कैप्टन अमरिंदर ने कहा- आर्थिक पैकेज में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को भूली केंद्र सरकार
पंजाब के मुख्यमंत्री कैपटन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज पर सवाल उठाया है। कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि इसमें असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को भूल गई।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से घोषित किए गए वित्तीय पैकेज को निराशाजनक बताया है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को घोषित पैकेज में असंगठित क्षेत्र के करोड़ों मजदूरों को पूरी तरह भुला दिया।
कैप्टन अमरिंदन ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपनी घोषणाओं में एमएसएमई, एनबीएफसी और हाउसिंग सेक्टर के लिए घोषणा की, लेकिन अभूतपूर्व कठिनाइयां झेल रहे लाखों असंगठित मजदूरों के लिए वित्तीय सहायता का जिक्र तक नहीं किया। वित्तीय पैकेज की घोषणाओं को प्रधानमंत्री की ओर से दिए गए 'जान के साथ जहान' के संदेश से परे बताते हुए कैप्टन ने कहा कि वित्त मंत्री की घोषणाओं में तो केंद्र का लोगों की जान बचाने का इरादा नजर नहीं आता।
कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि एमएसएमई और हाउसिंग क्षेत्र को पहले अपना अस्तित्व बचाना है तभी इसके पुनरुत्थान की बात सोची जा सकती है। उन्होंने कहा कि बड़े समूहों में शहरों को छोड़ते मजदूरों के चलते फिलहाल एमएसएमई क्षेत्र के सामने अस्तित्व का सवाल उठ सकता है। वापस लौटते मजदूर शहरों को वापस आने का इरादा नहीं रखते।
कैप्टन ने कहा कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की समस्या पर विशेष ध्यान दें। पहली नजर में तो एमएसएमई को दिया गया वित्तीय पैकेज भी नाकाफी लगता है। सरकार ने उनके लिए बेल आउट पैकेज की बजाय ऋण की व्यवस्था की है, जोकि उन पर ऋण के बोझ को बढ़ाएगी। सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए उत्पादन करने वाली एमएसएमई को भी कोई सहायता देने की बात नहीं की, जो इस समय कोविड-19 के खिलाफ जारी जंग में ऐसी औद्योगिक इकाइयों के लिए जरूरी है।
पंजाब में ही 2.52 लाख औद्योगिक इकाइयां
कैप्टन ने कहा कि अकेले पंजाब में ही 2.52 लाख औद्योगिक इकाइयां हैं, जिनमें से सिर्फ 1000 बड़ी इकाइयां हैं। ऐसे में एमएसएमई के लिए केंद्र को काफी बड़ा वित्तीय पैकेज देने की जरूरत है, जिससे इससे एमएसएमई तेजी से अपना काम शुरू कर सके और प्रवासी मजदूर इनमें काम करने के लिए वापस आएं। वित्त मंत्री की घोषणाओं में ऊर्जा क्षेत्र के लिए भी अपर्याप्त प्रावधान है।
कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि पीएफसी व आरईसी को सरकारी ऊर्जा कंपनियों के ऋणों की अवधि बढ़ाने को अवश्य कहा गया है, लेकिन समें उनसे लिए जाने वाले ब्याज की दर का जिक्र नहीं है। वेतन पाने वाले लोगों के लिए पैकेज में कोई राहत नहीं है। कैप्टन ने कहा है कि टीडीएस में कमी व आयकर भरने की तारीख बढ़ाने को वित्तीय राहत नहीं माना जा सकता। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि अगली घोषणाओं में वित्त मंत्री असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का ध्यान रखेंगी।
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