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सोलर प्रोजेक्ट नहीं लगाने वालों के खिलाफ प्रशासन बरतेगा सख्ती

अपने घरों पर सोलर प्लांट न लगाने वाले लोगों के खिलाफ चंडीगढ़ प्रशासन अब सख्ती बरतने की तैयारी कर रहा है।

By Sat PaulEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 12:54 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 12:54 PM (IST)
सोलर प्रोजेक्ट नहीं लगाने वालों के खिलाफ प्रशासन बरतेगा सख्ती
सोलर प्रोजेक्ट नहीं लगाने वालों के खिलाफ प्रशासन बरतेगा सख्ती

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ प्रशासन ने बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन कर 2016 में 500 गज या इससे अधिक एरिया के घरों पर सोलर प्रोजेक्ट अनिवार्य किया था। बावजूद इसके सेक्टरों के 8 हजार से अधिक घरों में से 800 पर भी सोलर प्रोजेक्ट नहीं लग सके हैं। इसको देखते हुए अब प्रशासन सोलर प्रोजेक्ट नहीं लगाने वालों पर सख्ती करने की तैयारी में है। इसके लिए चंडीगढ़ रिन्यूअल एनर्जी एंड साइंस एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन सोसायटी (क्रेस्ट) ने एस्टेट ऑफिस को भी लिख दिया है। 17 नवंबर तक घरों पर सोलर प्रोजेक्ट नहीं लगाने पर वायलेशन के नोटिस एस्टेट ऑफिस द्वारा भेजे जाएंगे।

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साल के छह महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक ज्वाइंट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमशीन (जेईआरसी) ने सोलर एनर्जी ग्रॉस मीटरिंग के रेट निर्धारित नहीं किए हैं। जिस कारण सोलर सिटी के सपने को बड़ा झटका लगता दिख रहा है। शहर में सोलर प्रोजेक्ट लगने की गति धीमी पड़ गई है। 17 नवंबर तक एक कनाल या 500 वर्ग गज और इससे अधिक के घर पर सोलर प्रोजेक्ट लगवाना अनिवार्य है। अंतिम तिथि नजदीक होने के कारण चंडीगढ़ रिन्यूअल एनर्जी एंड साइंस एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन सोसायटी (क्रेस्ट) के पास एप्लीकेशन तो खूब आ रही हैं। एक एक दिन में 25 से 30 एप्लीकेशन आ रही हैं। इसकी जानकारी लेने रोजाना बहुत से लोग पहुंच रहे हैं। लेकिन ग्रॉस मीटरिंग बंद होने से लागत नहीं निकलने का आकलन कर इससे किनारा कर रहे हैं। ग्रॉस मीटरिंग के रेट तय नहीं होने के कारण क्रेस्ट के अधिकारी अब नेट मीटरिंग में सोलर प्रोजेक्ट लगाने की सलाह लोगों को दे रहे हैं। लेकिन लोगों को नेट मीटरिंग फायदे का सौदा नहीं लग रहा। अप्रैल से जेईआरसी सोलर एनर्जी के लिए रेट निर्धारित करता रहा है। लेकिन इस बार नवंबर शुरू होने के बाद भी जेईआरसी से इसकी मंजूरी नहीं मिली है।

यह है ग्रॉस मीटरिंग और नेट मीटरिंग

ग्रॉस मीटरिंग में अपने सोलर प्रोजेक्ट से जेनरेट होने वाली एनर्जी सीधे ग्रिड को सेल की जाती है। इस वित्त वर्ष से पहले जेईआरसी ने इसका रेट प्रति यूनिट 9.27 पैसे निर्धारित किया था। आकर्षक रेट होने के कारण लोगों को अच्छी कमाई हो रही थी। वह सोलर प्रोजेक्ट की बिजली इसी रेट में इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट को बेच सकते थे। फायदा यह था कि लोग इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट की बिजली 2.50 से 5 रुपये तक प्रति यूनिट इस्तेमाल करते थे और अपनी सोलर एनर्जी को सीधे दोगुणे रेट 9.27 में बेचते थे। जिससे अच्छा खासा लाभ मिलता था। जबकि नेट मीटरिंग में सोलर प्रोजेक्ट से जेनरेट होने वाली बिजली को पहले घर में ही इस्तेमाल करना होता है। इसके बाद जो बिजली बचती है वह ग्रिड को चली जाती है। इसका पैसा अगले बिल में कट जाता है। लेकिन इसका रेट वही होता है जो इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट अपनी बिजली का वसूलता है। पहले जो लोग ग्रॉस मीटरिंग के तहत सोलर प्रोजेक्ट लगवा चुके हैं उन्हें 25 साल तक इसका फायदा मिलेगा। नए कस्टमर को नेट मीटरिंग के तहत ही रेट मिल रहा है।

