अफगान की तस्वीर दिखाते कारपेट
अफगानी कारपेट जिसमें बंदूकों और टैंक को दिखाया गया है।
शंकर सिंह, चंडीगढ़ : अफगानी कारपेट जिसमें बंदूकों और टैंक को दिखाया गया है। ये कारपेट आर्मी बेस कैंप में लगाए जाते हैं। ये वहां के युद्ध के माहौल को दिखाते हैं। दूरे से जितने भयानक दिखते हैं, हाथ लगाने पर उतनी ही बेहतरीन कारीगरी दिखती है। काबुल के समीर खान इन्हें अपने साथ इंटीरियर एक्सटीरियर एक्सपो-17 में लाए हैं। शुक्रवार को परेड ग्राउंड में शुरू हुई इस प्रदर्शनी में अफगानी कारपेट वहां की स्थिति को बयां करते हैं। कारपेट और ड्राए फ्रूट्स ही है मुख्य व्यापार
समीर ने कहा कि अफगान में इस समय कारपेट और ड्राए फ्रूट्स ही अहम व्यापार है। यहां के कारपेट काफी मशक्कत के बाद बनते हैं। कारीगर इन्हें हाथों से ही बुनते हैं। वो भी एक ही कारीगर पूरा कारपेट बनाता है। कई बार तो इसमें दो वर्ष लग जाते हैं। यहां के बुखारी डिजाइन को लोग बहुत पसंद करते हैं। इसमें रंगीन चित्र दिखाए जाते हैं। इसके अलावा अफगान में मिलने वाले तमाम मौसम एक कारपेट में डिजाइन कए जाते हैं। ये बेहद खास होते हैं, मगर इनकी कीमत भी इसी वजह से ज्याद रखी जाती है। चंडीगढ़ में पहली बार पहुंचे समीर ने कहा कि कारपेट की कीमत एक लाख तक है। लकड़ी की बाइक सबको आई पसंद
आंध्र प्रदेश की शिल्वी का स्टाल प्रदर्शनी में सबसे स्पेश है। इन्होंने लकड़ी से तैयार कई डिजाइन प्रदर्शित किए। जिसमें लकड़ी से बनी हार्ले डेविसन को भी प्रदर्शित किया गया है। शिल्वी ने कहा कि उन्हें शुरू से ही कला पसंद थी। ऐसे में ऐसे फर्नीचर बनाने की सोची जिसमें लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। मैंने सभी स्कल्प्चर इंडोनेशिया से बनवाए हैं। हार्ले डेविसन को बनाने का विचार पंजाब से आया जहां से मैंने इसे तैयार किया है। इसका वजन 200 किलो है और इसको बनाने में दो वर्ष का समय लगा है। ये टीक वुड में तैयार की गई है।