बरगाड़ी बेअदबी मामले में सीबीआइ ने पेश की क्लोजर रिपोर्ट, तेज होगी राजनीति
पंजाब के बहुचर्चित बरगाड़ी बेअदबी मामले मेें सीबीआइ ने अदालत में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी है। अब इस पर राज्य में सियासत बेहद गर्म होने की संभावना है।
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। बरगाड़ी में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों की जांच कर रही सीबीआइ ने मामले से जुड़े तीनों केसों की क्लोजर रिपोर्ट सीबीआइ की मोहाली कोर्ट में पेश कर दी है। साढ़े तीन साल पुराने बेअदबी मामले के मुख्य आरोपित डेरा प्रेमी मोहिंदरपाल बिट़टू की नाभा जेल में 22 जून को हत्या के बाद सीबीआइ ने पंजाब पुलिस की जांच रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए यह रिपोर्ट पेश की है। केस की अगली सुनवाई 23 जुलाई को है, लेकिन जिस तरह से इस केस की क्लोजर रिपोर्ट सीबीआइ ने अदालत में पेश की है उससे निश्चित रूप से यह मामला राजनीतिक रंग लेगा।
मुख्य आरोपित डेरा प्रेमी मोहिंदरपाल बिट़टू की हत्या के बाद मोहाली अदालत में फाइल की रिपोर्ट
मोहाली अदालत में सीबीआइ बनाम मोहिंदरपाल बिट्टू मामला चल रहा था। सीबीआइ के एडिशनल एसपी एस चक्रवर्ती ने द्वारा पेश की गई क्लोजर रिपोर्ट में कहा गया है कि यह रिपोर्ट दिल्ली से सीबीआइ के एसपी द्वारा भेजी गई है। सीबीआइ अदालत के स्पेशल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने इस रिपोर्ट को रजिस्टर करते हुए मामले की सुनवाई 23 जुलाई तक स्थगित कर दी है। सीबीआइ अदालत ने इसी दिन इस मामले के रिमांड पेपर भी अदालत में तलब कर लिए हैं।
पंजाब पुलिस की जांच रिपोर्ट दरकिनार, मामले पर गर्मा सकती है सियासत
मोहिंदरपाल बिट्टू पर 2015 में बुर्ज जवाहर सिंह गांव के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूप चोरी करने, उनके अंग को फाड़कर फेंकने और सांप्रदायिक माहौल को बिगाडऩे के खिलाफ सीबीआइ ने तीन अलग-अलग केस दर्ज किए थे। उस पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब का अनादर करने की धमकी देने के पोस्टर लगाने का मामला भी दर्ज था।
क्लोजर रिपोर्ट पर कोर्ट में 23 जुलाई को होगी सुनवाई, नवंबर 2015 में सीबीआइ को सौंपा था मामला
पूर्व अकाली-भाजपा सरकार ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं की जांच करने का केस 2 नवंबर 2015 को राजनीतिक पार्टियों और सिख संगठनों के दबाव में सीबीआइ को दे दिया था। इसके अलावा सरकार ने डीआइजी रणबीर सिंह खटड़ा की अगुवाई में एक स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम का भी गठन किया था।
आयोग बनाने पर जांच हुई थी धीमी
सीबीआइ ने इस केस की जांच करते हुए मोहिंदरपाल बिट़टू से पूछताछ भी शुरू की, लेकिन जब कैप्टन सरकार ने इस मामले में जस्टिस रंजीत सिंह आयोग का गठन कर दिया तो सीबीआइ की जांच ढीली पड़ गई। सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ ने लंबे समय से इस केस को ठंडे बस्ते में ही डाला हुआ था, लेकिन बीती 22 जून को जब मुख्य आरोपित मोहिंदरपाल की नाभा जेल में दो सिख युवाओं ने हत्या कर दी तो यह केस और ठंडा पड़ गया।
हिमाचल से गिरफ्तार हुआ था मोहिंदरपाल
मोहिंदरपाल डेरा सच्चा सौदा की 45 सदस्यीय स्टेट कमेटी का प्रमुख सदस्य था। सीबीआइ और एसआइटी ने डेरा सच्चा सौदा के जिन दस आरोपियों को इस केस में गिरफ्तार किया था वह इनमें से प्रमुख था। मोहिंदरपाल को सात जून 2018 को रणबीर सिंह खटड़ा की अगुवाई वाली एसआइटी ने हिमाचल प्रदेश के पालमपुर से गिरफ्तार किया था।
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बताया जाता है कि वह अगस्त 2017 से ही उस समय फरार था जब डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सजा हो गई। गिरफ्तारी से बचने के लिए वह पालमपुर भाग गया और वहां एक रेस्टोरेंट चलाने लगा। सीबीआइ कोर्ट से मोहिंदरपाल को एक केस में जमानत मिल गई थी लेकिन वह अन्य केसों को लेकर जेल में ही था।
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चालान नहीं पेश किया था
फरीदकोट : पंजाब पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर डेरा प्रेमी महिंदरपाल बिट्टू, सुखजिंदर सिंह सन्नी कंडा और शक्ति सिंह को सीबीआइ ने इस केस में नामजद किया था। सीबीआइ ने रिमांड पर लेकर पूछताछ भी की थी लेकिन चालान पेश नहीं किया था। कोई पुख्ता सुबूत न होने के कारण सीबीआइ ने केस को बंद करने की मांग की है। कंडा व शक्ति इस समय जमानत पर हैैं।
12 अक्टूबर 2015 को हुई थी बेअदबी
एक जून 2015 को बरगाड़ी के गांव बुर्ज जवाहर सिंह के गुरुद्वारा साहिब से पावन ग्रंथ चोरी हो गए थे। 24 सितंबर 2015 को इसी गुरुद्वारा साहिब के बाहर शरारती तत्वों ने अश्लील शब्दावली वाला पोस्टर चिपका दिया था। 12 अक्टूबर 2015 को चोरी हुए पावन ग्रंथ के खंडित अंग बरगाड़ी में गुरुद्वारा साहिब के बाहर मिले थे।