अभी तक 735 घरों पर लगे प्रोजेक्ट

प्रशासन ने बिल्डिंग बायलॉज में बदलाव कर एक कनाल या 500 वर्ग गज और इससे अधिक के घर पर सोलर प्रोजेक्ट लगवाना अनिवार्य कर रखा है। मई के बाद अतिरिक्त छह महीने का समय लोगों को दिया जा चुका है। उसके बाद भी अभी तक 735 घरों पर ही सोलर प्रोजेक्ट लग सके हैं। जबकि करीब 1507 एप्लीकेशन क्रेस्ट के पास आई हुई हैं। इनको या तो एनओसी मिल चुकी है या मिलने वाली है। जबकि एक ही सेक्टर में 500 गज या इससे अधिक एरिया के 200 से अधिक घर हैं। मध्य मार्ग से सुखना लेक के बीच पडऩे वाले सेक्टरों में यह संख्या अधिक है। 8 हजार घरों में से अभी 40 प्रतिशत तक भी कवर नहीं हो सके हैं। सोलर प्रोजेक्ट नहीं लगवाने वाले इन मकान मालिकों को 17 नवंबर के बाद एस्टेट ऑफिस से मिसयूज वॉयलेशन के नोटिस मिलने लगेंगे।

अभी तक इतने हुए कवर

गवर्नमेंट बिल्डिंग - 260 17.96

प्राइवेट हाउस/बिल्डिंग 735 6.94

कुल जेनरेट हो रही सोलर एनर्जी- 24.90

एप्लीकेशन आई - 1507

एरिया अनुसार घरों पर लगाए जाने वाले सोलर प्लांट

500-999 वर्ग गज तक 1 किलोवॉट

1000-2999 वर्ग गज तक 2 किलोवॉट

3000 वर्ग गज से ऊपर 3 किलोवॉट

ऐसे लगवा सकते हैं रूफटॉप सोलर प्लांट

क्रेस्ट की वेबसाइट सोलरचंडीगढ़ डॉट कॉम पर विजिट कर सोलर प्लांट के लिए आवेदन किया जा सकता है। क्रेस्ट से सूचीकृत सभी सोलर पैनल विक्रेताओं के संपर्क विवरण वेबसाइट पर दिए गए हैं। मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी की डिटेल भी इस पर दी गई है। इस अकेले पोर्टल पर सभी तरह की मंजूरी भी तय समय सीमा में मिल जाती है। जिसमें क्रेस्ट से सब्सिडी, इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट से क्लीयरेंस और इलेक्ट्रिसिटी इंस्पेक्टर से सेफ्टी क्लीयरेंस शामिल है।

2022 तक 69 मेगावाट का लक्ष्य

चंडीगढ़ की अधिकतर एजुकेशनल और गवर्नमेंट संस्थानों की बिल्डिंग पर सोलर पॉवर प्लांट लग चुके हैं। बहुत से निजी संस्थानों और घरों पर भी सोलर पॉवर प्लांट लग चुके हैं। अभी तक चंडीगढ़ के सभी सोलर पॉवर प्रोजेक्ट्स से 24.90 मेगावॉट बिजली पैदा हो रही है। 2022 तक 69 मेगावॉट सोलर एनर्जी जेनरेट करने का लक्ष्य केंद्र सरकार ने यूटी प्रशासन को दिया है।


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