चंडीगढ़ PGI से नर्सिंग करने वाले 74 स्टूडेंट्स को नहीं मिली जॉब, कैट ने 31 मार्च तक मांगा जवाब
चंडीगढ़ पीजीआइ से नर्सिंग का कोर्स करने वाले 74 स्टूडेंट्स को नौकरी नहीं मिलने का मामला सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) तक जा पहुंचा है। इन सभी बच्चों ने कोविड-19 के दौरान ड्यूटी दी है और पीजीआइ के दूसरे वार्डस में भी ड्यूटी दी है।
चंडीगढ़, जेएनएन। पीजीआइ से नर्सिंग का कोर्स करने पर भी स्टूडेंट्स को नौकरी न देने पर 74 स्टूडेंट्स ने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) का दरवाजा खटखटाया है। याचिका दायर करने वाले ये बच्चे 2020 में पासआउट हुए थे लेकिन अभी तक इन्हें पीजीआइ ने नौकरी नहीं दी है, जबकि इससे पहले सभी बैच के स्टूडेंट्स को पीजीआइ में ही नर्सिग ऑफिसर के तौर पर अपॉइंटमेंट दी जाती रही है। इन सभी बच्चों ने कोविड-19 के दौरान ड्यूटी दी है और पीजीआइ के दूसरे वार्डस में भी ड्यूटी दी है। उसके बावजूद इन सभी को नौकरी नहीं दी गई।
पीजीआइ के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग एजुकेशन (नाइन) से ये सभी बच्चे पासआउट हुए हैं। याचिका में बच्चों की मांग है कि इन्हें पीजीआइ में ही नर्सिग ऑफिसर की पोस्ट पर नौकरी दी जाए। बच्चों की याचिका पर कैट ने केंद्र सरकार, पीजीआइ प्रशासन, गवर्निग बॉडी और डायरेक्टर को 31 मार्च तक जवाब देने के लिए नोटिस जारी कर दिया है। याचिका के अनुसार 1974 में पीजीआइ ने फैसला लिया था कि यहां से नर्सिग की डिग्री हासिल करने वाले स्टूडेंट्स को पीजीआइ में ही नौकरी दी जाएगी। लेकिन इस मामले में पीजीआइ ने बच्चों को पोस्ट खाली होने के बावजूद नौकरी नहीं दी।
कोर्स के दौरान भरवाया जाता है बांड : कोर्स के दौरान बच्चों से एक बांड भरवाया जाता है कि उन्हें पीजीआइ में ही पढ़ाई के दौरान अलग-अलग डिपार्टमेंट्स में काम भी करना पड़ेगा। इसके अलावा बांड में ये भी लिखा था कि कोर्स पूरा होने के छह महीने में इंस्टीट्यूट ही उन्हें नौकरी देगा। पीजीआइ में अभी नर्सिग ऑफिसर की 91 पोस्ट खाली है। जबकि 2020 में पासआउट बच्चों की संख्या 74 है। कोर्स के दौरान बच्चों से भरवाए गए बांड की वैधता पांच अप्रैल को खत्म हो रही है। ऐसे में बच्चों ने कैट में गुहार लगाकर उन्हें इंसाफ देने की मदद मांगी है।
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