प्रशासन और निगम के बीच लटका स्कूलों से पेड़ हटाने का मामला
फिर बाहर सफेदे के या फिर कोई अन्य प्रजाति के पेड़ खड़े न हो।
वैभव शर्मा, चंडीगढ़ : शहर में 114 सरकारी स्कूल हैं और ऐसा कोई भी सरकारी स्कूल नहीं है जिसके अंदर या फिर बाहर सफेदे के या फिर कोई अन्य प्रजाति के पेड़ खड़े न हो। यह अच्छी बात है कि स्कूल परिसर को हरा-भरा रखा जा रहा है। उसके बावजूद यह पेड़ बच्चों की जान के लिए खतरा बने हुए हैं। शहर के स्कूलों में बड़े-बड़े सफेदे के पेड़ खड़े हैं जिनमें से कई तो खोखले हो चुके हैं। उसके अलावा सर्दियों में शहर के सरकारी स्कूलों में यह चलन है कि बच्चों को टीचर्स धूप में बैठकर पढ़ाते हैं। ऐसे में स्कूल परिसर में खड़े पेड़ कभी भी गिर सकते हैं और किसी को नुकसान पहु़ंचा सकते हैं। हाल ही में शहर में चली तेज आंधियों की वजह से कई सफेदे के पेड़ गिरे थे, इस बात को ध्यान में रखते हुए शहर के स्कूलों में और उसके आसपास खड़े सफेदे के पेड़ों को हटाने के लिए एक आदेश जारी हुआ था। लेकिन अभी तक इन आदेशों पर अमल नहीं हो पाया है। नहीं कर पा रहे है अपनी जगह की शिनाख्त
प्रशासन और निगम में बीच यह मामला अभी तक लटका हुआ है। न तो निगम ही अपने एरिया की मार्किग कर पाया और न ही प्रशासन। इस बात का खमियाजा स्कूल में पढ़ने वाले को भुगतना पड़ सकता है। निगम और प्रशासन दोनों के हॉर्टिकल्चर विभाग अलग-अलग है। दोनों में इस बात को लेकर उलझन में है कि कौन सा एरिया प्रशासन के पास है और कौन सा निगम के। बाहर खड़े पेड़ों की शाखाएं पहुंच रही हैं स्कूलों में खिड़की तक
मलोया कॉलोनी में बने जीएमएसएसएस के बाहर कई फीट बड़े सफेदे के पेड़ खड़े हैं जिनकी शाखाएं स्कूल की खिड़की तक पहुंच रही हैं। उसके साथ ही पेड़ों की शाखाएं भी बहुत भरी भरकम है जो अगर गिरी तो कईयों की जान ले सकती है। उसके अलावा यही हाल शहर के अन्य स्कूलों का भी है। ग्राउंड में है पेड़ों की भरमार
स्कूलों परिसर में ज्यादातर पेड़ ग्राउंड के पास खड़े हैं जहां बच्चे खेलते हैं। सितंबर माह में स्टेपिग स्टोन स्कूल-37 में एक सूखा पेड़ गिर गया था। जिसकी चपेट में आकर स्कूल बाउंड्री वॉल के अलावा एक कार भी क्षतिग्रस्त हुई थी। गनीमत रही थी कि रविवार होने की वजह से स्कूल में बच्चे नहीं थे वरना एक बड़ा हादसा हो सकता था।