CBSE Result 2020 : चंडीगढ़ की इन बेटियों ने परिवार का बढ़ाया मान, अब सपनों को करेंगी साकार
सीबीएसई की मेरिट लिस्ट में कुछ ऐसे घरों की बेटियां भी हैं जिन्हें हर रोज दो वक्त की रोटी की लिए भी मशक्कत करनी पड़ती है। इन बेटियों के कड़े इरादे हर मुश्किल को मात दे गए।
चंडीगढ़ [डाॅ. सुमित सिंह श्योराण]। जिंदगी में मुश्किल हालात सिर्फ इंसान को तोड़ते नहीं कई बार यह आगे बढ़ने में किसी टाॅनिक की तरह काम भी करता है। कड़े इरादे और सपनों को सच करने की जिद मंजिल पाने के लिए काफी है। बेटियां समाज में परिवार का नाम रोशन कर रही हैं। लेकिन कुछ खास बेटियों दूसरों के लिए रोल माॅडल भी बन जाती हैं।
सीबीएसई 12वीं बोर्ड रिजल्ट में भी शहर की बेटियों ने मेरिट में जगह बनाकर परिवार की झोली खुशियाों से भर दी। लेकिन कुछ एेसे भी घर थे, जहां दो वक्त की रोटी के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। लेकिन इन घरों की बेटियों ने परीक्षा में सफलता के झंडे गाड़कर अपने सपनों को नई उड़ान दी है। दैनिक जागरण कुछ एेसे ही फौलादी इरादों भरी बेटियों के संघर्ष की कहानी पाठकों के साथ सांझा कर रहा है, जिन्होंने मुश्किल हालात को दरकिनार कर सफलता की नई कहानी लिखनी शुरु की हैं।
माता-पिता के साथ छात्रा चाहत।
पिता की मेहनत बेटी के लिए बनी प्रेरणा
17 साल की चाहत के पिता बिजली रिपयेर का काम करते हैं। पिता को वेतन कम होने के कारण दो जगह काम करना पड़ता है। महीने की पगार भी काफी कम है। लेकिन बेटी चाहत अपने परिवार को वह सब देना चाहती है,जिससे उनके परिवार की जिंदगी बेहतर हो सके। सीबीएसई 12वीं बोर्ड रिजल्ट में चाहत ने शानदार प्रर्दशन करते हुए नाॅन मेडिकल संकाय में 95.2 फीसद अंक हासिल कर नवोदय विद्यालय सेक्टर-25 में पहला स्थान हासिल किया है। दसवीं में भी स्कूल टाॅपर रही चाहत का सपना कंप्यूटर इंजीनियर बनना है। दैनिक जागरण से बातचीत में चाहत ने बताया कि परिवार में तीन भाई बहन हैं। पिता ही कमाने वाले हैं। कड़ी मेहनत से नवोदय में दाखिला मिला। प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने को पैसे नहीं थे। लेकिन कड़ी मेहनत से स्कूल टाॅपर बनकर अब लगता है कि पिता के सपने को पूरा कर पाऊंगी। परिवार सेक्टर-24 अनव्रत भवन में रहता है, जहां पिता केयरटेकर का भी काम करते हैं।
प्रिया अपने माता-पिता के साथ।
आईएएस बनकर पिता के सपनों को करूंगी पूरा
सीबीएसई 12वीं में 94.4 फीसद अंक हासिल करने वाली होनहार बेटी प्रिया की काबलियत लाजवाब है। रेलवे स्टेशन के साथ लगते दड़वा गांव में छोटे से घर में रहने वाली प्रिया फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती है। पिता एक प्राइवेट फैक्ट्री में आठ हजार की नौकरी करते हैं। लेकिन बेटी ने आईएएस बनकर पिता के सपने को पूरा करने की ठान ली है। आर्टस संकाय में शानदार अंक हासिल करने वाली प्रिया बताती हैं मम्मी पापा के अलावा परिवार में कुल चार भाई बहन हैं। पापा आठवीं और मां पांचवी पास हैं। पढ़ने में होशियार प्रिया ने एंट्रेंस टेस्ट क्लीयर कर जवाहर नवोदय में दाखिला हासिल किया। अच्छे अंक पाने के लिए स्कूल के बाद देर रात तक पढ़ाई की है। जिसका नतीजा अब मिला है। भाषण प्रतियोगिता के अलावा एकेडमिक में कई अवार्ड हासिल किए हैं। प्रिया कहती हैं कि पिता ने बहुत कड़ी मेहनत की है, मैं उन्हें बड़ी अफसर बनकर ढेरों खुशियां देना चाहती हूं।
शांति का मुंह मीठा करते परिवार के सदस्य।
एेसे बेटियों पर सभी को होगा नाज
शांति जैसी बेटी हर कोई नाज कर सकता है। पिता मनीमाजरा मोटर मार्केट में चपरासी का काम करते हैं। लेकिन बेटी के बोर्ड एग्जाम में शानदार प्रर्दशन पर पिता सूर्य बहादुर बिष्ट काफी खुश हैं। नेपाल से करीब 20 साल पहले शांति का परिवार शहर में आया। सूर्य बहादुर ने छोटी मोटी नौकरी कर परिवार का खर्च चलाया। बेटी की प्रतिभा को देख उसे पढ़ने के लिए प्रेरित किया। शांति ने बोर्ड परीक्षा में 93.4 फीसद अंक हासिल किए हैं। शांति ने कहा कि परिवार में तीन बहन और एक भाई है। इनका सपना पढ़ाई के बाद अच्छी नौकरी लगकर परिवार के लोगों के सभी अरमानों को पूरा करना है। शांति ने खेलों में भी कई मेडल हासिल किए हैं।