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पंजाब को झटका, स्टील से निर्मित विशेष गोदामों की गारंटी देने से केंद्र ने किया इन्कार

केंद्र सरकार ने पंजाब में साइलोज गारंटी से इन्कार कर दिया है। इसके कारण अडानी समेत कई प्राइवेट कंपनियों के प्रोजेक्ट लटक गए हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 09:34 AM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 08:42 PM (IST)
पंजाब को झटका, स्टील से निर्मित विशेष गोदामों की गारंटी देने से केंद्र ने किया इन्कार
पंजाब को झटका, स्टील से निर्मित विशेष गोदामों की गारंटी देने से केंद्र ने किया इन्कार

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। करोड़ों रुपये के हर साल खराब होने वाले अनाज को बचाने के प्रोजेक्ट को लेकर पंजाब को तगड़ा झटका लगा है। पूर्व शिअद-भाजपा सरकार के दौरान 24 लाख मीट्रिक टन अनाज रखने के  लिए बनने वाले साइलोज (स्टील से निर्मित विशेष गोदाम) में गारंटी देने से केंद्र सरकार ने मना कर दिया है। यह गारंटी अनाज भंडारण व किराया अदा करने को लेकर दी जानी थी। इस वजह से अब इन प्रोजेक्टों का लगना मुश्किल लग रहा है। अडानी जैसी कंपनियों के साथ साइलोज लगाने का करार किया गया था जो लटकता नजर आ रहा है।

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केंद्र सरकार के इस फैसले से पंजाब के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। पंजाब में अनाज भंडारण को लेकर पहले से ही दिक्कतें हैं। इस साल भी 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं खुले में स्टोर किया गया है। यदि अगले साल भी 120 लाख मीट्रिक टन से ऊपर गेहूं आया तो राज्य की खरीद एजेंसियों के पास इसे स्टोर करने के लिए न तो गोदामों में जगह होगी और न ही ओपन प्लिंथों पर।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बीते सप्ताह दिल्ली में एफसीआइ के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (नार्थ) वीना कुमारी की अगुवाई में हुई मीटिंग में यह गारंटी देने से इन्कार कर दिया गया। कमेटी में कहा गया कि ये सभी साइलोज रोड साइट पर बनाए जा रहे हैं जो केंद्र सरकार की साइलोज बनने की नीति के खिलाफ हैं। नीति के अनुसार सभी साइलोज रेल साइट पर बनाए जाने चाहिए ताकि एफसीआई को ट्रांसपोर्टेशन का बार-बार खर्च न करना पड़े।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने तीन साल पहले पंजाब को 24 लाख मीट्रिक टन अनाज को स्टोर के करने लिए साइलोज बनाने की अनुमति दी थी। इसमें से 17 लाख मीट्रिक टन साइलोज बनाने का काम फूड एंड सप्लाई विभाग के अधीनस्थ कार्पोरेशन पनग्रेन के पास है।

क्यों जरूरी है गारंटी

साइलोज में भंडारण के लिए एक निश्चित अनाज और उसका किराया एफसीआइ तय करती है ताकि प्राइवेट कंपनियां भंडारण में निवेश करें। जैसे किसी कंपनी को 50 हजार मीट्रिक टन अनाज का साइलोज बनाने की मंजूरी मिली है तो इसके लिए निश्चित किराया एफसीआइ संबंधित कंपनी को अदा करती है, बेशक उसमें रखा अनाज दूसरे प्रदेशों में भेज दिया जाए। लेकिन, यदि केंद्र सरकार किराये की गारंटी न दे तो राज्य सरकार के लिए साइलोज में अनाज स्टोर करवाना मुश्किल हो जाएगा या फिर उसे अपनी ओर से किराया देना होगा।

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अब उच्च स्तरीय मीटिंग में विचार

एफसीआइ के सूत्रों का कहना है कि अब उच्चस्तरीय मीटिंग में इस पर विचार होगा जो कि एक-दो दिन में ही होने वाली है। इस मीटिंग में भी पंजाब को राहत मिलने की उम्मीद कम क्योंकि पॉलिसी के विपरीत साइलोज के लिए गारंटी देना केंद्र सरकार के लिए मुश्किल है। पनग्रेन ने अडानी समेत विभिन्न कंपनियों के साथ साइलोज लगाने का इकरार किया हुआ है जिसको रद करने के लिए फूड एंड सप्लाई विभाग की डायरेक्टर ने पिछले महीने पत्र जारी कर दिया था।
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