने 53 एकड़ क्षेत्र में विकसित किए जाने वाले इस प्रोजेक्ट को मिले तमाम प्रशासनिक क्लीयरेंस को भी खत्म कर दिया था। टाटा हाउसिग के करीब 1800 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट में 12 से 25 मंजिला 19 टावर में 92,100 फ्लैट बनने थे। यह प्रोजेक्ट सुखना वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से महज 125 मीटर और सुखना लेक से 183 मीटर की दूरी पर था। यूटी प्रशासन ने इस प्रोजेक्ट से चंडीगढ़ के स्वरूप और सुखना वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी को खतरा बताया था।
सकेतड़ी, कांसल एरिया में ज्यादा अतिक्रमण
सुखना कैचमेंट एरिया में चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा के कई गांवों का एरिया आता है। सुखना के साथ लगते चंडीगढ़ के गांव कैंबवाला, खुड्डा लाहौरा, किशनगढ़ एरिया में ऐसे निर्माण की शिकायत मिलती रही है। इसके अलावा पंजाब के गांव कांसल, नया गांव और हरियाणा के गांव सकेतड़ी का भी बड़ा हिस्सा इसके तहत आता है। इन गांवों के जिस एरिया में किसी भी तरह के निर्माण की रोक है फिर भी निर्माण होते रहे हैं। इसमें कई मामलों को लेकर कोर्ट केस भी चल रहे हैं।